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शाही ईदगाह विवाद: हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की दलील- वक्फ के पास दस्तावेज ही नहीं, सब जगह श्रीकृष्ण जन्मभूमि का कब्जा और दखल - Allahabad High Court News

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 2, 2024, 8:37 PM IST

Updated : May 2, 2024, 9:18 PM IST

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हिंदू पक्ष ने कहा कि जब कोई दस्तावेज नहीं, तो संपत्ति वक्फ की कैसे हो सकती है. इस मामले की सुनवाई अब 7 मई को होगी.

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प्रयागराज: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद को लेकर दाखिल 18 मुकदमों में गुरुवार को भी सुनवाई हुई. सुनवाई पूरी नहीं होने पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 मई की तारीख लगाई है. यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने दिया.

गुरुवार को हिंदू पक्ष की ओर से सूट संख्या चार पर बहस करते हुए वादी आशुतोष पांडेय ने कहा कि कटरा केशव देव और जन्मभूमि की पूरी जमीन भगवान श्री कृष्णा विराजमान की है. इसके वक्फ संपत्ति होने का दावा पूरी तरीके से बेबुनियाद है. वक्फ बोर्ड के पास इस संपत्ति से संबंधित एक भी दस्तावेज नहीं है. उन्होंने कहा कि वक्फ सिर्फ उन संपत्तियों की देखभाल करने का अधिकारी है, जो उसे दान में मिली है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन वक्फ बोर्ड को कब दान में दी गई, इसका एक भी दस्तावेज उनके पास नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकारी दस्तावेजों, नगर निगम के रिकॉर्ड आदि सब जगह श्री कृष्ण जन्मभूमि का ही कब्जा और दखल है. सारे टैक्स व बिजली का बिल आदि भी जन्मभूमि ट्रस्ट ही अदा करता है.

आशुतोष पांडे ने कोर्ट को बताया कि शाही ईदगाह मस्जिद द्वारा फर्जी बिजली कनेक्शन लेकर सरकार को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाया है. इसकी जांच रिपोर्ट संलग्न की गयी है. इनके ऊपर लाखों रुपए का जुर्माना लगाया गया है. क्योंकि पूरी संपत्ति में कहीं भी इनका नाम नहीं है. पांडेय ने कहा कि अगर यह वक्फ संपत्ति होती, तो वहां मुतवल्ली नियुक्त होता जिसे वेतन मिलता है, मगर यहां कोई मुतवल्ली नियुक्त नहीं है.

इससे पूर्व अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस में कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि एक संरक्षित स्मारक है. यह राष्ट्रीय महत्व का स्मारक भी है, इसलिए यह प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अवशेष अधिनियम 1958 से संचालित होगा. ऐसी स्थिति में इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना हमारा मौलिक अधिकार है. पूजा करने के मौलिक अधिकार को सीमा के कानून द्वारा कम नहीं किया जा सकता है.

ऐसे मामलों के लिए देवता और भक्त दोनों को अधिकार है. उन्होंने कहा कि मुकदमा विचारणीय है, विचारणीय न होने की याचिका पर प्रमुख साक्ष्यों के बाद ही निर्णय लिया जा सकता है. इसलिए मुकदमे की पोषणीयता के संबंध में सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत प्रस्तुत अर्जियों को खारिज किया जाना चाहिए. इस मामले में अगली सुनवाई 7 मई को होगी. मुकदमों में मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि से शाही ईदगाह मस्जिद की संरचना हटाने के बाद कब्जे के साथ मंदिर की बहाली और स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है.

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Last Updated :May 2, 2024, 9:18 PM IST
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