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कभी संभाली उत्तराखंड की बागडोर, आज इन सूरमाओं को पार्टी ने दिया आराम, बीजेपी में बाध्य प्रतीक्षा का संकट! - Former CM of Uttarakhand

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 31, 2024, 10:58 AM IST

Updated : Mar 31, 2024, 7:57 PM IST

Former Chief Minister of Uttarakhand
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री

Former Chief Minister of Uttarakhand उत्तराखंड में कभी राजनीतिक रण के सूरमा अब बाध्य प्रतीक्षा सूची में है. बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं को फिलहाल पार्टी ने कोई काम नहीं दिया है. हालांकि, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ये नेता चुनावी प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन संगठन से लेकर सरकार तक में अहम जिम्मेदारियों से दूर पार्टी के इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को फिलहाल आराम फरमाने का मौका दिया गया है. विस्तार से पढ़िए पूरी खबर...

इन सूरमाओं को बीजेपी ने दिया आराम.

देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी के पास पूर्व मुख्यमंत्रियों की एक लंबी चौड़ी फौज है. भले ही राज्य स्थापना को 23 साल हुए हों, लेकिन यहां अकेले बीजेपी के पास ही 6 पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं. बहरहाल यहां बात इन पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को लेकर हो रही है.

दरअसल, बीजेपी ने उत्तराखंड में 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से दूर रखा है. ऐसे में प्रदेश की राजनीति के ये सुरमा फिलहाल पार्टी की बाध्य प्रतीक्षा सूची में रहकर राजनीतिक भविष्य के सवालों को तलाश रहे हैं. उत्तराखंड में वो पूर्व मुख्यमंत्री जिनकी उपयोगिता अभी लोकसभा चुनाव में प्रचार प्रसार तक ही सीमित रखी है और बीजेपी में जिनके राजनीतिक भविष्य पर पार्टी के भीतर भी चर्चा जारी है. वो कुछ इस प्रकार हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी: पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी जो कभी उत्तराखंड की राजनीति के केंद्र रहे और प्रदेश बीजेपी की राजनीति इन्ही के इर्द-गिर्द घूमती रही, लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से हटने के बाद अब वो सार्वजनिक जीवन में सक्रिय होने के बावजूद बीजेपी के राजनीतिक मैदान से दूर हैं.

Bhagat Singh Koshyari
भगत सिंह कोश्यारी (फोटो- X@BSKoshyari)

पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी: पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी उत्तराखंड में बीजेपी के लिए कितने महत्वपूर्ण रहे, इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि साल 2012 का चुनाव उन्हीं के नाम पर बीजेपी ने प्रदेश में लड़ा, लेकिन 'कभी खंडूड़ी है जरूरी का नारा' देने वाली बीजेपी के राजनीतिक रण से अब वो भी बाहर है. हालांकि, उनके बाहर होने की वजह उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य होना है.

Bhuwan Chandra Khanduri
भुवन चंद्र खंडूड़ी (फोटो- Facebook@ @Major General Bhuwan Chandra Khanduri, AVSM - retd)

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक: रमेश पोखरियाल निशंक जो कि हरिद्वार लोकसभा सीट से 2019 में संसद पहुंचे. उन्हें भारत सरकार में शिक्षा मंत्री की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई, लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही न केवल उनसे मंत्रालय वापस ले लिया गया. बल्कि, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट भी नहीं दिया गया. इस तरह पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी फिलहाल उत्तराखंड बीजेपी में जिम्मेदारियां को लेकर बाध्य प्रतीक्षा सूची में शामिल हो गए.

Ramesh Pokhriyal Nishank
रमेश पोखरियाल निशंक (फोटो X@DrRPNishank)

पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत: तीरथ सिंह रावत गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद बने, लेकिन इस बार उन्हें भी बीजेपी हाईकमान ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए टिकट नहीं दिया. तीरथ सिंह रावत के पास भी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं है और इस तरह उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी बीजेपी के भीतर ही कई तरह की चर्चाएं होने लगी है.

Tirath Singh Rawat
तीरथ सिंह रावत (फोटो- X@TIRATHSRAWAT)

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा: पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जो कि कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे, लेकिन इसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया, वो भी बीजेपी में आने के बाद किसी भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को नहीं पा सके. पिछले कई सालों से लगातार बीजेपी हाईकमान की नजरें इनायत उन पर नहीं हो पाई है. हालांकि, बीजेपी ने उनके बेटे को राजनीतिक जमीन जरूर दी है और वो न केवल दो बार विधायक भी चुनकर आए, बल्कि बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने में भी कामयाब रहे.

Vijay Bahuguna
विजय बहुगुणा (फोटो- Facebook@Vijay Bahuguna)

कांग्रेस बोली- यूज और थ्रो के सिद्धांत पर चलती है बीजेपी: लोकसभा चुनाव के दौरान हालांकि, इन 5 पूर्व मुख्यमंत्री में से 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों को स्टार प्रचारक के रूप में प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों की मौजूदा स्थितियों पर कांग्रेस चुटकी लेती हुई दिखाई देती है. कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि बीजेपी हमेशा यूज और थ्रो के सिद्धांत पर चलती है. अपनी पार्टी के नेताओं के साथ भी वो कुछ ऐसा ही कर रही है.

पूर्व मुख्यमंत्री में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वापसी में हासिल की कामयाबी: उत्तराखंड बीजेपी में दूसरी लाइन के नेताओं की भी बड़ी फौज तैयार हो चुकी है, ऐसे में अब पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए खुद को प्रदेश की राजनीति में बनाए रखना बड़ी चुनौती बन गया है. हालांकि, इस मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वापसी करने में कामयाबी हासिल की है.

इसके लिए भी उन्हें लंबे समय तक खाली हाथ ही रहना पड़ा था, लेकिन अब उन्हें हरिद्वार लोकसभा सीट पर टिकट देकर सक्रिय राजनीति में वापस लाया गया है. प्रदेश की राजनीति में इस वक्त सीएम पुष्कर सिंह धामी, त्रिवेंद्र सिंह रावत, अनिल बलूनी, अजय भट्ट, महेंद्र भट्ट फ्रंट लाइन पर राजनीतिक पिच पर बैटिंग कर रहे हैं.

क्या बोली बीजेपी? बीजेपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को जिम्मेदारियों से अलग रखे जाने को लेकर जहां कांग्रेस की अपनी थ्योरी है तो वहीं बीजेपी इससे इत्तेफाक नहीं रखती. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुरेश जोशी कहते हैं कि पार्टी के भीतर जिम्मेदारी देना पार्टी हाईकमान का काम है. कोई भी पार्टी का नेता और कार्यकर्ता बिना काम के नहीं होता है. प्रत्येक कार्यकर्ता पर पार्टी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी होती है. जहां तक पूर्व मुख्यमंत्रियों का सवाल है तो इस वक्त लोकसभा चुनाव के दौरान सभी के पास पार्टी प्रत्याशियों को जिताने का महत्वपूर्ण काम है.

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Last Updated :Mar 31, 2024, 7:57 PM IST
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