ETV Bharat / state

बीजेपी और कांग्रेस के लिए बस्तर सीट बनी चुनौती, सम्मान की लड़ाई में किसकी होगी विदाई - lok Sabha Election 2024

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 15, 2024, 7:16 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 8:21 PM IST

lok Sabha Election 2024
बीजेपी और कांग्रेस के लिए बस्तर बना नाक का सवाल

छ्त्तीसगढ़ में राजनीति का गढ़ यानी बस्तर सत्ता के दरवाजे तक पहुंचने के लिए सबसे बड़ा रास्ता माना जाता है.चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बस्तर को साधना चुनौती भरा रहा है. हर दल को यही लगता है कि बस्तर साधने के बाद उस दल का दबदबा पूरे प्रदेश में रहेगा.लिहाजा इस बार लोकसभा चुनाव में फिर से बस्तर के राजनीति दलों ने अपने अस्त्र निकाल लिए हैं.

सम्मान की लड़ाई में किसकी होगी विदाई

बस्तर : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपना मेनिफेस्टो जारी कर दिया है. बस्तर में 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान है.जिसके लिए बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने बड़ी सभाएं की है. दोनों ही राजनीतिक दलों के बीच बस्तर को लेकर लड़ाई आज से नहीं बल्कि उस वक्त से है जब ये सीट अस्तित्व में आई थी. आंकड़े बताते हैं कि शुरुआती दौर में बस्तर निर्दलीय प्रत्याशियों का गढ़ रहा.बाद में कांग्रेस और फिर बीजेपी ने इसे अपना गढ़ बनाया.लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो बस्तर की जनता ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव का समीकरण बदला है.

2014 और 2019 में बदला गणित : 2013 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनीं थी. सीएम रमन सिंह थे. उस वक्त जब 2014 में लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने बस्तर की सीट जीती. लेकिन साल 2018 कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई.इस वक्त ऐसा लगा कि लोकसभा में भी कांग्रेस जलवा बरकरार रखेगी.लेकिन बस्तर और कोरबा को छोड़कर छत्तीसगढ़ की नौ सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.कांग्रेस के लिए ये हार अप्रत्याशित थी.क्योंकि छह माह हुए विधानसभा चुनाव में जिस जनता ने कांग्रेस को भारी बहुमत दिया,वो छह माह बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ चली गई.लेकिन बस्तर में ऐसा नहीं था.बस्तर की जनता ने अपना झुकाव कांग्रेस के साथ रखा.जहां से साल 2019 में दीपक बैज सांसद बने.

मोदी लहर के बाद भी बीजेपी हारी बस्तर : 2018 विधानसभा की चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने बस्तर संभाग की 12 में से 11 सीटों पर कब्जा किया था. बीजेपी सिर्फ दंतेवाड़ा सीट ही बचा सकी थी.लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी नक्सली हमले का शिकार बन गए.जिसके बाद हुए उपचुनाव में देवती कर्मा ने ये सीट जीती.इसी समय हुए लोकसभा चुनाव में दीपक बैज ने बीजेपी के बैदूराम कश्यप को चुनाव हराकर संसदीय सीट पर कांग्रेस का झंडा लहराया था.वो भी तब जब पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी.इस बार भी जनता को उम्मीद थी कि पार्टी दीपक बैज को ही मैदान में उतारेगी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ,इसके उलट कांग्रेस ने कवासी लखमा को मैदान में उतारकर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है.

2023 में बस्तर ने फूल पर जताया भरोसा :2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बस्तर में अप्रत्याशित नतीजों से संतोष करना पड़ा.बस्तर संभाग के 12 में से 8 सीटें कांग्रेस हार गई.वहीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने मौजूदा सांसद दीपक बैज का टिकट काटकर कोंटा विधानसभा के विधायक कवासी लखमा को मैदान में उतारा है.ऐसे में बीजेपी के लिए इस बार बस्तर की लड़ाई जीतना थोड़ी आसान हुई है. क्योंकि दीपक बैज के समर्थक कहीं ना कहीं इस बात को लेकर जरुर नाराज होंगे कि उनकी जगह कवासी लखमा को तरजीह क्यों दी गई.कवासी लखमा भले ही सुकमा जैसे धुर नक्सल क्षेत्र में लोकप्रिय हो,लेकिन जब बात दीपक बैज से तुलना की हो तो लखमा की चमक थोड़ी फीकी पड़ जाती है.फिर भी कांग्रेस को उम्मीद है कि जिस तरह से पिछली बार मोदी लहर के बाद भी बस्तर की जनता ने कांग्रेस का साथ दिया,ठीक उसी तरह इस बार भी कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल करके विरोधियों का मुंह बंद कर देगी.

बस्तर की जनता फिर देगी हाथ का साथ: इस बारे में कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आंनद शुक्ला ने कहा कि इस बार भी हम बस्तर लोकसभा सीट जीतेंगे. बस्तर में विधानसभा में हमसे ज्यादा सीट बीजेपी की है. लेकिन 3 महीने में ही बस्तर की जनता को समझ आ गया कि हमारी सरकार थी तो हमने बस्तर में विश्वास विकास और सुरक्षा का नारा देकर बस्तर में शांति की बाहाली की थी. भूपेश बघेल की सरकार के दौरान 80 फीसदी नक्सली घटनाओं में कमी आई थी.बस्तर के अंदरुनी क्षेत्र में हमने सड़क का निर्माण कराया.उप स्वास्थ्य केंद्र की बहाली की, स्कूलों की बहाली की. 378 स्कूल जो बीजेपी सरकार के समय बंद हुआ था ,उसे खोला.

lok Sabha Election 2024
कांग्रेस का दावा फिर जीतेंगे बस्तर


'' मोदी का चेहरा डेंट हो चुका है ,उनके चेहरे पर नाकामी का बड़ा दाग देखने को मिल रहा है. 20 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिला, नाक के पास महंगाई दिखेगी. किसान किस प्रकार से बदहाल हैं. उसकी एमएसपी की गारंटी नहीं दे पाए. मोदी फेल हो चुके हैं. लोकसभा राष्ट्रीय मुद्दों पर होगा तो उसकी छाप स्थान स्तर पर भी दिखेगी.'' सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष मीडिया विभाग कांग्रेस


पांच साल में कितना बदला समीकरण : महज पांच साल में बस्तर के बदले समीकरण को लेकर बीजेपी का अपना दावा है.बीजेपी मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी पीएम मोदी के कामकाज को लेकर आदिवासी समाज काफी उत्साहित है.बस्तर में मोदी की सभा में उमड़ा जनसैलाब इस बात की गवाही दे रहा था कि आदिवासियों के मन में मोदी के लिए कितना प्यार है. मोदी ने आदिवासी समाज के लिए काम किया, बस्तर को नगरनार प्लांट की सौगात दी , काम के आधार पर मोदी को और बीजेपी को वोट पड़ने वाला है. क्योंकि कवासी लखमा ने खुद कहा था कि मैं टिकट ही नहीं चाह रहा था. टिकट दीपक बैज को देना था. यह कहकर उन्होंने कहीं ना कहीं वहां की जनता का अपमान किया है. वे खुद लड़ना नहीं चाहते, सेवा नहीं करना चाहते, तो जनता उन्हें क्यों वोट देगी.

lok Sabha Election 2024
कांग्रेस का दावा हर बार होता है फेल, फिर जीतेगी बीजेपी

''पिछले 10 साल में कांग्रेस ने दोनों लोकसभा चुनाव में कहा कि हम जीत रहे हैं.लेकिन 40-50 सीट ही उनकी आती है दावा करने का उनको अधिकार है.''- अमित चिमनानी, मीडिया प्रभारी बीजेपी

2019 में टूटा बीजेपी का तिलिस्म : वही राजनीति की जानकारी एवं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कहा कि जब से छत्तीसगढ़ बना है, तब से बस्तर बीजेपी के पास रहा है. लोकसभा सीट की बात की जाए तो यहां कश्यप परिवार का दबदबा था.लेकिन 2019 में बीजेपी का तिलिस्म टूट गया. मोदी लहर के बाद भी दीपक बैज ने बस्तर की सीट कांग्रेस की झोली में डाली. लेकिन अब वापस बीजेपी सीट को हासिल करना चाहती है. बस्तर आदिवासी क्षेत्र है और वहां का संदेश पूरे देश में जाता है .

'' बस्तर की सीट दोनों राजनीतिक दलों के लिए सीना चौड़ा करने वाली सीट है. इसलिए दोनों ही दल इस पर फोकस किए हुए हैं. यह सीट दोनों के लिए किसी चुनौती से काम नहीं है. जहां एक और कांग्रेस के लिए इस सीट को बचाना बड़ी चुनौती होगी ,वहीं दूसरी ओर बीजेपी को वापस उस सीट पर कब्जा हासिल करना चुनौती से काम नहीं होगा.इसलिए मोदी की सभा उसे क्षेत्र में कराई गई. राहुल गांधी की सभा सब इस क्षेत्र में फोकस कर रहे हैं. उचित शर्मा वरिष्ठ पत्रकार

बस्तर लोकसभा में कितनी विधानसभाएं :बस्तर लोकसभा में आठ विधानसभाएं आती हैं. जिनमें कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर,दंतेवाड़ा, चित्रकोट, बीजापुर और कोंटा हैं.इन आठ विधानसभाओं की बात करें तो 6 विधानसभाओं में बीजेपी का कब्जा है.जबकि दो विधानसभा कांग्रेस के पास है.कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार कद्दावर मंत्री कवासी लखमा को बनाया है.जो कोंटा विधानसभा से विधायक हैं. कवासी पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. जबकि बीजेपी की ओर से महेश कश्यप चुनाव मैदान में हैं.

कब है बस्तर में चुनाव ? : 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बस्तर का रण होगा. बीजेपी के महेश कश्यप और कांग्रेस के कवासी लखमा के बीच मुख्य मुकाबला है. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी टीकम नागवंशी के चुनाव मैदान में आने पर मुकाबला और भी रोचक हो गया है. 19 अप्रैल को मतदान के बाद जून माह की 4 तारीख को आम चुनाव के रिजल्ट के साथ ही बस्तर के चुनाव परिणाम भी आएंगे.

कौन है कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा: 70 साल के कवासी लखमा कोंटा से 6 बार विधायक हैं. पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में कवासी लखमा आबकारी मंत्री के पद पर थे. साल 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल सरकार के नौ मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा था लेकिन कवासी लखमा को कोंटा सीट से जीत मिली थी.

कौन है भाजपा प्रत्याशी महेश कश्यप: 49 वर्षीय महेश कश्यप पूर्व सरपंच रह चुके हैं. विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल में अपना लोहा मनवाया है. इस वजह से पार्टी नेताओं की इनपर नजर पड़ी. धर्मांतरण विरोधी अभियान में भी महेश कश्यप ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया.

बस्तर में कितने वोटर्स : साल 2019 की बात करें तो बस्तर में 1379122 मतदाता थे. जिसमें से वैलिड वोटों की संख्या 912846 थी. पिछले चुनाव में कांग्रेस के दीपक बैज ने चुनाव में जीत हासिल की थी. दीपक बैज को बस्तर लोकसभा सीट में 402527 मत हासिल हुए थे. उनके मुकाबले बीजेपी के बैदूराम कश्यप को 363545 मत हासिल हुए थे.बैदूराम ये मुकाबला 38982 वोटों से हार गए थे.

वर्चस्व की लड़ाई में कौन पड़ेगा भारी : साल 2024 में बस्तर की लड़ाई अब वर्चस्व की लड़ाई बन चुकी है.बीजेपी इस बार बस्तर को किसी भी कीमत में हाथ से नहीं जाने देना चाहती.वहीं कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए मैदान में अपने सबसे अनुभवी खिलाड़ी को उतारा है. कांग्रेस का मानना है कि उनके पास बस्तर को बचाने के लिए इससे बड़ा चेहरा इस वक्त नहीं था.वहीं बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं और मोदी के चेहरे पर एक बार फिर मैदान में हैं.ऐसे में देखना ये होगा कि हर बार की तरह बस्तर की जनता विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखकर कैंडिडेट को चुनती है,या फिर पुराने सांसद के काम को तरजीह देकर एक बार फिर कांग्रेस को मौका मिलता है.

बस्तर के चुनावी मुद्दे: बस्तर का मुख्य चुनावी मुद्दा नक्सलवाद है. क्योंकि विकास का रोडमैप इसी के इर्दगिर्द घूमता है. हाल ही में बनी विष्णुदेव साय सरकार का दावा है कि धुर नक्सल इलाकों में सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित कर अंदरूनी गांवों में स्कूल, रोड बनाए जा रहे हैं. भाजपा ने बघेल सरकार पर नक्सलियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. जबकि कांग्रेस का आरोप है कि नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को मारा जा रहा है. इसके अलावा दूरस्थ क्षेत्रों को रेल, सड़क से जोड़ना बड़ी चुनौती हैं.

बस्तर के आमाबाल में पीएम नरेंद्र मोदी की हुंकार, आदिवासी, गरीब और महिलाओं पर फोकस, कांग्रेस की नीतियों को बताया जनविरोधी - LOK SABHA ELECTION 2024
बस्तर में पीएम मोदी का कांग्रेस पर वार, कहा गरीबी हटने तक चैन से नहीं बैठूंगा, देश में लूट व्यवस्था हुई बंद - Lok Sabha Election 2024
पीएम मोदी के बस्तर दौरे से पहले नक्सलियों के बड़े मास्टर प्लान का खुलासा, सुकमा में विस्फोटक का जखीरा मिला - PM Modi Bastar visit
Last Updated :Apr 18, 2024, 8:21 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.