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वीवो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 आरोपियों को मिली जमानत, 62,476 करोड़ रुपये चीन भेजने का आरोप - Vivo money laundering case

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By PTI

Published : May 5, 2024, 7:25 PM IST

Vivo money laundering case : दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत में लिए गए वीवो-इंडिया के तीन अधिकारियों को जमानत दे दी. ईडी ने इन पर आरोप लगाया था कि भारत में कर भुगतान से बचने के लिए वीवो द्वारा 62,476 करोड़ रुपये की राशि "अवैध रूप से" चीन भेजी गई थी.

वीवो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 आरोपियों को मिली जमानत
वीवो मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 आरोपियों को मिली जमानत (ETV BHARAT)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी तीन लोगों को जमानत दे दी है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने तीन लोग भूपिंदर कौर, गगनदीप सिंह और वेइगांग वांग को राहत दी है.

1 मई को पारित एक आदेश में न्यायाधीश ने आंध्र प्रदेश में रहने वाले वांग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पीके दुबे की दलीलों को स्वीकार कर लिया कि जांच के दौरान आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया गया था. मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र पर संज्ञान लेते समय न्यायाधीश द्वारा जारी समन के अनुपालन में आरोपी व्यक्ति अदालत में पेश हुए थे.

दुबे ने अदालत को बताया कि जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी जांच के दौरान शामिल नहीं हुए या सहयोग नहीं किया. न्यायाधीश ने तीनों आरोपियों की ज़मानत अर्जियों को स्वीकार कर लिया.

न्यायाधीश ने आगे कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी जांच के दौरान शामिल नहीं हुआ या सहयोग नहीं किया. मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आरोपी व्यक्तियों को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उन्होंने जांच के दौरान सहयोग नहीं किया, तीनों जमानत याचिकाएं अनुमति है.

ईडी ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि आरोपियों के भागने का खतरा है और उनके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं. इसने चीनी नागरिकों और कई भारतीय कंपनियों से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का भंडाफोड़ करने का भी दावा किया था. ईडी ने आरोप लगाया था कि भारत में करों के भुगतान से बचने के लिए वीवो द्वारा 62,476 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि "अवैध रूप से" चीन को हस्तांतरित की गई थी.

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