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पाकिस्तान की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को घोटाले का 'कैंसर', विभाग पर नौ अरब पीकेआर का बकाया, फिर भी किराये पर उड़ा रहा लाखों - Pakistans health institutes patient

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By ANI

Published : Apr 30, 2024, 7:58 AM IST

Pakistan Health Care Service Scam
प्रतीकात्मक तस्वीर. (ANI)

Pakistan Health Care Service Scam : पाकिस्तान की बदहाली किसी से छूपी नहीं है. हाल ही में पाकिस्तानी अखबार की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वहां का स्वास्थ्य विभाग निजी लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए अपने संस्थान किराये के भवनों में चला रहा है, जबकि विभाग के पास अपनी जगह मौजूद है. जानें पाकिस्तान का स्वास्थ्य विभाग किराये पर कितने पैसे उड़ा रहा है और उसके ऊपर कितना बकाया है.

लाहौर: पहले ही गरीबी और आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को आतंरिक अफसरशाही और घोटाले भी परेशान कर रहे हैं. पाकिस्तान के अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब स्पेशलाइज्ड हेल्थकेयर मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट का एक बड़ा घोटाला सामने आया है. जानकारी के मुताबिक, विभाग ने अपने स्वास्थ्य संस्थान चलाने के लिए निजी इमारतों को अत्यधिक मासिक किराए का भुगतान कर किराये पर लिया. वो भी तब जब विभाग के पास अपने संस्थान चलाने के लिए अपने भवन और स्थान मौजूद थे. विभाग के अधिकारियों के इस कार्यवाही के कारण पाकिस्तान के राष्ट्रीय खजाने पर काफी प्रतिकूल बोझ पड़ा.

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, निजी संपत्तियों का किराया बाजार दरों से कहीं अधिक है. इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब तीसरे पक्ष ने स्वास्थ्य विभाग के खातों की जांच की. डॉन के मुताबिक, सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग के चार संस्थान वर्षों से निजी भवन मालिकों को मासिक रूप से 70 लाख पीकेआर से अधिक का भुगतान कर रहे हैं. अधिकारियों के अनुसार, क्वींस रोड पर स्वास्थ्य सचिवालय में जगह उपलब्ध होने के बावजूद, निजी इमारतें अभी भी किराए पर ली जा रही हैं. इससे मुख्य तौर पर जनता की परेशानी तो बढ़ी ही है. क्योंकि स्वास्थ्य संस्थान पूरे लाहौर में बिखरे हुए हैं और जनता की असुविधा को बढ़ा रहे हैं. इसके साथ ही विभाग के ऊपर खर्चे का बोझ भी बढ़ा रहे हैं.

उदाहरण के लिए, पंजाब हेल्थकेयर कमीशन (पीएचसी) कार्यालय 30.6 लाख पीकेआर का मासिक किराया भुगतान करते हैं, अकेले लाहौर में तीन प्रधान कार्यालय लगभग 30 लाख पीकेआर का भुगतान करते हैं. शहरों में अन्य पीएचसी कार्यालय सामूहिक रूप से मासिक रूप से 6,00,000 पीकेआर का भुगतान कर रहे हैं. गार्डन टाउन में, तीन पीएचसी कार्यालय क्रमशः पीकेआर 2.3 मिलियन, पीकेआर 3,87,750 और पीकेआर 2,80,000 का भुगतान कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, मुल्तान में मुल्तान क्षेत्र कार्यालय मासिक 2,05,000 पीकेआर, बहावलपुर में बहावलपुर क्षेत्रीय कार्यालय 1,06,945 पीकेआर और सरगोधा में सरगोधा क्षेत्र 1,30,000 पीकेआर का भुगतान करता है.

सूत्रों का दावा है कि इन शहरों में पर्याप्त सरकारी भवन उपलब्ध हैं, लेकिन ये संस्थान किराए की जगहों चलाये जा रहे हैं. इसी तरह, लाहौर के गुलबर्ग में एक किराए की इमारत में स्थित पंजाब हेल्थ इनिशिएटिव मैनेजमेंट कंपनी मासिक 10.3 लाख पीकेआर का भुगतान करती है. इस कंपनी ने अब तक किराये के तौर पर 8 करोड़ पीकेआर से अधिक का भुगतान किया है.

पंजाब मानव अंग प्रत्यारोपण प्राधिकरण शादमान में एक निजी भवन मालिक को मासिक 10.3 लाख पीकेआर देता है. इस बीच, पंजाब फार्मेसी काउंसिल लाहौर ने गार्डन टाउन में 800,000 पीकेआर प्रति माह पर एक निजी विला किराए पर ले रखा है.

अधिकारी बड़े पैमाने पर होने वाले खर्चों पर प्रकाश डालते हैं, जिनमें अधिकारियों के लिए भारी वेतन पैकेज और निजी भवन मालिकों के पास मासिक रूप से जाने वाले लाखों खर्च शामिल हैं. इस खर्च के बावजूद इन संस्थानों का प्रदर्शन संदिग्ध बना हुआ है.

एक ओर किराए पर लाखों सरकारी रूपये खर्च हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर लाहौर के प्रमुख सार्वजनिक अस्पतालों में मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, अपर्याप्त धन के कारण, इन अस्पतालों पर 9 अरब पीकेआर का बकाया है और दवा आपूर्ति, नैदानिक सेवाओं और सर्जरी में व्यवधान का सामना करना पड़ रहा है.

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