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प.बंगाल की 'लड़ाई' चरम पर पहुंची, जानें 5वें चरण का पूरा समीकरण - West Bengal phase 5 voting

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 5:28 PM IST

Updated : May 15, 2024, 5:55 PM IST

West Bengal phase 5 voting: अमित शाह ने मतुआ समुदाय के गढ़ बनगांव में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आश्वासन दिया कि मतुआ समुदाय के लोगों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता मिलेगी. बता दें कि, बनगांव (एससी), बैरकपुर, हावड़ा, उलुबेरिया, श्रीरामपुर, हुगली और आरामबाग लोकसभा क्षेत्रों में पांचवें चरण में मतदान होगा.

lok sabha election 2024
फोटो (ANI)

हैदराबाद: पश्चिम बंगाल में, 42 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 7 पर 20 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के 5वें चरण में मतदान होगा. ये निर्वाचन क्षेत्र मुख्य मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल के औद्योगिक इलाके में स्थित है. ये हैं बनगांव (एससी), बैरकपुर, हावड़ा, श्रीरामपुर, हुगली और आरामबाग. बता दें कि, पहले तीन चरणों में 18 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं जबकि बाकी 17 सीटों पर अगले दो चरणों में चुनाव होंगे. बीजेपी के लिए मतुआ समुदाय ऐसे हिंदू शरणार्थी हैं जिन्हें किसी दूसरे देश में उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था. बीजेपी ने सीएए के तहत उन्हें नागरिकता प्रदान करने का आश्वासन दिया है. ऐसा करके बीजेपी बंगाल में चुनावी हवा का रूख बदलने के मूड में है. पश्चिम बंगाल का बनगांव संसदीय सीट कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है...

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पीएम मोदी (ANI)

बनगांव
2024 लोकसभा चुनाव में बनगांव संसदीय सीट कई लिहाज से राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (14 मई) को मतुआ बहुल बनगांव में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मतुआ समुदाय के लोगों सीएए के तहत नागरिकता देने का वादा किया है. जब 4 जून को वोटों की गिनती होगी, तो बनगांव का जनादेश शायद नागरिकता संशोधन अधिनियम के राजनीतिक निहितार्थ के रूप में माना जा सकता है. मतुआ महासंघ की कुलमाता बोरो मां (बीनापाणि देवी ठाकुर ) के निधन के बाद चुनाव परिणाम विरासत की लड़ाई को भी प्रभावित कर सकता है. बता दें कि, मतुआ एक अनुसूचित जाति समूह है जो 1947 में विभाजन के बाद बड़ी संख्या में भारत आया था. हालांकि, मतुआ समुदाय राजनीतिक आधार और सीएए पर विभाजित है. मतुआ का एक बड़ा हिस्सा यह कहते हुए कानून का स्वागत कर रहा है कि नागरिकता उनकी लंबे समय से मांग रही है, हालांकि उनमें से कई ऐसे मतदाता भी हैं जो बनगांव और कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में अपना प्रभाव रखते हैं.

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मतुआ समुदाय (फाइल फोटो) (ANI)

बनगांव सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए रिजर्व (आरक्षित) है. इस निर्वाचन क्षेत्र में अधिकतर उत्तर 24 परगना जिला शामिल है. जहां 2011 में हुई पिछली जनगणना के अनुसार, एससी 21.7 फीसदी और एसटी की 2.6 प्रतिशत आबादी थी. धार्मिक समुदायों में, 2011 में हिंदू 73. 46 प्रतिशत और मुस्लिम 25.82 प्रतिशत थे, जबकि बाकि अन्य शामिल थे. 2019 में विजेता और उपविजेता दोनों मटुआ समुदाय से थे, जहां वर्तमान केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने टीएमसी की अपनी चाची ममता ठाकुर को हराया था.

2021 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सात विधानसभा सीटों में से छह पर जीत हासिल की, और टीएमसी एक जीत सकी. हालांकि, भाजपा विधायकों में से एक विश्वजीत दास बाद में टीएमसी में चले गए और वर्तमान में बनगांव से शांतनु ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.

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अमित शाह (ANI)

बैरकपुर
वहीं दूसरी तरफ पास के बैरकपुर में, राज्य की सत्तारूढ़ टीएमसी द्वारा नामांकन से इनकार किए जाने के बाद अर्जुन सिंह भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. पांच साल पहले, वह 2019 का चुनाव जीतने के लिए टीएमसी से बीजेपी में शामिल हो गए थे. अर्जुन सिंह ने 2019 में तत्कालीन टीएमसी उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी (अब भाजपा में) को 15 हजार से कम वोटों के अंतर से हराया. इस बार सिंह का मुकाबला टीएमसी के पार्थ भौमिक और सीपीआई (एम) उम्मीदवार देबदुत घोष से है. बैरकपुर उत्तर 24-परगना जिले से लेकर कोलकाता के उत्तरी किनारे तक फैला हुआ है. एक समय बैरकपुर में जूट और कपड़ा मिलों, ईशापुर मेटल एंड स्टील फैक्ट्री जैसी आयुध समेत कई तमाम बड़ी-बड़ी फैक्टरियों के लिए जाना जाता था. जो अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका है.

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ममता बनर्जी (ANI)

हावड़ा
हावड़ा लोकसभा क्षेत्र और इसके सात विधानसभा क्षेत्र टीएमसी के गढ़ रहे हैं. फुटबॉलर प्रसून बनर्जी ने 2013 में टीएमसी सांसद अंबिका बनर्जी की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में यहां जीत हासिल की थी और तब से उन्होंने इस सीट पर कब्जा जमाया हुआ है. हावड़ा में हावड़ा ब्रिज या रवींद्र सेतु देश और दुनिया में काफी लोकप्रिय है. इस सेतु से होते हुए लोग हावड़ा रेलवे स्टेशन तक जाते हैं. हावड़ा घनी आबादी वाला इलाका है. यह क्षेत्र अपने आप में काफी हद तक अनियोजित और घनी आबादी वाला है. एक समय इसमें कई लौह ढलाई कारखाने थे जिनमें विभिन्न राज्यों के लोग कार्यरत थे। इंडस्ट्री इस वक्त गंभीर समस्याओं से गुजर रही है. कथित तौर पर इस इलाके में एक चौथाई से अधिक गैर-बंगाली भाषी मतदाता है, जो बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से हैं.

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ममता बनर्जी और अमित शाह (ANI)

उलूबेरिया
उलुबेरिया हावड़ा जिले का एक और निर्वाचन क्षेत्र है जो ब्रिटिश राज के दौरान और आजादी के बाद भी एक प्रमुख जूट प्रसंस्करण केंद्र था. हालांकि, समय के साथ इस उद्योग में गिरावट आई और अब यहां कोई बड़ी जूट मिल नहीं है. क्षेत्र के औद्योगिक पार्क में लगभग 70 प्रतिष्ठान बने हैं, जो 128.69 एकड़ में फैला हुआ है. ये इकाइयां इंजीनियरिंग, विनिर्माण और खाद्य उत्पादों में भी हैं. वर्तमान में, कहा जाता है कि इस निर्वाचन क्षेत्र में हिंदू और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग समान है. यह पश्चिम बंगाल की कुछ लोकसभा सीटों में से एक है, जहां हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ के प्रभावशाली मौलवी अब्बास सिद्दीकी के नेतृत्व में भारतीय धर्मनिरपेक्ष मोर्चा (आईएसएफ) चुनाव लड़ रहा है. वाम मोर्चे के शासन के दौरान, सीपीआई (एम) के हन्नान मोल्लाह ने यहां रिकॉर्ड आठ बार जीत हासिल की, लेकिन 2009 में टीएमसी के सुल्तान अहमद से हार गए. उनकी मृत्यु के बाद 2018 में उपचुनाव हुआ, जिसमें उनकी पत्नी सजदा अहमद ने जीत हासिल की और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के लिए सीट बरकरार रखी. 2024 के चुनाव में सजदा अहमद का मुकाबला बीजेपी के अरुण उदय पाल चौधरी और कांग्रेस के अजहर मॉलिक से है. वहीं, लेफ्ट फिलहाल कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है.

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अमित शाह और ममता बनर्जी (ANI)

श्रीरामपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र
श्रीरामपुर को, सेरामपुर के रूप में भी लिखा जाता है, और यह हुगली जिले में है. यह 18वीं शताब्दी में स्थापित एक डेनिश बस्ती थी, और 1845 में अंग्रेजों द्वारा अधिग्रहित कर ली गई थी. आज, यह अत्यधिक शहरीकृत और एक औद्योगिक क्षेत्र है जिसमें जूट, चावल और कपास मिलें प्रमुख हैं. इसमें रसायन, रस्सी, आभूषण, हथकरघा और धातु पॉलिश की विनिर्माण इकाइयां भी हैं. इस लोकसभा सीट पर पहले कांग्रेस और सीपीआई (एम) के बीच चुनावी लड़ाई देखी जाती थी, लेकिन 1998 और 1999 में अकबर अली खोंडकर ने यह सीट टीएमसी के लिए छीन ली, लेकिन 2004 में वह इसे सीपीआई (एम) से हार गए. हालांकि, 2009 से टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. मौजूदा चुनाव में उनका मुकाबला बीजेपी के कबीर शंकर बोस और सीपीआई (एम) की दिप्सिता धर से है. लेफ्ट उम्मीदवार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है. 2021 के राज्य चुनाव में श्रीरामपुर लोकसभा क्षेत्र के सभी सात विधानसभा क्षेत्र टीएमसी के पास चले गए.

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मतुआ समुदाय और अमित शाह (ANI)

हुगली
हुगली लोकसभा क्षेत्र इस चुनाव में दो बंगाली फिल्मी सितारों के बीच टकराव का गवाह बनेगा, जहां भाजपा की लॉकेट चटर्जी चुनाव टीएमसी की रचना बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. वह महिलाओं के लिए लोकप्रिय टीवी शो 'दीदी नंबर 1' की मेजबानी कर रही थीं. वहीं, कांग्रेस समर्थित सीपीआई (एम) के अनुभवी राजनेता मोनोदीप घोष ने मीडिया के सामने स्वीकार किया है कि उन्हें दो मशहूर हस्तियों के खिलाफ एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि, इस क्षेत्र का एक अनूठा औपनिवेशिक अतीत है, जिसमें बंदेल में पुर्तगाली बस्ती, चंदननगर में एक फ्रांसीसी उपनिवेश, श्रीरामपुर में एक डेनिश बस्ती और चिनसुराह में एक डच उपनिवेश शामिल है. सिंगूर इसी जिले का हिस्सा है और एक विधानसभा क्षेत्र है जहां कार निर्माण इकाई के लिए कृषि भूमि के जबरन अधिग्रहण का ममता बनर्जी ने पुरजोर विरोध किया था. इसे तीन दशकों से अधिक के शासन के बाद वाम मोर्चे के पतन के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार होने के लिए याद किया जाएगा.

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ममता बनर्जी (ANI)

आरामबाग
2021 के राज्य चुनावों में आरामबाग लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा सीटों में से, भाजपा ने चार और टीएमसी ने तीन जीते. आरामबाग संसदीय सीट अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. हालांकि टीएमसी की अपरूपा पोद्दार ने 2014 में सीपीआई (एम) के शक्ति मोहन मलिक से यह सीट छीन ली और 2019 में इसे बरकरार रखा, लेकिन उनका वोट शेयर काफी गिर गया. जबकि 2014 में, पोद्दार ने मलिक के खिलाफ लगभग 55 प्रतिशत जनादेश हासिल करते हुए लगभग 3.5 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की. 2019 में उपविजेता, भाजपा के तपन कुमार रॉय मुश्किल से 0.08 प्रतिशत पीछे थे. मलिक केवल एक लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. मतदान आंकड़ों के अलावा, पोद्दार के बारे में कथित तौर पर कुछ प्रतिकूल रिपोर्टें भी थीं. टीएमसी ने मिताली बाग को उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला बीजेपी के अरूप कांति दीगर और सीपीआई (एम) के उम्मीदवार बिप्लब कुमार मोइत्रा से है. कांग्रेस लेफ्ट के साथ गठबंधन में है.

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Last Updated : May 15, 2024, 5:55 PM IST
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