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पंजाब यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूल का शोध, पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की करेगा पुष्टि, दुष्कर्म के आरोपियों पर लगेगी लगाम! - Punjab University Molecule Research

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 28, 2024, 3:19 PM IST

Punjab University Molecule Research
Punjab University Molecule Research

Punjab University Molecule Research: अक्सर प्रोस्टेट कैंसर का पता बहुत देर से चलता है, क्योंकि उसे डिटेक्ट करने के ज्यादा तरीके नहीं है. इसलिए पंजाब यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूल का शोध किया गया है. जिससे पता लगाया जा सकेगा कि पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर है या नहीं, वहीं, दुष्कर्म के आरोपी की भी जांच की जा सकती है दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि की जा सकती है, खबर में विस्तार से जानते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर कैसे होता है और ये है क्या, साथ ही जानेंगे कि मॉलिक्यूल से कैसे हेल्थ केयर के अलावा फॉरेंसिक साइंस में दुष्कर्म केस का पता लगाया जा सकता है.

चंडीगढ़: प्रोस्टेट कैंसर जो कि प्रोस्टेट ग्रंथि से शुरू होता है. प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के आधार पर पाई जाती है. प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट ग्लैंड से शुरू होता है, यह अंग केवल पुरुषों में ही पाया जाता है. पुरुषों की उम्र बढ़ने पर प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. जिसके चलते यूरिन करने में कठिनाई, बार-बार और तत्काल पेशाब करने की जरूरत, पेशाब में खून जैसी समस्याएं आमतौर पर कैंसर बढ़ जाने के बाद ही आती है. प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी को आसान बनाने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च की गई है. शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने इस कैंसर की पुष्टि की पहचान के लिए मॉलिक्यूल तैयार किया है.

मॉलिक्यूल से किए गए टेस्ट: मॉलिक्यूल से दुष्कर्म किए जाने की भी पुष्टि करना आसान हो जाएगा. इस मॉलिक्यूल को तैयार करने के लिए पिछले 4 सालों से यूनिवर्सिटी में रिसर्च की जा रही है. फिलहाल इस मॉलिक्यूल को 30 से ज्यादा लोगों पर टेस्ट भी किया जा चुका है. जिसके चलते अब तक किए गए टेस्ट का नतीजा 95 फीसदी तक सही पाया गया है. बता दें कि पुरुषों में होने वाला प्रोस्टेट कैंसर एक साइलेंट किलर के तौर पर जाना जाता है. जिसका पता बीमारी बढ़ने पर ही लगता है.

क्या है प्रोस्टेट कैंसर: दरअसल, प्रोस्टेट के ऊतकों में कैंसर कोशिकाएं बनती है. ज्यादातर मामलों में अन्य कैंसर की तुलना में प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है. प्रोस्टेट कैंसर का पता शुरुआती स्टेज पर नहीं चल पाता क्योंकि इसका शुरुआती लक्षण पहचानना मुश्किल होता है. लेकिन जब यह कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि से बढ़कर शरीर के अन्य जगह पर जाने लगता है. वही आम भाषा में कहे तो पुरुषों के पेशाब संबधी परेशानियां बढ़ जाती है. इसके साथ ही पुरुषों के पैरों में भी कमजोरी आने लगती है. प्रोस्टेट पुरुषों में एक बड़े आकार की ग्रंथि के बनने पर होता है. जो पुरुषों के पेट के निचले हिस्से में पाया जाता है. इस कैंसर की पहचान पुरुषों के ट्यूब पर दबाव डालने से की सकती है. जो ब्लैडर से पेशाब को निकलने में मुश्किल पैदा करता है.

कैसे काम करता है मॉलिक्यूल: स्टेसिस एंटीजन पर मॉलिक्यूल डाला जाता है. जिसके बाद रंग बदलाव प्रक्रिया शुरू होती है. कुछ ही मिनट में लाल रंग का मॉलिक्यूल जब नीला हो जाता है, तो कैंसर की पुष्टि होती है. क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर की जांच के समय व्यक्ति के खून का प्रोस्टेट स्टेसिस एंटीजन लेकर क्रॉस सैंपल कलेक्ट किया जाता है और मॉलिक्यूल पर छोड़ा जाता है. स्टेसिस एंटीजन का सैंपल डालने पर यदि इसका रंग बदलता है तो समझा जाता है कि व्यक्ति को कैंसर है. इस तरह दुष्कर्म के मामले में जब दोषी का घटनास्थल से सीमन मिलता है तो उस सीमन को मॉलिक्यूल के जरिए साबित किया जाता है. ऐसे अगर मॉलिक्यूल लाल रंग से नीला रंग में बनाता है तो स्पष्ट हो जाता है कि दुष्कर्म हुआ है.

क्या कहते हैं शोधकर्ता: शोध में शामिल बायो फिजिक्स विभाग के डॉक्टर अवनीत सैनी और डॉक्टर शीतल शर्मा और इंस्टीट्यूट साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी विभाग की श्वेता शर्मा और उनकी शोधार्थी पांचाली बर्मन द्वारा मिलकर रिसर्च की गई है. जिसके चलते मॉलिक्यूल को तैयार किया गया है. वहीं, इस पेटेंट को भारत सरकार ने 22 अप्रैल 2024 को ही मंजूरी दे दी गई है.

'समय और पैसे की लागत होगी कम': शोधकर्ता पांचाली बर्मन ने बताया कि हमारी तरफ से तैयार किया गया मॉलिक्यूल सीमन के अंश को भी आसानी से पकड़ सकता है. अक्सर दुष्कर्म की शिकायत आने के बाद पीड़िता के नहाने से पहले उसके यौन अंग पर सैंपल लिया जाता है. लेकिन इस मॉलिक्यूल में सीमन मिलाते हुए दुष्कर्म होने की पुष्टि की जा सकती है. पांचाली ने बताया कि सीमन का अंश सिर्फ पुरुष में होता है और मॉलिक्यूल उसका आसानी से पता लगा सकता है. सीमन का अंश होने पर मामले की जांच दुष्कर्म होने के आधार पर होगी. मॉलिक्यूल द्वारा किए गए टेस्ट में समय और पैसा कम लगता है. दुष्कर्म के आरोपी को जल्दी पकड़ा जा सकता है.

भारत में कितना है मरीजों का आंकड़ा: द लेंसेट ने इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की रिपोर्ट में बताया है कि भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले 2040 तक दोगुना यानी 72 हजार तक पहुंच जाएंगे. जबकि मौजूदा समय में सभी कैंसरों में भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामले 3 प्रतिशत है. हर साल यहां 33 हजार से 42 हजार लोग प्रोस्टेट कैंसर का इलाज कराने आते हैं. इनमें से 65 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है. यानी हर साल करीब 18 से 20 हजार लोग प्रोस्टेट कैंसर के कारण मर जाते हैं.

40 साल में जांच जरूरी: बता दें कि 40 साल से ज्यादा उम्र वालों को प्रोस्टेट कैंसर का खतरा ज्यादा है. वहीं जिन लोगों के परिवार में पहले से यह बीमारी हुई है, उन लोगों के लिए भी इसका रिस्क ज्यादा रहता है. इसके अलावा ज्यादा वजन भी प्रोस्टेट कैंसर की वजह हो सकता है.

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