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उत्तराखंड में UCC पारित, समान नागरिक संहिता पर हिमाचल में क्या हवा है ?

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 7:11 AM IST

Updated : Feb 8, 2024, 1:21 PM IST

UCC Bill in Himachal Pradesh
UCC Bill in Himachal Pradesh

UCC Bill in Himachal Pradesh: उत्तराखंड ने पहल करते हुए यूसीसी बिल पारित कर दिया है. इसी के साथ देश के अन्य राज्यों में भी यूसीसी बिल को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर यूसीसी बिल की वकालत करते आए हैं. भाजपा ने इसे अपने 2022 के संकल्प पत्र में शामिल किया था.

शिमला: देश में आम चुनाव से ऐन पहले पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता बिल पारित कर दिया है. विधानसभा में लंबी बहस के बाद ये बिल पारित हो गया है. इसी के साथ देश के अन्य राज्यों में भी इस बिल के संदर्भ में चर्चा होने लगी है. उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी इस बिल की वकालत हो चुकी है. हिमाचल में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में यूसीसी लाने का वादा किया था.

भाजपा का चुनाव घोषणा पत्र, जिसे संकल्प पत्र 2022 का नाम दिया गया था, उसमें यूसीसी लागू करने का वादा पहले नंबर पर था. शीर्ष संकल्प के तहत पहले नंबर पर दर्ज की गई आइटम में कहा गया था कि भाजपा सरकार हिमाचल में समान नागरिक संहिता लागू करेगी. हालांकि भाजपा विधानसभा चुनाव हार गई और प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई. कांग्रेस ने न तो ऐसा कोई वादा किया था और न ही कांग्रेस सरकार ने इस विषय पर कोई बयान दिया है.

जयराम ठाकुर कर चुके हैं वकालत: पूर्व में भाजपा सरकार के समय तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने इस बिल को जरूरी बताया था. उन्होंने कुछ अवसरों पर यूसीसी लागू करने की तैयारी को लेकर मीडिया में बात भी की थी. जयराम ठाकुर ने तब कहा था कि हिमाचल में इस कानून के आने से मुस्लिम समाज की महिलाओं को सम्मान मिलेगा. ये कानून विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के लिए सम्मान का विषय होगा. खैर, इस समय हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का इस विषय पर अभी आधिकारिक स्टैंड सामने नहीं आया है. वैसे यूसीसी मूल रूप से भाजपा का विचार है. भाजपा के एजेंडे में यूसीसी शामिल रहा है.

उत्तराखंड ने की पहल: सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर पहल की और ये देश का पहला राज्य बन गया, जहां समान नागरिक संहिता की तरफ निर्णायक कदम बढ़ाया गया है. सत्ता में वापसी के बाद सीएम पद पर आसीन हुए पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी. विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस ने यूसीसी की जरूरत पर तो कोई खास विरोध नहीं किया, लेकिन ये जरूर कहा कि इसे लाने में जल्दबाजी की गई. यूसीसी के आने से लिव इन रिलेशन में रह रहे युवाओं को पंजीकरण करना होगा. पति अथवा पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना भी गैर कानूनी होगा. कांग्रेस विधायक बेशक इस विधेयक को जल्दबाजी में लाने की बात कह रहे हों, लेकिन यूसीसी पर उत्तराखंड सरकार ने जो विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, उस कमेटी को दो लाख से अधिक सुझाव मिले थे.

यूसीसी और हिमाचल की स्थिति: हिमाचल में पूर्व में भाजपा सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि यूसीसी लागू करने पर उनकी सरकार गंभीर है. उस समय ये चर्चा जोरों पर थी कि हिमाचल में समान नागरिक संहिता को लेकर भाजपा सरकार बिल ला सकती है. हालांकि उस समय भाजपा का शीर्ष नेतृत्व देश की जनता का मूड भांप रहा था. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पूर्व भी चुनाव घोषणा पत्र में यूसीसी शामिल था. अप्रैल 2022 में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने यूसीसी की वकालत करते हुए कई बयान दिए थे. उस समय उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की पहल हो चुकी थी. वहां माहौल तैयार था और पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इसे अमली जामा पहना दिया है.

हिमाचल में अल्पसंख्यक: हिमाचल की बात की जाए तो यहां पर मुस्लिम समाज की आबादी काफी कम है. देश के अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल में अल्पसंख्यकों के तौर पर मुस्लिम समाज की जनसंख्या कम है. यहां 2011 की जनगणना के अनुसार 2.1 फीसदी मुस्लिम आबादी है. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में अभी तक इस समुदाय से एक भी विधायक नहीं चुना गया है. हालांकि इससे कम सिक्ख आबादी में यहां न केवल विधायक बल्कि हरिनारायण सैनी के रूप में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं.

वकालत के पेशे से जुड़े पंकज कुमार चौहान का कहना है कि यूसीसी नए दौर की जरूरत है. प्रगतिशील समाज में एक देश में एक कानून समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है. देर-सवेर देश के अन्य राज्यों में भी यूसीसी की पहल होगी. ये भी संभव है कि आने वाले समय में यदि भाजपा पूर्ण बहुमत से केंद्र की सत्ता में आई तो लोकसभा में यूसीसी पर बिल लाया जाए. वहीं, लेखक-संपादक और वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा का विचार है कि यूसीसी को लेकर एक चेतना न केवल सरकार बल्कि समाज के स्तर पर भी देखी जा रही है. नवनीत शर्मा का कहना है कि जैसा समाज होता है और समाज में किसी विचार का बहुमत होता है, उसी तरह की सरकार भी अस्तित्व में आती है. उनका कहना है कि एक देश में एक कानून अत्यंत आवश्यक है.

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Last Updated :Feb 8, 2024, 1:21 PM IST
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