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दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में सिर्फ एक न्यूरो सर्जन के भरोसे चल रहा 86 बेड का न्यूरोसर्जरी विभाग

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 7, 2024, 10:43 AM IST

Lok nayak Hospital neurosurgery department: राजधानी के लोक नायक अस्पताल में हर रोज हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन यहां का न्यूरोसर्जरी विभाग केवल एक न्यूरोसर्जन के भरोसे चल रहा है. वहीं विभाग में कई पद काफी समय से खाली हैं, जिससे विभाग का संचालन पूरी क्षमता के साथ नहीं जा पा रहा है.

Loknayak Hospital
Loknayak Hospital
डॉ. पीएन पांडेय

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक में 1997 में स्थापित न्यूरो सर्जरी विभाग, इन दिनों बदहाली का शिकार है. इतना महत्वपूर्ण विभाग होने के बावजूद स्थापना से लेकर आज तक इसमें कभी स्वीकृत पद पूरी तरह भरे ही नहीं गए. इतना ही नहीं, 86 बेड के न्यूरोसर्जरी विभाग में डॉक्टरों के स्वीकृत पांच पद में से सिर्फ दो पदों पर ही डॉक्टरों की तैनाती थी. इनमें से एक विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पीएन पांडेय और दूसरे असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर हैं. इसके अलावा डॉक्टरों के तीन पद यहां लंबे समय से खाली हैं. अब पिछले सप्ताह डॉ. पीएन पांडेय को प्रमोद नाम के मरीज को भर्ती न किए जाने के कारण हुई मौत के मामले में निलंबित कर दिया गया है. ऐसे में अब न्यूरोसर्जरी विभाग को चलाने की जिम्मेदारी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर पर आ गई है. अब वे विभाग में इकलौते न्यूरो सर्जन हैं और विभाग उनके भरोसे ही चल रहा है.

विभाग में टेक्निकल स्टाफ के कुल 28 पद हैं, जो खाली हैं. इन पदों के खाली होने से ऑपरेशन के लिए दूसरे विभागों से टेक्निकल स्टाफ को मांगना पड़ता है. जब दूसरे विभाग से टेक्निकल स्टाफ मिलता है, तभी न्यूरोसर्जरी में किसी मरीज का ऑपरेशन हो पाता है. विभाग में 86 बेड, दो ऑपरेशन थिएटर और 14 बेड का आईसीयू है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते प्रतिदिन एक ऑपरेशन ही हो पाता है. विभाग के डॉक्टरों की मानें तो अभी न्यूरो सर्जरी विभाग में दूसरे विभागों के दो एनेस्थीसिया के डॉक्टर और दो टेक्नीकल असिस्टेंट कार्यरत हैं. हालांकि ये लोग भी इतने प्रशिक्षित नहीं हैं कि 14 बेड के आईसीयू को संभाल सकें और ऑपरेशन में भी मदद कर सकें. इसलिए काफी समय से न्यूरो सर्जरी का आईसीयू, प्रशिक्षित टेक्निकल असिस्टेंट के भरोसे ही चला है.

न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने तीन सितंबर, 2021 को अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार को पत्र लिखकर खाली पदों को भरने की मांग भी की गई थी. फिर जब एक साल तक पद नहीं भरे गए तो अगले वर्ष आठ सितंबर, 2022 को दिल्ली सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी मेडिकल को पत्र लिखकर विभाग में खाली पदों को भरने की मांग की गई थी. इसके बाद अनुबंध के आधार पर कुछ लोगों को रखा गया, लेकिन बाद में इन लोगों के अस्पताल छोड़ देने के कारण फिर से टेक्निकल स्टाफ के पद खाली हो गए.

इसके बाद विभागाध्यक्ष की ओर से 30 जनवरी, 2023 को लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार को पत्र लिखकर न्यूरोसर्जरी आईसीयू के लिए टेक्निकल स्टाफ की मांग की गई, लेकिन साल दिसंबर महीने में न्यूरो सर्जरी विभाग में एनेस्थीसिया के दो डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश चिकित्सा निदेशक ने दिया.

ये दो डॉक्टर भी दूसरे विभागों से न्यूरो सर्जरी में भेजे गए. न्यूरो सर्जरी विभाग के निलंबित विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने बताया कि लोकनायक अस्पताल का न्यूरोसर्जरी विभाग, न्यूरोसर्जरी की इमरजेंसी चलाने के लिए दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में सबसे बड़ा विभाग है. लेकिन देश की राजधानी में न्यूरो के 50 प्रतिशत मरीजों की मौत तो मौके पर ही हो जाती है. कुछ मरीज तो एक हजार किलोमीटर दूर से आते हैं और ट्रॉमा सर्विस न होने के कारण उसके इलाज में आठ-आठ घंटे लग जाते हैं.

डॉ. पांडेय ने बताया कि 2010 बेड के लोकनायक अस्पताल में ट्रामा सर्विस की सुविधा न होने के चलते मरीज एक विभाग से दूसरे विभाग में धक्के खाते रहते हैं. इस व्यवस्था में सुधार के लिए यहां ट्रॉमा आईसीयू, ट्रॉमा एक्सपर्ट और ट्रॉमा मैनेजमेंट की व्यवस्था होनी चाहिए. ट्रॉमा के मरीज के लिए एक-एक मिनट कीमती होता है. उन्होंने बताया कि लोकनायक अस्पताल में न्यूरोसर्जरी की इमरजेंसी में प्रतिदिन 25 से 30 मरीज आते हैं. इनमें एक्सीडेंटल और नॉन एक्सीडेंटल दोनों तरह के इमरजेंसी मरीज शामिल हैं. इन मरीजों के इमरजेंसी ऑपरेशन यहां होते रहते हैं. न्यूरो सर्जरी विभाग में कम स्टाफ के चलते ओपीडी और इमरजेंसी दोनों ही सेवाओं को चलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

न्यूरो सर्जरी विभाग में स्वीकृत डॉक्टरों के पद-

पद का नाम संख्या

एसोसिएट प्रोफेसर न्यूरो सर्जरी एक
असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी दो
असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरो एनेस्थीसिया दो

न्यूरो सर्जरी विभाग में खाली स्वीकृत टेक्निकल पोस्ट

पद का नाम संख्या

टेक्निकल असिस्टेंट (ओटी) एक
टेक्निकल असिस्टेंट (आईसीयू) दो
टेक्नीशियन (ओटी) चार
असिस्टेंट (ओटी) आठ
असिस्टेंट आईसीयू चार
ओटी अटेंडेंट दस

यह भी पढ़ें-प्रमोद को इलाज न मिलने के मामला: अब लोकनायक अस्पताल के डॉ. पीएन पांडे हुए सस्पेंड

यह भी पढ़ें-दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने से मरीज की मौत, स्वाति मालीवाल ने लगाए गंभीर आरोप

डॉ. पीएन पांडेय

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोक नायक में 1997 में स्थापित न्यूरो सर्जरी विभाग, इन दिनों बदहाली का शिकार है. इतना महत्वपूर्ण विभाग होने के बावजूद स्थापना से लेकर आज तक इसमें कभी स्वीकृत पद पूरी तरह भरे ही नहीं गए. इतना ही नहीं, 86 बेड के न्यूरोसर्जरी विभाग में डॉक्टरों के स्वीकृत पांच पद में से सिर्फ दो पदों पर ही डॉक्टरों की तैनाती थी. इनमें से एक विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. पीएन पांडेय और दूसरे असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर हैं. इसके अलावा डॉक्टरों के तीन पद यहां लंबे समय से खाली हैं. अब पिछले सप्ताह डॉ. पीएन पांडेय को प्रमोद नाम के मरीज को भर्ती न किए जाने के कारण हुई मौत के मामले में निलंबित कर दिया गया है. ऐसे में अब न्यूरोसर्जरी विभाग को चलाने की जिम्मेदारी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर पर आ गई है. अब वे विभाग में इकलौते न्यूरो सर्जन हैं और विभाग उनके भरोसे ही चल रहा है.

विभाग में टेक्निकल स्टाफ के कुल 28 पद हैं, जो खाली हैं. इन पदों के खाली होने से ऑपरेशन के लिए दूसरे विभागों से टेक्निकल स्टाफ को मांगना पड़ता है. जब दूसरे विभाग से टेक्निकल स्टाफ मिलता है, तभी न्यूरोसर्जरी में किसी मरीज का ऑपरेशन हो पाता है. विभाग में 86 बेड, दो ऑपरेशन थिएटर और 14 बेड का आईसीयू है, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते प्रतिदिन एक ऑपरेशन ही हो पाता है. विभाग के डॉक्टरों की मानें तो अभी न्यूरो सर्जरी विभाग में दूसरे विभागों के दो एनेस्थीसिया के डॉक्टर और दो टेक्नीकल असिस्टेंट कार्यरत हैं. हालांकि ये लोग भी इतने प्रशिक्षित नहीं हैं कि 14 बेड के आईसीयू को संभाल सकें और ऑपरेशन में भी मदद कर सकें. इसलिए काफी समय से न्यूरो सर्जरी का आईसीयू, प्रशिक्षित टेक्निकल असिस्टेंट के भरोसे ही चला है.

न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने तीन सितंबर, 2021 को अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार को पत्र लिखकर खाली पदों को भरने की मांग भी की गई थी. फिर जब एक साल तक पद नहीं भरे गए तो अगले वर्ष आठ सितंबर, 2022 को दिल्ली सरकार के डिप्टी सेक्रेटरी मेडिकल को पत्र लिखकर विभाग में खाली पदों को भरने की मांग की गई थी. इसके बाद अनुबंध के आधार पर कुछ लोगों को रखा गया, लेकिन बाद में इन लोगों के अस्पताल छोड़ देने के कारण फिर से टेक्निकल स्टाफ के पद खाली हो गए.

इसके बाद विभागाध्यक्ष की ओर से 30 जनवरी, 2023 को लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार को पत्र लिखकर न्यूरोसर्जरी आईसीयू के लिए टेक्निकल स्टाफ की मांग की गई, लेकिन साल दिसंबर महीने में न्यूरो सर्जरी विभाग में एनेस्थीसिया के दो डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश चिकित्सा निदेशक ने दिया.

ये दो डॉक्टर भी दूसरे विभागों से न्यूरो सर्जरी में भेजे गए. न्यूरो सर्जरी विभाग के निलंबित विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने बताया कि लोकनायक अस्पताल का न्यूरोसर्जरी विभाग, न्यूरोसर्जरी की इमरजेंसी चलाने के लिए दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में सबसे बड़ा विभाग है. लेकिन देश की राजधानी में न्यूरो के 50 प्रतिशत मरीजों की मौत तो मौके पर ही हो जाती है. कुछ मरीज तो एक हजार किलोमीटर दूर से आते हैं और ट्रॉमा सर्विस न होने के कारण उसके इलाज में आठ-आठ घंटे लग जाते हैं.

डॉ. पांडेय ने बताया कि 2010 बेड के लोकनायक अस्पताल में ट्रामा सर्विस की सुविधा न होने के चलते मरीज एक विभाग से दूसरे विभाग में धक्के खाते रहते हैं. इस व्यवस्था में सुधार के लिए यहां ट्रॉमा आईसीयू, ट्रॉमा एक्सपर्ट और ट्रॉमा मैनेजमेंट की व्यवस्था होनी चाहिए. ट्रॉमा के मरीज के लिए एक-एक मिनट कीमती होता है. उन्होंने बताया कि लोकनायक अस्पताल में न्यूरोसर्जरी की इमरजेंसी में प्रतिदिन 25 से 30 मरीज आते हैं. इनमें एक्सीडेंटल और नॉन एक्सीडेंटल दोनों तरह के इमरजेंसी मरीज शामिल हैं. इन मरीजों के इमरजेंसी ऑपरेशन यहां होते रहते हैं. न्यूरो सर्जरी विभाग में कम स्टाफ के चलते ओपीडी और इमरजेंसी दोनों ही सेवाओं को चलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

न्यूरो सर्जरी विभाग में स्वीकृत डॉक्टरों के पद-

पद का नाम संख्या

एसोसिएट प्रोफेसर न्यूरो सर्जरी एक
असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी दो
असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरो एनेस्थीसिया दो

न्यूरो सर्जरी विभाग में खाली स्वीकृत टेक्निकल पोस्ट

पद का नाम संख्या

टेक्निकल असिस्टेंट (ओटी) एक
टेक्निकल असिस्टेंट (आईसीयू) दो
टेक्नीशियन (ओटी) चार
असिस्टेंट (ओटी) आठ
असिस्टेंट आईसीयू चार
ओटी अटेंडेंट दस

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