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6 हजार से ज्यादा राम मंदिरों के रोचक किस्से बताती पुस्तक का अयोध्या में होगा विमोचन, एमपी के संस्कृति विभाग की अनूठी पहल

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 21, 2024, 5:24 PM IST

Book on 6825 Ram temples : 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला को प्राण प्रतिष्ठा है, पूरा देश भगवान राम की भक्ति में डूबा है. इसी बीच मप्र संस्कृति विभाग ने भगवान राम के मंदिरों का संकलन कर यहां के मंदिरों की विशेषताएं और उनसे जुड़े रोचक किस्से शामिल किए हैं.

Book on 6825 Ram temples
6 हजार से ज्यादा राम मंदिरों के रोचक किस्से बताती पुस्तक

भोपाल. प्रदेश में भगवान श्रीराम के प्रमुख लोक महत्व के मंदिरों पर एकाग्र शोध ग्रंथ, श्रीराम माहात्म्य और महिमा तैयार कराया गया है. इसका विमोचन अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram lala pran pratishtha) के दौरान होगा. मप्र संस्कृति विभाग द्वारा जारी की जा रही इस पुस्तक में मप्र के 52 जिलों के 6825 राम मंदिरों को शामिल किया गया है. ये वे मंदिर हैं जो कि धार्मिक न्यास धर्मस्व विभाग, स्वतंत्र न्याय और सहकारी संस्थाओं द्वारा प्रदेशभर में संचालित हो रहे हैं. इनमें भगवान श्रीराम के 14 मंदिर भोपाल के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थित हैं.

21 शोधकर्ताओं ने 52 जिलों में की रिसर्च

जनजातीय संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक मिश्रा का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से 21 स्कॉलर्स ने मप्र के 52 जिलों में सर्वेक्षण किया. इन्होंने अलग-अलग जिलों में जाकर श्रीराम मंदिरों की जानकारी ली. इस दौरान मंदिर की फोटो और मंदिर की संक्षिप्त जानकारी को पुस्तक के माध्यम से बताया जा रहा है. यह पुस्तक शोधकर्ताओं के साथ जनमानस के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, जो कि भगवान श्रीराम के मंदिरों के बारे में जानना चाहते हैं. मप्र के 6825 श्रीराम मंदिरों का चयन कर उसे पुस्तक में शामिल किया गया है.


बेहद खास है त्रिभुवनलालजी का मंदिर

इस पुस्तक में भोपाल के त्रिभुवनलाल जी मंदिर से जुड़ी रोचक कहानी बताई गई है, लखेरापुरा के त्रिभुवनलाल जी का मंदिर 1860 में बनाया गया था. 1860 में भोपाल नवाब की बेगम सिंकदरजहां वापस इस रास्ते से गुजर रही थी, तब उनका घोड़ा बिदक गया और वे आगे ही नहीं बढ़ सकीं. उन्हें बीच रास्ते से ही लौटना पड़ा. यह बात उन्होंने अपने दीवान त्रिभुवन लाल को बताई. उन्होंने उस स्थान का जायजा लेकर बताया कि यह दिव्य स्थान है. त्रिभुवन लाल के द्वारा बाद में यहां पर राम दरबार की स्थापना की गई. उन्हीं के नाम पर इस मंदिर को त्रिभुवनलाल जी का मंदिर कहा जाता है.

सिंधिया राज में बनाए मंदिर व रोचक किस्से

इस पुस्तक में आगे बताया गया कि सिंधिया परिवार द्वारा अशोकनगर में दो मंदिर बनवाए गए थे. बताया जाता है की सिंधिया वंश के यहां पर संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी, जिसके बाद सिंधिया महाराज यहां पर पहुंचे और भगवान राम का आशीर्वाद लिया. इसके बाद उनके घर पर संतान प्राप्ति हुई, उसके ठीक 1 साल बाद सिंधिया घराने में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिससे खुश होकर सिंधिया परिवार ने पंडित को कई गांव दान में दे दिए और मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवाया. ग्वालियर संभाग के साथ-साथ बुंदेलखंड और मालवा में भी सिंधिया घराने ने काफी मंदिर बनवाए. मंदिर से जुड़ी एक और कहानी यह है कि माधवराव प्रथम को पुत्र प्राप्ति नहीं हो रही थी. इसके लिए माधवराव प्रथम ने चिलम बाबा से आशीर्वाद लिया और पुत्र का जन्म हुआ, इसके बाद चिलम बाबा के लिए सिंधिया ने राम जानकी मंदिर बनवाया, जिसे गुरु महाराज का मंदिर भी कहा जाता है.

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