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ये हैं बनारस के गौरेया बाबा; पूरे घर को बनाया घोंसला, 3000 पक्षियों को पाल रहे, 20 साल से कर रहे सेवा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 12:27 PM IST

Updated : Mar 20, 2024, 1:24 PM IST

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World Sparrow Day 2024: गौरैया बाबा ने अपने घर के साथ ही लगभग 10 किलोमीटर के इलाके में अलग-अलग घरों में जाकर गौरैया के लिए घोंसला बनाने की मुहिम शुरू कर दी. मौजूदा समय में उनकी कॉलोनी में लगभग 3000 से अधिक गौरैया रहती हैं.

बनारस के गौरैया बाबा पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की रिपोर्ट.

वाराणसी: सुबह-सुबह आंगन में अपनी चहचहाहट के साथ जगाने वाली गौरैया अब धीरे-धीरे गायब होने लगी है. कंकरीट के जंगलों ने गौरैया से उसका ठिकाना छीन लिया, लेकिन आज गौरैया वो ठौर और ठिकाना मिल रहा है, जहां एक दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में ये पक्षी रहते हैं.

ये ठिकाना है धर्म नगरी काशी के सबसे पॉश सिगरा इलाके में, जहां गौरैया आपको देखने को मिल जाएगी. यहां पर इनका संरक्षण किया जा रहा है. इनका संरक्षण करने वाले बनारस के 'गौरैया बाबा' हैं. लगभग 20 साल पहले उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत की थी. इन सालों में उन्होंने अपने घर को गौरैया का घोंसला बना दिया है.

World Sparrow Day 2024
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गौरैया बाबा का पूरा घर घोंसलों से पटा हुआ है. लगभग 100 से अधिक गमले लगे हुए हैं. यहां पर हर सुबह और शाम गौरैया रहने आती हैं. गौरैया के संरक्षणकर्ता इंद्रपाल बत्रा यानी गौरैया बाबा की इस मुहिम का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में अपने मन की बात में जिक्र किया था.

इससे उनका हौसला और भी बढ़ गया है. उन्होंने अपने घर के साथ ही लगभग 10 किलोमीटर के इलाके में अलग-अलग घरों में जाकर गौरैया के लिए घोंसला बनाने की मुहिम शुरू कर दी. मौजूदा समय में उनकी कॉलोनी में लगभग 3000 से अधिक गौरैया रहती हैं. इनके लिए भोजन की भी अच्छी व्यवस्था की जाती है.

World Sparrow Day 2024
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गौरैया के संरक्षण का ख्याल कैसे आया: श्रीनगर कॉलोनी गुरुबाग में इंद्रपाल बत्रा से जब हम मिलने गए तो वे अपनी छत पर ही बैठे थे. छत पर हरी घास, घोंसले ये साफ गवाही दे रहे थे कि यही वो जगह है जहां विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने की कोशिश की जा रही है. अपनी इस मुहिम पर चर्चा करते हुए वे कहते हैं, एक समय ऐसा था जब लगा कि अपने क्षेत्र में ये सिर्फ 5-6 चिड़िया ही दिख रही हैं.

साल 2005-06 की बात है. उस समय मैंने इनके खाने-दाना-पानी का इंतजाम किया. चिड़िया आतीं और चली जाती थीं. फिर मैंने इनके रहने के इंतजाम के बारे में सोचा. इसके बाद मैंने गमले लिए और दीवार पर लगाकर उसमें छेद कर दिया. शुरू में मैंने ऐसा करते हुए 6-7 घोंसले लगाए.

World Sparrow Day 2024
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'मैंने धीरे-धीरे कर के 100 घोंसले लगवा दिए. इसका नतीजा ये हुआ कि एक साल में दो बार 300 से 400 चिड़िया के बच्चे पैदा हुए. चिड़िया एक बार में 3 से 4 अंडे देती है, जिसमें से 2 से 3 बच्चे निकलते हैं. ऐसे में हजारों चिड़िया आपको हमारे घर के एक किलोमीटर के दायरे में दिखाई देंगी.

एक समय ऐसा था कि यहां 5 से 6 चिड़ियां ही बची थीं.' पीएम मोदी की मन की बात का जिक्र करते हुए इंद्रपाल बत्रा कहते हैं, उस कार्यक्रम के बाद मेरा जोश 100 फीसदी बढ़ गया. उसके बाद मैंने बनारस के कई घरों में जाकर घोंसले लगाए हैं. आसपास के 10 किलोमीटर के एरिया में लोगों ने मुझे बुलाकर के घोंसले लगवाए हैं.

World Sparrow Day 2024
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अलग-अलग समय पर दिया जाता है दाना: वे बताते हैं कि साल 2007 के आखिरी से मैंने इस पर पूरा काम शुरू कर दिया था. सुबह पौने चार बजे तक एक बार नींद खुलती है. तब मैं चिड़ियों का दाना डाल देता हूं. सुबह सात बजे तक ये दाना खत्म हो जाता है. इसके बाद फिर पूरा दाना डालते हैं तो वह दोपहर 12 बजे तक खत्म हो जाता है.

फिर 12 बजे दाना डालते हैं तब वह शाम के 5 बजे तक खत्म होता है. इसके बाद थोड़ा सा दाना डालते हैं जो रात के समय चिड़िया खाकर अपने घोंसले में चली जाती हैं. अगर उनके खाने की बात करें तो खास-फूस से निकलने वाले बीज चिड़िया खा लेती हैं. पार्क में चली जाती हैं. कुछ लोग चावल और अन्य तरीके के दाना डालते हैं.

World Sparrow Day 2024
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चिड़ियों के लिए पानी का इंतजाम: इंद्रपाल बत्रा बताते हैं कि, होली के समय पर ग्लूकोज बिस्किट चिड़िया बड़े चाव से खाती हैं. इस काम में मेरी पत्नी भी साथ देती हैं. सुबह के समय दाना या बिस्किट डाल दिया करती हैं. इसके साथ ही 24 घंटे फाउंटेन चलता रहता है. उसमें लगातार ताजा पानी आता रहता है.

इस पानी में चिड़ियां नहाती हैं और पानी पीती हैं. कम से कम 2000 चिड़ियां वहां पर पानी पीती हैं. गर्मी के समय के आते-आते चिड़ियों की ढेर लग जाती है. आस-पास के सभी इलाकों से चिड़ियां आकर यहां पानी पीती हैं. हर 10 मिनट में लगभग 50 चिड़िया यहां पर पानी पीने के लिए आती हैं. वे कहते हैं कि आगे मैं अब वाटर हार्वेस्टिंग और पौधारोपण कराना चाहता हूं.

World Sparrow Day 2024
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चिड़ियों दाना देने में कितना आता है खर्च: समय के साथ गौरैया विलुप्त होती जा रही हैं. ऐसे में वाराणसी में इंद्रपाल बत्रा का परिवार लंबे समय से इस पक्षी का संरक्षण कर रहा है. वे बताते हैं कि शुरुआत में चिड़ियों के दाना के लिए 15 से 20 रुपये का खर्च आता था. आज के समय में इतनी चिड़ियां हो गई हैं कि लगभग 200 रुपये रोज चिड़िया के दाने पर मेरा खर्च आता है. यह खर्च बहुत अधिक नहीं है.

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कैसे पड़ा गौरैया बाबा नाम: गौरैया बाबा कहे जाने की कहानी बताते हुए वे हंसकर कहते हैं, मोदीजी के प्रोग्राम के बाद एक दिन पार्क में लोगों ने मजाक में कहना शुरू किया कि गौरैया बाबा आ गए. लोगों ने धीरे-धीरे गौरैया बाबा कहना शुरू कर दिया. आसपास के एक किलोमीटर के दायरे में लोग इसी नाम से मुझे पहचान लेंगे.

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Last Updated :Mar 20, 2024, 1:24 PM IST
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