शिमला: सरकार ने अब इस फैसले पर यू टर्न ले लिया है. सीएम सुक्खू कई बार प्रदेश को अत्मनिर्भर बनाने की बात कह चुके हैं. इसके लिए सरकार राजस्व के साधन ढूंढ रही है. हाल ही में जल शक्ति विभाग की ओर जारी की गई अधिसूचना में शौचालय शुल्क वसूल करने की बात कही गई थी. इसके बाद सरकार को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा था.
हिमाचल में 25 रुपये टॉयलेट शुल्क वसूलने वाले विवाद पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली में सफाई दी है. 'सीएम सुक्खू ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. सीएम ने हिमाचल प्रदेश में ‘शौचालय कर’ लगाए जाने के दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं है. राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह की बेतुके और आधारहीन बयानों से परहेज किया जाना चाहिए.'
उन्होंने कहा कि, 'वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने 5,000 करोड़ की रेवड़ियां बांटीं, जिसमें ग्रामीण इलाकों में मुफ्त पानी की घोषणा भी शामिल थी. भाजपा ने कुछ पांच सितारा होटलों को भी मुफ्त पानी देने की घोषणा की थी. बीजेपी के इन लोक-लुभावन वादों को तरजीह न देते हुए प्रदेश की प्रबुद्ध जनता ने कांग्रेस पार्टी के पक्ष में मतदान किया, जिसके फलस्वरूप एक मजबूत सरकार का गठन हुआ.'
सीएम सुक्खू ने कहा कि, 'इसके दृष्टिगत पानी पर सब्सिडी का युक्तिकरण करते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति कनेक्शन 100 रुपये बिल का भुगतान तय किया है. वहीं, आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों को प्रदेश के हित में पानी के बिल की अदायगी करने में कोई परेशानी नहीं है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में 21 सितंबर की जलशक्ति विभाग की अधिसूचना आने के बाद बवाल हो गया था. उस अधिसूचना में 25 रुपये टॉयलेट शुल्क का जिक्र था. अब ये अधिसूचना वापिस ली गई है.'
ये भी पढ़ें: 25 रुपए टॉयलेट शुल्क पर बवाल, बैकफुट पर सुक्खू सरकार