ETV Bharat / bharat

ईद और होली की छुट्टी में घर आये प्रवासी बिहारी, सवाल- लोकतंत्र के महापर्व में करेंगे 'खेला'? - lok sabha election 2024

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 11, 2024, 8:17 PM IST

Migration From Bihar : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रचार अभियान शुरू हो गया है. सभी दल, वोटरों को लुभाने की कोशिश में लगे हैं. वहीं एक आंकड़े के मुताबिक बिहार की कई लोकसभा सीटों पर करीब एक लाख वोटर ऐसे हैं, जो राज्य से बाहर रहकर काम करते हैं. होली और ईद की छुट्टी में ये घर आए हैं. इनकी संख्या इतनी बड़ी है कि वो किसी की जीत या हार में बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये प्रवासी मजदूर, कौन-कौन लोकसभा सीटों का समीकरण बदल सकते हैं. एक रिपोर्ट

प्रवासी
प्रवासी

प्रवासी मजदूरों पर राजनीतिक दलों की नजर.

पटना: बिहार से बड़ी संख्या में लोग रोजगार या फिर शिक्षा के लिए महानगर में रहते हैं. बिहार सरकार की रिपोर्ट की मानें तो बिहार की कुल आबादी का 3.5 फ़ीसदी लोग दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं. यह संख्या 45 लाख 78 हजार से अधिक बतायी गयी है. इनमें से बड़ी संख्या में लोग पर्व-त्योहार के मौके पर अपने घर आते हैं. 25-26 मार्च को होली मनायी गयी. 11 अप्रैल को ईद मनायी गयी. जो लोग होली मनाने आये थे उनमें से बड़ी आबादी रबी फसल को तैयार करने के लिए रुके हुए हैं.

प्रवासियों पर सभी दलों की नजरः पर्व त्योहार के समय नौकरी रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में गए लोग घर लौटते हैं और यदि उस समय चुनाव होता है तो उसमें शामिल होते हैं. इस बार भी लोकसभा चुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब होली समाप्त हुए बहुत दिन नहीं हुए हैं. ईद का पर्व तो चुनाव की घोषणा के बाद ही आया. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग घर लौटे हैं. एक आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा की 40 सीटों में से एक दर्जन लोकसभा सीट ऐसी है जहां पर प्रवासियों की संख्या काफी है. इन सीटों पर ये बड़ा उलट फेर करने की क्षमता रखते हैं. सभी दलों की नजर भी इन प्रवासियों पर है.

Etv Gfx
Etv Gfx

"कई लोकसभा क्षेत्र में प्रवासी बिहारी की बड़ी संख्या है. लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. अपने क्षेत्र और जाति के लोगों को जीताने के लिए उनका हाथ मजबूत करने पहुंचते हैं. उनकी एक पीड़ा यह भी होती है अपने प्रदेश में काम नहीं मिलने के कारण दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

वोट डालने आते हैं: चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार बिहार के 19 जिलों में सबसे अधिक पलायन करने वाले वोटर हैं. बिहार में वोटिंग का प्रतिशत देश में सबसे कम होता है. इसका बड़ा कारण पलायन माना जाता है. अमरेंद्र उपाध्याय 2000 से दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं. पहले तमिलनाडु में आयरन फैक्ट्री में काम किया. फिलहाल दिल्ली में फैक्ट्री में काम कर रहे हैं. कुछ साल पहले जब तमिलनाडु में काम करते थे तो लोकसभा चुनाव में नहीं आ पाए थे. अब दिल्ली से जब भी चुनाव होता है तो बिहार आ जाते हैं. इनका दर्द है कि बिहार में उन्हें सालों भर काम मिलता तो परिवार को छोड़कर बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

दूर देस जाने का है दर्दः भोला प्रजापति अपने परिवार के कुछ सदस्यों के साथ कई सालों से हरियाणा में फल व्यवसाय करते हैं. कई सालों से इस व्यवसाय में हैं. चुनाव के समय जरूर बिहार आते हैं. चुनाव को महापर्व मानते हैं. इनका भी दर्द है कि यदि बिहार में ही कुछ काम मिल जाता है तो बाहर जाने की जरूरत नहीं होती. अमरेंद्र उपाध्याय और भला प्रजापति जैसे लाखों लोग हैं जो दूसरे राज्यों में सालों से रह रहे हैं, लेकिन चुनाव में अपनी भूमिका नहीं भूलते हैं. बड़ी संख्या में राजनीतिक दल ऐसे लोगों को अपने पक्ष में वोट करने के लिए बुलाते भी हैं.

"बिहार से केवल रोजगार के लिए ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में उच्च शिक्षा के लिए भी लोग जाते हैं. बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो पर्व त्योहार में आते हैं और अगर उस समय चुनाव होता है तो वे वोट डालने के लिए रुक जाते हैं. इस बार भी बड़ी संख्या में बिहार के प्रवासी वोट डाल सकते हैं, जिसका कई सीटों पर असर पड़ सकता है."- प्रिय रंजन भारती, राजनीतिक विश्लेषक

पलायन बन सकता है मुद्दाः राजद नेताओं का कहना है कि बिहार से जो लोग पलायन कर रहे हैं, यह सरकार की नाकामी है. इसलिए जो भी प्रवासी बिहारी हैं वह वोट डालने आते हैं तो सरकार के खिलाफ ही डालेंगे. लेकिन, जदयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि नीतीश कुमार ने बिहार में बहुत काम किया है. जो लोग बाहर रहते हैं उन्हें भी अब वहां सम्मान मिलने लगा है, तो निश्चित रूप से नीतीश कुमार के प्रति बिहार के प्रवासियों में सम्मान भाव है. बड़ी संख्या में वे लोग यहां आकर नीतीश कुमार के पक्ष में वोट डालते हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े: बिहार सरकार ने जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की थी. उससे पहले कोरोना के समय भी सरकार ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. इन रिपोर्टों के अनुसार बिहार की कुल आबादी का 3.5 फ़ीसदी लोग दूसरे प्रदेशों में रह रहे हैं. 45 लाख 78000 से अधिक लोग पलायन करने वालों में सबसे अधिक 5.68 फीसदी सवर्ण समुदाय के लोग हैं. 3.4 फीसदी लोग पिछड़ा वर्ग एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के हैं. पांच फीसदी से अधिक लोग अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य जातियों में 3.2 % लोग हैं. पर्व त्योहार पर ये प्रवासी जरूर घर आते हैं.

इसे भी पढ़ेंः होली स्पेशल ट्रेन भी कम पड़ी, यात्रियों को खड़े होकर करना पड़ रहा सफर - Holi Special Train

इसे भी पढ़ेंः 'आ अब लौट चलें', होली बाद ट्रेन में लटक कर लौटने लगे कामगार, बोले- 'यहां नहीं मिलता काम का दाम' - Bihari Migrant Laborers

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.