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हर बुखार में नहीं दी जाएगी एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, शोध में सामने आये चौकाने वाले फैक्ट

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 29, 2024, 7:38 PM IST

हर बुखार में एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन दवा नहीं दी जाएंगी. 350 मरीजों पर शोध के बाद आईसीएमआर के सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक पांडेय और उनकी टीम ने पाया कि इन दवाओं से इंसान के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ रहा है.

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Etv Bharat हर बुखार में नहीं दी जाएंगी एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, शोध में सामने आये चौकाने वाले फैक्ट

जानकारी देते आईसीएमआर के सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक पांडेय

गोरखपुर: कोरोना काल में जब लोगों का जीवन संकट में था और शरीर बुखार से पूरी तरह तप रहा था, तो दवाओं के पैकेट में एज़िथ्रोमाइसिन नाम की एंटीबायोटिक दवा बहुत महत्वपूर्ण हो गई थी. लेकिन कोरोना धीरे-धीरे खत्म हो गया फिर भी इस दवा का प्रचलन बढ़ता गया. इसके साथ ही डॉक्सीसाइक्लिन दवा का भी खूब उपयोग बढ़ा. देखने को मिला कि सामान्य से बुखार और अन्य समस्याओं में भी डॉक्टर के द्वारा यह मरीज को उपयोग के लिए लिखा जाने लगा.

सरकारी स्तर के अस्पतालों में भी यह मरीजों के पर्चे पर एडवाइस में दवा दी जाती थी. लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी सामने आ रहे थे. यही वजह है कि आईसीएमआर ने गोरखपुर के 11 पीएचसी पर आने वाले मरीजों के पर्चे को शोध का आधार बनाया. उसने 350 मरीजों को शोध में शामिल किया तो जो परिणाम निकल कर आए वह चौंकाने वाले थे. भारत सरकार के शोध की इस महत्वपूर्ण संस्थान ने अपने शोध को पूरा करने के साथ इसे निदेशालय को भेजने की तैयारी में है.

Azithromycin and doxycycline will not be given in every fever,
350 मरीजों को शोध में शामिल किया

सरकार की अनुमति मिलते ही इसे विभिन्न प्रकार के रोग में उपयोग से रोका जा सकेगा. इससे इसका साइड इफेक्ट मरीजों पर नहीं पड़ेगा और उनकी प्रतिरोधक क्षमता भी बनी रहेगी. क्योंकि एंटीबायोटिक की यह दवा मानव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को अन्य रोगों से लड़ने में असहज कर रही है. भारत सरकार की शोध के क्षेत्र में काम करने वाली प्रमुख संस्था आईसीएमआर के सीनियर वायरोलॉजिस्ट, डॉक्टर अशोक पांडेय और उनकी टीम ने इन दावों को लेकर अपने शोध को अंजाम तक पहुंचाया है.

उन्होंने कहा कि एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन दवा को इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी के नियंत्रण में उपयोग करने के लिए, आईसीएमआर संस्था ने ही अपना शोध और सुझाव भारत सरकार को दिया था. इसके बाद यह मरीज को दी जाती थी जिससे उनका बुखार नियंत्रण में हो और उन्हें झटका आदि न आये. लेकिन जब कोरोना जैसी महामारी देश में फैली तो इस दौरान भी ज्यादातर मरीज गंभीर बुखार की चपेट में आते थे. एज़िथ्रोमाइसिन समेत दूसरी दवा मरीज को व्यापक स्तर पर दी जाने लगी. कोरोना का दौरा लगभग खत्म हो चुका है.

Azithromycin and doxycycline will not be given in every fever,
रखपुर के 11 पीएचसी पर आने वाले मरीजों के पर्चे को शोध का आधार बनाया

अस्पतालों में अब भी बुखार से पीड़ित मरीज आ रहे हैं. लेकिन अभी भी उन्हें एज़िथ्रोमाइसिन जैसी दवा दी जा रही जो की उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस दवा के प्रयोग से इंसान के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ रहा है. जिसका नतीजा होगा कि भविष्य में किसी अन्य बीमारी की चपेट में आने के बाद, अगर उसे दूसरी एंटीबायोटिक दवा की आवश्यकता पड़ेगी तो इन दवाओं के देने की वजह से, दूसरी अन्य एंटीबायोटिक दवा उस रोग की स्थिति में प्रभावी ढंग से काम नहीं करेगी. इसलिए एज़िथ्रोमाइसिन के व्यापक उपयोग पर रोक लगाई जानी शोध में आवश्यक बताया गया है.

Azithromycin and doxycycline will not be given in every fever,
एज़िथ्रोमाइसिन के व्यापक उपयोग पर रोक लगाने की सलाह

उन्होंने कहा कि इस दवा का प्रचलन सरकारी अस्पतालों के सीएचसी और पीएचसी पर भी अभी लिखी जा रही है. इसीलिए गोरखपुर के 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो को आधार बनाकर आईसीएमआर ने अपनी जांच और शोध को आगे बढ़ाया. जिसमें 350 मरीज उस लिस्ट में शामिल थे जिन पर यह दवाएं चलाई जा रही थी. उन्होंने कहा कि एज़िथ्रोमाइसिन देने से "स्क्रब टायफस" नाम का वायरस जो इन्सेफेलाइटिस की बीमारी का प्रमुख कारण होता था, उसे रोकने में कामयाबी मिलती थी. इसलिए इस शोध में पाया गया कि जिन मरीजों को यह दवा दी गई अगर वह ठीक हुए तो क्या वह स्क्रब टायफस जैसे वायरस से ग्रसित थे.

Azithromycin and doxycycline will not be given in every fever,
अस्पतालों में अब भी बुखार से पीड़ित मरीज आ रहे हैं.

अगर नहीं ठीक हुए और इसका उनपर क्या असर हुआ. अगर इसके भी चपेट में नहीं थे तो फिर इन दवाओं का प्रयोग उन पर नहीं किया जाना चाहिए था. उन्होंने बताया कि इसके शोध के परिणाम तक उनकी टीम पहुंच चुकी है. आंकड़े संकलित हैं. लेकिन उसे अभी अंतिम परिणाम के रूप में संकलित नहीं किया गया है. बहुत जल्द इसको संकलित करते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय के साथ भारत सरकार को अनुमति के लिए भेजा जाएगा. जिससे इन दवाओं के अंधाधुंध प्रयोग को रोका जा सके. भविष्य में लोगों की प्रतिरोधक क्षमता के साथ भी कोई खिलवाड़ ना हो, उन्हें नुकसान न उठाना पड़े. इसका भी उन्हें लाभ मिलेगा.

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