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एक आईडिया ने बदल डाली ज़िंदगी, बन गए करोड़पति, कभी दिल्ली में चलाते थे रिक्शा

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 5, 2024, 10:58 PM IST

Yamunanagar Progressive Farmer : ज़िंदगी में अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो आप अपने सपने 100 फीसदी साकार कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया यमुनानगर के प्रगतिशील किसान धर्मवीर ने. कभी दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा खींचने वाले धर्मवीर आज यमुनानगर में सालाना 1 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा रहे हैं और लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं.

Yamunanagar Progressive Farmer become Crorepati by farming and Machines Haryana News
एक आईडिया ने बदल डाली ज़िंदगी, बन गए करोड़पति

एक आईडिया ने बदल डाली ज़िंदगी, बन गए करोड़पति

यमुनानगर : कहते हैं कि अगर सोच सकारात्मक हो और इंसान के हौसले बुलंद हो तो वो हर मुकाम हासिल कर सकता है. सोचिए कभी आर्थिक तंगी के चलते दिल्ली में रिक्शा चलाने वाला करनाल का किसान अपने एक आईडिया के चलते आज करोड़पति बन गया है. जब उसने ये मुकाम हासिल किया तो उसने बाकी ग्रामीणों के लिए भी नए रास्ते खोल दिए.

दिल्ली में चलाई रिक्शा : देश में जहां कई बार हालातों से लड़कर किसान खुदकुशी के लिए मजबूर हो जाते हैं, उस देश में धर्मवीर जैसे मज़बूत इरादों वाले किसान भी हैं. हरियाणा के यमुनानगर जिले के दामला गांव के रहने वाले धर्मवीर ने किसी तरह मैट्रिक तक की शिक्षा ली लेकिन शादी के बाद रोज़गार नहीं मिला तो उन्हें आर्थिक तंगी के चलते दिल्ली जाकर रिक्शा तक चलाना पड़ा. यहां पर वो एक हादसे का शिकार हो गया. आखिरकार परेशान होकर धर्मवीर ने एक बार फिर से गांव की राह अपनाई. लेकिन गांव आने के बाद धर्मवीर ने जो किया, वो आज एक मिसाल है.

गांव आकर औषधीय खेती शुरू की : गांव आने के बाद धर्मवीर ने अपनी दो एकड़ की पुश्तैनी ज़मीन से औषधीय खेती शुरू की. उन्होंने एलोवेरा, तुलसी के पौधे लगाए और एक मल्टीपर्पस प्रोसेसिंग मशीन बनाने पर भी काम किया. इसके बाद धर्मवीर ने खेती से मिली उपज को खुद अपनी मशीन से प्रोसेस किया और एलोवेरा, आंवला, तुलसी का जूस निकाला. इसके बाद उन्होंने बाज़ार तक खुद अपनी पहुंच बनाई और कई लोगों को रोज़गार दिया.

खुद का स्टार्टअप शुरू किया : धर्मवीर अब खुद के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बना रहे हैं. उनके साथ काफी संख्या में किसान जुड़ गए हैं जो उन्हें खेती से जुड़े हुए उत्पाद देते हैं और धर्मवीर उनकी प्रोसेसिंग करके सैकड़ों की संख्या में प्रोडक्ट्स बनाते हैं. इस दौरान धर्मवीर ने देखा कि उन्हें उत्पादों का मार्केट में तो अच्छा रेट मिल जाता है लेकिन बचत काफी कम होती थी जिसके चलते उन्होंने सोचा कि क्यों ना खुद का ही एक स्टार्टअप शुरू किया जाए. इसके बाद धर्मवीर ने अपनी खुद की एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर कराई और अब अपनी कंपनी के प्रोडक्ट्स ग्राहकों तक पहुंचाकर वे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

विदेशों में सप्लाई करते हैं मल्टीपर्पस मशीन : इस बीच धर्मवीर ने कुछ नया करने के मन के साथ एक मल्टीपर्पस मशीन बनाई जिसकी वे अब विदेशों में सप्लाई कर रहे हैं. जब उन्होंने मल्टीपर्पस मशीन बनाई थी, तब उन्हें पहली बार इनाम के तौर पर 25000 रुपए मिले थे. दो लाख रुपए की उनकी बहुउद्देशीय खाद्य प्रसंस्करण मशीन का उन्होंने पेटेंट भी करवाया. इस मशीन से सब्जियों का छिल्का उतारने, कटाई करने, उबालने और जूस बनाने तक का काम किया जाता है. देश ही नहीं बल्कि विदेशों में इसको खासा पसंद किया जा रहा है. अफ्रीकी देशों नाइजीरिया, युगांडा, जिम्बाब्वे और यूरोप के करीब 12 से ज्यादा देशों में वे मशीन की डिमांड पर सप्लाई कर रहे हैं.

मिला राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 दिन रहे राष्ट्रपति के मेहमान : धर्मवीर की औषधीय खेती की उपज और उसकी प्रोसेसिंग वाली मशीन कामयाबी के आसमान छूते चली गई और उन्हें ढेरों अवॉर्ड मिले. धर्मवीर को कई राष्ट्रीय स्तर के कृषि संस्थान समेत राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज़ा गया. वे 20 दिन तक राष्ट्रपति भवन में मेहमान के तौर पर भी रह चुके हैं. उनके फार्म पर विजिट करने के लिए दूसरे देशों के राष्ट्रपति भी आ चुके हैं.

सालाना 1 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर : धर्मवीर ने सिर्फ पैसा, नाम और अवार्ड कमाया, बल्कि अब वे विश्वविद्यालयों में और दूसरे सेंटर्स पर छात्रों-किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं. उन्होंने भारत समेत दूसरे देशों के किसानों और वैज्ञानिकों को भी ट्रेनिंग दी हुई है. वे देश में 6 हजार से ज्यादा महिलाओं को खाद्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दे चुके हैं. धर्मवीर के ऑर्गेनिक उत्पादों की आज देश के बाजारों में अच्छी डिमांड है. वे सालाना एक करोड़ रुपए से ज्यादा की आज कमाई कर रहे हैं और किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं. धर्मवीर ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी सबसे छोटी मल्टीपर्पस मशीन 45,000 रुपए की है जबकि सबसे बड़ी मशीन की कीमत 2 लाख रुपए है. उन्होंने महिलाओं समेत मशीन बनाने वाले करीब दो दर्जन मैकेनिकों को रोजगार दे रखा है.

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