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तंबाकू कारोबारी ने बनाईं कई बोगस कंपनियां, इनकम टैक्स की टीम कर रही हेराफेरी की जांच

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 5, 2024, 12:55 PM IST

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कानपुर के तंबाकू कारोबारी ने कई बोगस कंपनियों के सहारे करोड़ों रुपये की कर हेराफेरी की है. आयकर अधिकारियों की कार्रवाई (Income Tax Raid in Kanpur) के दौरान 60 करोड़ की कारें, 10 करोड़ रुपये के आसपास घड़ियां व ज्वैलरी और संपत्तियों में कई करोड़ रुपये के निवेश की बात सामने आई है.

कानपुर : शहर के तंबाकू कारोबारी मुन्ना मिश्रा की फर्म बंशीधर श्रीराम तोबैको कंपनी की कई शाखाएं रही हैं. कारोबारी ने कई बोगस कंपनियां (फर्जी कंपनियां) तैयार कर करोड़ों रुपये की कर चोरी की है. 60 करोड़ की कारें, 10 करोड़ रुपये के आसपास घड़ियां व ज्वैलरी मिल चुकी हैं. आयकर अफसरों की छापेमारी में यह बात भी सामने आ गई कि कारोबारी ने संपत्तियों में भी कई करोड़ रुपये का निवेश किया. अब आयकर अफसरों ने भले ही छापेमारी की कार्रवाई को रोक दिया हो, मगर दस्तावेजों की जांच लगातार जारी रहेगी. आयकर अफसरों ने कारोबारी के कार्यालयों से लैपटॉप, कंप्यूटर व डाटा स्टोरेज से जुड़ी सभी डिवाइस को सीज कर दिया है.

हर प्रमुख ब्रांड खरीदता था तंबाकू : आयकर अफसरों ने करीब पांच दिनों तक लगातार तंबाकू कारोबारी मुन्ना मिश्रा के दिल्ली स्थित आवास व कई राज्यों में बने कार्यालयों में छापेमारी की. सबसे अधिक और महंगा सामान दिल्ली स्थित आवास पर ही मिला. यही नहीं करीब 5 करोड़ रुपये कैश भी आवास से बरामद किया गया.

सबसे बड़ी बात यह भी पता लगी कि हर पान मसाला व अन्य ब्रांडेड सिगरेट कारोबारी मुन्ना मिश्रा से ही तंबाकू खरीदता था. ऐसे में आयकर अफसरों को शक है कि कई पान मसाला व सिगरेट कारोबारियों ने अपनी काली कमाई को कारोबारी के साथ मिलकर खपाया. गौर करने वाली बात यह भी है कि संपत्तियों को खरीदने से कहीं ज्यादा रुपया उनको बनवाने में लगाया गया. मुन्ना मिश्रा के दस्तावेजों में नामचीन पान मसाला डिस्ट्रीब्यूटरों के नाम व मोबाइल नंबर भी मिले हैं.

60 दिन तक हर दस्तावेज रहेगा सीज : आयकर की जांच विंग में शामिल एक आला अफसर ने बताया कि विभागीय नियमों के मुताबिक जहां छापेमारी होती है. वहां से जो दस्तावेज या ई-उपकरण मिलते हैं, उन्हें 60 दिनों के लिए सुरक्षित कर दिया जाता है. इस बीच विभाग की ओर से कोई अहम सुराग मिलता है तो दोबारा छापेमारी की कार्रवाई की जा सकती है. हालांकि, विभागीय अफसर सबसे पहले साक्ष्यों को मजबूत करते हैं.

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