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सिलक्यारा टनल निर्माण में आई तेजी, बढ़ाए जा रहे सुरक्षा इंतजाम, टनल में फंसने वाला सोविक फिर साइट पर पहुंचा

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 18, 2024, 3:29 PM IST

Uttarkashi Silkyara Tunnel उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में डी-वाटरिंग शुरू करने की कार्रवाई तेज हो गई है. टनल में सुरक्षा इंतजामों को बढ़ाया जा रहा है. भूस्खलन वाली जगह पर रेत के कट्टे लगाए जा रहे हैं. वहीं, टनल में 17 दिन तक फंसे रहने वाले पश्चिम बंगाल के सोविक भी टनल पर पहुंचे हैं.

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उत्तरकाशी

उत्तरकाशी: सिलक्यारा सुरंग में डी-वाटरिंग शुरू करने के लिए कवायद जारी है. इंजीनियर और श्रमिक ऑगर मशीन से डाले गए 800 एमएम के पाइपों से फिर सुरंग के अंदर गए. जिसके बाद पाइप से उन तक रेत से भरे 50 कट्टे भेजे गए. अधिकारियों का कहना है कि ये कट्टे दूसरी तरफ से मलबे के ऊपर लगाए जाएंगे, जिससे भूस्खलन के दौरान आए मलबे से मिट्टी गिरने का खतरा न रहे.

यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग के सिलक्यारा वाले मुहाने से निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. भूस्खलन हादसे के दौरान आए मलबे के कारण यहां निर्माण शुरू करने के लिए जरूरी डी-वाटरिंग की तैयारियां की जा रही हैं. बीते शुक्रवार को यहां रेस्क्यू के लिए डाले गए पाइपों से पहली बार एसडीआरएफ के जवान और इंजीनियर अंदर गए थे.

दूसरे दिन भी इंजीनियर, एसडीआरएफ के जवान और श्रमिक अंदर गए, जो शाम तक अंदर रहे. इस दौरान अंदर गई टीम ने डी-वाटरिंग पंपों की जांच, रिसाव से जमा पानी का स्तर चेक के साथ सुरक्षा व्यवस्था परखी. सूत्रों के अनुसार यह टीम अंदर कुछ कैमरे भी लगाएगी. जिससे डी-वाटरिंग शुरू होने पर अंदर नजर रखी जाएगी. टीम को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए कंप्रेशर से हवा की आपूर्ति भी शुरू की गई है.

एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया अंदर रेत से भरे 50 कट्टे डाले गए हैं, जो कि भूस्खलन के मलबे के ऊपर लगाए जाएंगे. जिससे मिट्टी कटने का खतरा न रहे. बताया कि अंदर भी पुख्ता सुरक्षा इंतजाम कर जल्द डी-वाटरिंग शुरू की जाएगी.

17 दिन टनल में फंसा था बंगाल का सोविक फिर सिलक्यारा लौटा: घर में कितने दिन बैठा रहता, काम तो करना ही पड़ेगा. जोखिम तो हर जगह है, जिधर भी काम करेंगे. यह कहना है पश्चिम बंगाल के हुगली निवासी सोविक पाखिरा का. सोविक उन श्रमिकों में से एक है जो सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हादसे के बाद 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे थे. यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-पोलगांव सुरंग निर्माण को अनुमति मिलने के बाद श्रमिकों के धीरे-धीरे लौटने का सिलसिला जारी है. इन श्रमिकों में से वह भी है जो हादसे के दौरान सुरंग के अंदर फंस गए थे. अब तक ऐसे तीन श्रमिक काम पर वापस लौटे हैं.

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17 दिन टनल में फंसा था बंगाल का सोविक, फिर सिलक्यारा लौटा

इनमें से एक 25 वर्षीय पेशे से इलेक्ट्रीशियन सोविक पाखिरा ने बताया कि जब वह सुरंग के अंदर फंसे तो पहले दिन तो घबरा गए थे. लेकिन जब बाहर से बातचीत शुरू हुई तो खुद को संभाला. छुट्टी के दौरान वह रिश्तेदारों के यहां गया, पूजा पाठ कराया. जब शुरू में वह घर गया तो मां ने दोबारा वापस नहीं जाने देने की बात की थी. लेकिन जैसे-जैसे समय बीता तो सबको लगा कि घर में रहने से तो काम नहीं चलेगा. बताया कि उन्हें जो पैसा उत्तरखंड सरकार और निर्माण कंपनी से मिला था. उसका उसने खुद के नाम पर एफडी करवाई है. सोविक ने बताया कि अभी उसे सुरंग के अंदर नहीं भेजा गया है. बाहर ही ड्यूटी पर तैनात किया गया है.

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