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राजनीतिक विरासत संभालते इन नेताओं के लिए दिल्ली रही दूर, चुनावी रण में हार ने रोकी राह - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 7, 2024, 4:41 PM IST

Updated : Apr 7, 2024, 7:34 PM IST

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Uttarakhand politics उत्तराखंड में राजनीतिक विरासत संभालते कई नेताओं के लिए दिल्ली दूर ही रही है. ऐसे कई राजनेता हैं, जिन्होंने राजनीति विरासत में पाई, लेकिन लोकसभा पहुंचने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका. हालांकि इसमें से कई नेता विधानसभा के सदस्य तो बने, लेकिन उनकी लोकसभा सांसद बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी. राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाले इन नेताओं का कैसा रहा राजनीतिक सफर, देखिए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में...

राजनीतिक विरासत संभालते इन नेताओं के लिए दिल्ली रही दूर

देहरादून: कहते हैं कि राजनीति में कदम रखना तो आसान है, लेकिन इसमें खुद के लिए जगह बनाना बेहद मुश्किल है. खासकर ऐसे नेताओं के लिए जिनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक नहीं होती. वहीं, बड़े राजनीतिक परिवार से जुड़े नेता सत्ता की सीढ़ी चढ़ ही लेंगे, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. उत्तराखंड में ऐसे कई उदाहरण हैं. जहां राजनीतिक विरासत के बावजूद संसद तक पहुंचने की तमन्ना नेता पूरा नहीं कर सके. इसके पीछे कई राजनीतिक कारण भी मानें गए, जिन्होंने बड़े राजनीतिक परिवारों के सदस्यों को दिल्ली से दूर रखा.

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कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह प्रदेश

पॉलिटिकल लिगसी को कायम रखना चुनौती पूर्ण: पॉलिटिकल लिगसी को कायम रखना बेहद चुनौती पूर्ण होता है और इस मामले में नेताओं पर दबाव भी रहता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राजनीतिक परिवार से आने वाले नेताओं को कुछ हद तक मदद तो मिलती है, लेकिन चुनाव जीतने के लिए जनता के वोट की जरूरत होती है. लिहाजा जो भी खुद को स्थापित करने में कामयाब रहता है, उसी को जीत की चाबी मिलती है. हालांकि वह यह बात भी कहते हुए नजर आते हैं कि राजनीतिक परिवार से आने वाले लोगों को संगठन स्तर पर खासी तवज्जो मिल जाती है और उनकी राह आसान हो जाती है. लेकिन जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित होने के लिए आम जनता का भरोसा भी जरूरी होता है. ऐसे समय में राजनीतिक परिवार काम नहीं आता.

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साकेत बहुगुणा

माला राज्य लक्ष्मी को राजनीतिक विरासत का मिला लाभ: हालांकि उत्तराखंड में ऐसे भी नेता हैं, जिन्होंने राजनीतिक विरासत का दामन थामकर संसद तक पहुंचने में भी कामयाबी हासिल की है. इनमें टिहरी लोकसभा सीट से सांसद माला राज्य लक्ष्मी का नाम भी शामिल है. मौजूदा लोकसभा चुनाव को देखें तो इस वक्त हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और लोकसभा में हरिद्वार लोकसभा सीट का प्रतिनिधत्व करना उनका सबसे बड़ा सपना बना हुआ है.

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हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत

नरेश बंसल बोले जनता का भरोसा जीतने से मिलते हैं वोट: भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने बताया कि राजनीति में राजनेताओं को राजनीतिक परिवार से नहीं बल्कि जनता का भरोसा जीतने से वोट मिलते हैं. ऐसे में जो भी जनता के बीच रहेगा, वह चुनाव भी जीतने में कामयाब होगा.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नव प्रभात

राजनेता का बेटा भी राजनेता हो ये गलत नहीं: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि राजनेता का बेटा भी राजनेता हो, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. जहां तक बात चुनाव लड़ने की है, तो इसके लिए राजनीतिक परिवार से आने वाले व्यक्ति को भी मेहनत करनी होती है और तभी वह किसी चुनाव को जीत पाता है.

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मनीष खंडूड़ी
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मनुजेंद्र शाह

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Last Updated :Apr 7, 2024, 7:34 PM IST
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