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भारत-पाक बॉर्डर पर 12 साल से बंद पड़ी हैं सीआईडी बीआई की 24 चौकियां, बॉर्डर पर तस्करी बढ़ी, चौकियां फिर खोलने की मांग

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 22, 2024, 7:46 PM IST

जैसलमेर में सरहद पर करीब 24 सीआईडी बॉर्डर इंटेलिजेंस की चौकियों पर पिछले 12 साल से ताला लगा है. 12 साल पहले इन चौकियों को अनुपयोगी समझकर बंद कर दिया गया था. इस बीच बंद सरहदी चौकियों को खोलने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. पुलिस और एजेंसियों ने भी माना है कि सुरक्षा के लिहाज से इन्हें फिर से शुरू किए जाने की आवश्यकता है.

चौकियां फिर खोलने की मांग
चौकियां फिर खोलने की मांग

भारत-पाक बॉर्डर पर 12 साल से बंद पड़ी हैं सीआईडी बीआई की 24 चौकियां.

जैसलमेर. सरहदी जिले में भारत-पाक बॉर्डर पर संदिग्ध लोगों की निगरानी के लिए सीआईडी बॉर्डर इेटेलिजेंस की चौकियों का निर्माण किया गया था, लेकिन 12 साल पहले इन चौकियों को अनुपयोगी बताकर बंद कर दिया गया था. अब इन चौकियों को फिर से खोलने की मांग उठ रही है. सरहद के पास आबादी विस्तार, सड़क सुविधा और मोबाइल नेटवर्क आने के साथ-साथ बाहरी प्रदेशों और विदेशों से कई लोगों का आना-जाना लगा रहता है. स्थानीय लोगों में भी बंद सरहदी चौकियों को खोले जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. पुलिस और एजेंसियों का भी मानना है कि सुरक्षा के लिहाज से इन्हें फिर से शुरू करने की आवश्यकता है. पुलिस मुख्यालय पिछले 2 साल से बंद इन चौकियों को खुलवाने के प्रयास में जुटा है. इन चौकियों को खोलने के लिए 144 पदों की भी मांग की गई थी. अनुमान लगाया जा रहा है कि बंद चौकियां शुरू करने पर सालाना साढ़े चार करोड़ का खर्च बढ़ेगा.

ये राष्ट्रीय स्तर की चिंता का विषय : बॉर्डर इंटेलिजेंस की चौकियों को फिर से शुरू करने को लेकर जोधपुर पुलिस रेंज के आईजी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस में इंटेलिजेंस की विंग अलग है, लेकिन बॉर्डर इंटेलिजेंस के बारे में जो भी बातें सामने आएंगी, इसको लेकर उनसे समन्वय किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बॉर्डर इंटेलिजेंस की चौकियां सीमावर्ती क्षेत्रों में बंद होना राष्ट्रीय स्तर की चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी मंथन हो रहा है कि इन चौकियों को शुरू किया जाए. हालांकि जैसलमेर से लगती अंतर्राष्ट्रीय सीमा तस्करी की घटनाएं कम ही सामने आई हैं, लेकिन बीकानेर, श्रीगंगानगर और पंजाब की तरफ न केवल नशीली वस्तुएं, बल्कि हथियार और विस्फोटक सामग्री सहित अन्य चीजें भी सीमा पार से आने की बातें सामने आती रही हैं.

12 सालों से बंद पड़ी हैं 24 चौकियां
12 सालों से बंद पड़ी हैं 24 चौकियां

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सिर्फ कागजों में हुई कार्यवाही : गौरतलब है कि पंजाब के गुरुदासपुर और पठानकोट सहित अन्य आतंकी हमलों के बाद वर्ष 2016 के फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में गृह मंत्रालय की संसदीय समिति ने सरहदी क्षेत्रों का दौरा किया था. तब जोधपुर में आयोजित एक बैठक में निगरानी के लिहाज से इन चौकियों को फिर से शुरू करने का मुद्दा उठाया गया था, लेकिन गृह मंत्रालय ने अभी तक इन चौकियों खोलने की मंजूरी नहीं दी है. सूत्रों ने बताया कि भारत-पाक बॉर्डर पर 12 साल से बंद बॉर्डर इंटेलिजेंस की इन चौकियों को शुरू करने का दावा पांच साल से सिर्फ कागजों में नजर आ रहा है. सरकार को भेजे गए प्रस्ताव पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है, जबकि बॉर्डर पर लगातार तस्करी और संदिग्ध घुसपैठ करने के प्रकरण सामने आते रहते हैं. इसलिए इन चौकियों को शुरू करने की जरूरत महसूस की जा रही है.

वर्ष 2016 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जैसलमेर दौरे और वर्ष-2017 में बाड़मेर दौरे के दौरान बॉर्डर पर बंद सीआईडी बीआई की चौकियों को फिर से खोलने की बात कहते हुए नए पद सृजित करने की बात कही थी, लेकिन पांच साल बीतने के बावजूद यह दावा महज कागजों में ही रह गया. बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ और पुलिस के अलावा सीमाजन कल्याण समिति भी सरकार को इस विषय को लेकर अवगत करवा चुकी है. सीमाजन कल्याण समिति के प्रांत मंत्री वीरेंद्र सिंह सोढ़ा ने बताया कि बॉर्डर पर सीआईडी बीआई की चौकियां खुफिया तंत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इन चौकियों से आंतरिक खुफिया एजेंसियों का नेटवर्क मजबूत था. वहीं, तारबंदी के बाद इन चौकियों को बंद कर दिया गया, लेकिन बॉर्डर पार से हेरोइन और फर्जी नोट सहित अन्य सामान की तस्करी जारी है. चौकियां संचालित होने से बॉर्डर पर संदिग्ध लोगों पर निगरानी रहती थी.

चौकियां फिर खोलने की मांग
चौकियां फिर खोलने की मांग

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तस्करों की सक्रियता बढ़ी : वीरेंद्र सिंह सोढ़ा ने बताया कि करीब दो साल से बंद चौकियों को शुरू करने संबंधी प्रस्ताव कागजों में ही घूम रहा है. पुलिस मुख्यालय ने बंद की गई बॉर्डर इंटेलीजेंस की चौकियों को शुरू करने के प्रस्ताव पर कार्यवाही की जानकारी मांगी है. वहीं, सीमा सुरक्षा बल भी इन चौकियों को शुरू करने के पक्ष में है. पुलिस सूत्रों की मानें तो बॉर्डर पर बंद चौकियों को खुलवाने के लिए प्रस्ताव दो वर्ष पहले भेजा जा चुका है और मुख्यालय को सुरक्षा से संबंधित कई पहलुओं से अवगत कराया गया है. सूत्रों के अनुसार संबंधित चौकियों के क्षेत्रों में से कई स्थानों पर तस्करों की सक्रियता बढ़ी है और सुरक्षा पर खतरा भी मंडराया है. मादक पदार्थों नकली नोटों के साथ-साथ हथियारों की तस्करी के साथ जासूसी का खतरा भी बढ़ा है.

ये प्रकरण आए सामने : एक साल पहले बाड़मेर पुलिस ने 2 किलो 750 ग्राम हेरोइन व 6 लाख रुपए नकली नोट बरामद किए. यह खेप पाक से आई थी और बॉर्डर के पास गांव में रहने वाले तस्करों ने कुरियर प्राप्त किया था. इसी प्रकार फरवरी 2021 में सीमा पार से आई 7 किलो हेरोइन बरामद कर तस्करों को गिरफ्तार किया गया. वहीं, हेरोइन तस्करी में लिप्त तस्कर भी बॉर्डर के गांवों में रुका रहा और एक सप्ताह पहले बीएसएफ ने उसे पकड़ा था. इसी जैसलमेर जिले में गत वर्ष 2023 में जयपुर क्राइम ब्रांच का डेरा रहा और इस दौरान भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए गए. इसी प्रकार 1 युवक को जोधपुर से पकड़ने के बाद उसके पास से 9 किलो हेरोइन पकड़ी गई. वर्ष 2023 भारत-पाकिस्तान सरहद पर क्राइम ब्रांच ने सूचना के आधार पर जमीन से खोदकर 40 करोड़ की 11 किलो हेरोइन को बरामद किया. इसे भारत-पाक बॉर्डर के पास एक पेड़ के नीचे से खोदकर निकाली गई थी.

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