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उत्तराखंड विधानसभा बजट सत्र में गैरसैंण पर गहमागहमी! कांग्रेस ने सरकार को घेरा, गिनाए अपने किए काम

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 27, 2024, 4:12 PM IST

Uttarakhand Budget 2024
बजट सत्र में गैरसैंण पर गहमागहमी

Uttarakhand Budget 2024 उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन गैरसैंण को लेकर गहमागहमी देखने को मिली. जहां कांग्रेस ने गैरसैंण में कराए अपने काम गिनाए तो वहीं गैरसैंण में प्रतीकात्मक सत्र का आयोजन कर सरकार पर कटाक्ष किया.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन धामी सरकार ने सदन में बजट पेश किया. सरकार ने बजट को विकसित भारत-विकसित उत्तराखंड के लक्ष्य के साथ सदन में रखा. धामी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹89,230.07 करोड़ का बजट पेश किया. सरकार ने बजट में गरीब, किसान, महिला वर्ग के लिए विशेष प्रावधान किया है. सरकार ने बजट को ऐतिहासिक बताया है, जबकि विपक्ष ने बजट को निराशाजनक बताया है. वहीं, गैरसैंण में बजट आहूत न कराने को लेकर गहमागहमी भी देखने को मिली.

गैरसैंण को लेकर गहमागहमी: एक तरफ जहां सरकार ने देहरादून में राज्य का बजट पेश किया तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने देहरादून में बजट सत्र आहूत कराने का विरोध किया. सरकार के इस फैसले के विरोध में कांग्रेस ने गैरसैंण में प्रतीकात्मक सत्र का आयोजन किया. कांग्रेस का कहना है कि राज्य आंदोलन के समय से आंदोलनकारी गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग कर रहे हैं.

कांग्रेसियों का कहना है कि इससे पहले कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण के भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन समेत बुनियादी ढांचों का निर्माण करवाया. साथ ही गैरसैंण में सत्र भी कराए, लेकिन धामी सरकार अब ठंड के नाम पर वहां सत्र कराने से परहेज कर रही है. ऐसे में कांग्रेस ने गैरसैंण में जन भागीदारी से प्रतीकात्मक विधानसभा सत्र का आयोजन कर भू कानून, अंकिता भंडारी हत्याकांड, बेरोजगारी, महिला अपराध, पलायन, बिगड़ती कानून व्यवस्था, भर्ती घोटाले, अग्निवीर भर्ती समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा की.

बता दें कि धामी सरकार से पक्ष और विपक्ष के विधायकों की ओर से पत्र लिखकर सत्र गैरसैंण की बजाय देहरादून में कराने का अनुरोध किया गया. जिसके बाद इस अनुरोध को स्वीकार कर सत्र देहरादून में कराने का फैसला लिया गया. जिस पर अब बवाल छिड़ गया है. सवाल ये है कि क्या गैरसैंण में सत्र न कराने से गैरसैंण का विकास हो पाएगा या फिर गैरसैंण महज एक सियासी मुद्दा भर रह गया है?

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