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अभिनेता अरुण गोविल बोले, रामचरितमानस पढ़ने, समझने और जीवन में उतारने की जरूरत, इससे निखरता जीवन

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 1:44 PM IST

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Farrukhabad News: अभिनेता और टीवी के राम अरुण गोविल फर्रुखाबाद में माघ मेला श्री राम नगरिया में पहुंचे थे. यहां उन्होंने लोगों को रामायण के संवाद सुनाकर भाव विभोर कर दिया.

फर्रुखाबाद में अभिनेता अरुण गोविल ने रामायण के संवाद सुनाए.

फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में पांचाल घाट गंगा तट पर लगे माघ मेला श्री राम नगरिया में पहुंचे अभिनेता और टीवी के राम अरुण गोविल ने रामायण के संवाद सुनाकर लोगों को भाव विभोर कर दिया. उन्होंने कहा कि रावण को सब कुछ मालूम था कि मेरी दुश्मनी प्रभु श्री राम से है, जो भगवान हैं. मुझे भगवान ही मार सकते हैं. भगवान के हाथों मौत होने से मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसीलिए उसने माता सीता का अपहरण किया था और प्रभु श्री राम से बैर पाला था.

लोगों की आस्था का केंद्र रहे धारावाहिक रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल बुधवार की देर रात मेला रामनगरिया के सांस्कृतिक पंडाल में पहुंचे, तो उन्हें देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. उन्होंने रामायण के संवाद सुनाए तो लोग भाव विभोर हो गए. उन्होंने कहा कि रामायण सुनने और देखने के बाद नई चीज मिलती है. जिससे जीवन में निखार आता है.

Farrukhabad
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अभिनेता अरुण गोविल ने सुनो जी राम की कहानी शीर्षक पर बोलते हुए भरत का चरित्र सुनाया. उन्होंने कहा कि ऋषि विश्वामित्र अस्त्र शस्त्रों की विद्या में निपुण थे. इसके बावजूद वह महाराजा दशरथ से उनके पुत्र प्रभु श्री राम व लक्ष्मण को राक्षसों के विनाश के लिए मांग कर ले गए थे.

रामायण का वृतांत बताते हुए उन्होंने कहा कि रामायण में माता कैकेई का महत्वपूर्ण किरदार है. प्रभु श्री राम को पहले से ही सब पता था. माता कैकेई ने प्रभु श्री राम को वन नहीं भेजा था. उन्होंने वरदान मांगा था. माता कौशल्या ने पिता के वचन का अनुसरण करने को भगवान राम को वन भेजा था. उन्होंने भाई भरत का चित्रण करते हुए कहा कि भरत जैसा भाई भी होना मुश्किल है. राज-पाट त्याग कर उन्होंने भगवान की खड़ाऊ के नीचे बैठकर सेवा की.

साथ ही उन्होंने भाई लक्ष्मण का चित्रण करते हुए कहा कि अगर भाई के साथ सेवा भाव की बात करें तो लक्ष्मण का नाम सबसे ऊपर आता है. वह भाई की सेवा करने के लिए भाई के साथ 14 वर्ष तक वन में रहे और लंका में रावण से हुए युद्ध में भाई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे.

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