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दुनिया की विशालतम तोपों में शुमार है डीग की लाखा तोप, इसकी गर्जना से गिर गए थे महिलाओं के गर्भ - World Heritage Day

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 18, 2024, 1:31 PM IST

World Heritage Day 2024, राजस्थान के डीग किले के बुर्ज पर दुनिया की विशालतम तोपों में शुमार लाखा तोप को रखा गया है. इतिहासकारों की मानें तो जब यह तोप चली थी तो कई किलोमीटर दूर तक महिलाओं और पशुओं के गर्भ गिर गए थे.

World Heritage Day 2024
World Heritage Day 2024

डीग का ऐतिहासिक लाखा तोप

भरतपुर. राजस्थान का इतिहास यहां के वीर योद्धा, अजेय दुर्ग और उनके गौरवशाली इतिहास से भरा पड़ा है. इतिहास में भरतपुर के लोहागढ़ किले का नाम आते ही डीग के किले और लाखा तोप का जिक्र जरूर आता है. डीग किले के बुर्ज पर रखी है लाखा तोप दुनिया की विशालतम तोपों में से एक है. इतिहासकारों का कहना है कि जब यह तोप चली थी तो कई किलोमीटर दूर तक महिलाओं और पशुओं के गर्भ गिर गए थे. तोप को लेकर कई तरह की मान्यता और धारणाएं भी हैं. आइए वर्ल्ड हैरिटेज डे पर इस तोप के रोचक इतिहास के बारे में जानते हैं.

अब्दाली के काफिले से खींच कर लाई गई थी ये तोप : इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि डीग जाट राज्य भरतपुर की पहली राजधानी थी. 1722 में महाराजा बदन सिंह ने यहां जलमहल का निर्माण करवाया. इनके पुत्र महाराजा सूरजमल ने हमलावरों से सुरक्षा के लिए 1730 में डीग किले का निर्माण कराया. इसी डीग किले के बुर्ज पर लाखा तोप रखी है. यह लाखा तोप दुनिया की विशालतम तोपों में से एक है. इसका निर्माण भरतपुर के राजाओं ने नहीं करवाया था, बल्कि जब अहमदशाह अब्दाली मथुरा क्षेत्र से युद्ध लड़कर लौट रहा था तो इस भारी भरकम तोप को अपने साथ नहीं ले जा पाया. इस तोप को जाट सैनिक डीग लेकर आए और इसका नाम लाखा तोप रखा गया.

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गिर गए थे गर्भ : इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि स्तूप में करीब 500 पाउंड का गोला भरा जाता था. इसकी मारक क्षमता सैकड़ों किलोमीटर थी. इस तोप को एक बार संभवतः 1961 में चलाया गया. उस समय इसकी भयंकर गर्जना से कई किलोमीटर तक के क्षेत्र में महिलाओं और पशुओं के गर्भ गिर गए थे. लोग बहरे हो गए थे. यहां तक कि कई बच्चों की तो तोप की गर्जना से मौत तक हो गई थी.

तोड़ा था किले का दरवाजा : इस तोप को लेकर कई तरह की चर्चाएं भी होती हैं. कहा जाता है कि इस तोप से गोला दाग कर आगरा या दिल्ली के लाल किले का दरवाजा तोड़ा गया था. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा का कहना है कि ये सिर्फ चर्चाएं इस तरह की घटना का जिक्र इतिहास की किसी पुस्तक में नहीं है.

World Heritage Day 2024
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इसलिए नाम पड़ा लाखा : तोप का नाम लाखा होने के पीछे भी कई तरह की चर्चाएं हैं. कहा जाता है कि इस तोप की विध्वंशक ताकत को देखते हुए इसका नाम लाखा रखा गया. जबकि ये भी कहा जाता है कि इसका वजन एक लाख किलो है. इसलिए इसे लाखा तोप नाम दिया गया. गेरुए रंग को भी लाखा कहा जाता है, ऐसे में कहा जाता है कि इसके रंग की वजह से इसका नाम लाखा तोप रखा गया.

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