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बिहार में क्यों बार-बार गिर रहा ‘भ्रष्टाचार का पुल’, जानें 24 महीनों में कितने गिरे?, कब गिरा कौन सा पुल? - Supaul Bridge Collapse

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 22, 2024, 6:11 PM IST

Updated : Mar 22, 2024, 7:22 PM IST

बिहार में क्यों बार-बार गिर रहा ‘भ्रष्टाचार का पुल’
बिहार में क्यों बार-बार गिर रहा ‘भ्रष्टाचार का पुल’

Supaul Bridge Collapse : बिहार के सुपौल जिले में निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया. हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि की मजदूरों के दबे होने की आशंका है. यह पहली बार नहीं हुआ है, पिछले कुछ सालों में ऐसी घटनाओं की लंबी फेहरिस्त हैं. तो क्या यह माना जाय कि एक बार फिर टूट गया 'भ्रष्टाचार का पुल' और बह गया जनता का पैसा. पढ़िए बिहार के बनते-टूटते पुलों की कहनी.

पटना: बिहार के सुपौल जिले में कोसी नदी पर बन रहे बकौर पुल का हिस्सा गिरने के कुछ ही घंटों बाद बिहार सरकार ने जांच का ऐलान कर दिया है. बिहार के उप मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा फिलहाल दोषियों को बख्शने के मूड में नहीं है. लेकिन एक बार फिर यह सवाल उठने लगे कि बिहार में ही बार-बार पुल गिरने की घटना क्यों होती है?.

सुपौल जिले में निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरा
सुपौल जिले में निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरा

भारत का सबसे बड़ा पुल बन रहा था : भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सुपौल के बकौर से मधुबनी के भेजा के बीच यह पुल बनाया जा रहा है. कोसी नदी पर बन रहे इस पुल की लंबाई करीब 10.2 किलोमीटर है, जबकि एप्रोच रोड मिलाकर पुल की लंबाई 13.3 किलोमीटर हो जाएगी. इसकी लागत 1200 करोड़ करोड़ और इसे भारत का सबसे लंबा पुल बनाया जा रहा है.

उद्घाटन से पहले गिरा बकौर पुल का हिस्सा : बकौर पुल साल 2023 तक बन जाना था, लेकिन किसी कारण इससे बनने में देरी हुई अब इसका काम दिसंबर 2024 तक संभावित है. हालांकि, शुक्रवार सुबह बकौर पुल के तीन पिलर 50, 51 और 52 का गार्डर भड़भड़ाकर गिर गया. बता दें कि देश का सबसे लंबा सड़क पुल असम का भूपेन हजारिका सेतु है, जिसे ढोला सदिया सेतु के नाम से जाना जाता है, ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है.

सुपौल के बकौर से मधुबनी के भेजा के बीच यह पुल बनाया जा रहा है
सुपौल के बकौर से मधुबनी के भेजा के बीच यह पुल बनाया जा रहा है

''भेजा-बकौर के बीच मरीचा के पास एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरने से एक की मौत हो गई और 9 लोग घायल हुए हैं. जख्मी को एक एक लाख रूपये और मरने वाले को 10 लाख की राशि दी जाएगी''. - कौशल कुमार, सुपौल डीएम

सामरिक दृष्टिकोण से भी बकौर पुल अहम : बता दें कि इस पुल के बनने से सुपौल से मधुबनी की दूरी 30 किलोमीटर कम हो जाएगी, यानी मधुबनी से सुपौल जाने के लिए जो 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, पुल बनने के बाद 70 किलोमीटर रह जाएगी. वहीं सामरिक दृष्टिकोण से भी बकौर पुल बहुत अहम है. इस पुल के बनने से नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ उत्तर पूर्व आना-जाना भी आसान हो जाएगा.

पुल का हिस्सा टूटकर क्यों गिर जाता हैं? : अब सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार मे बार-बार पुल का हिस्सा टूटकर क्यों गिर जाता हैं?. इससे पहले भी पुल टूटकर गिर चुके हैं, कई लोगों की जान जा चुकी है, फिर भी हादसे नहीं रुक रहे हैं. आपको हैरानी होगी कि बीते 24 महीनों में 8 से 10 पुल टूटकर गिर चुके हैं. इनमें कई निर्दोष लोगों की मौत भी हो चुकी है. जांच बैठती है, और दोषी कौन?, यह सवाल फाइलों गुम हो जाता है?

कोसी नदी पर बन रहा बकौर पुल
कोसी नदी पर बन रहा बकौर पुल

क्या कहते है एक्सपर्ट? : कोसी के इलाके में लगातार नदी संरक्षण पर काम कर रहे महेंद्र यादव बताते हैं कि यह पुल जो गिरा है, यह तकनीकी रूप से खराब काम की वजह से गिरा है. इसमें नदी का कोई अवरोध नहीं है. स्लैब रखना और टेक्निकल जो पार्ट है उसके खराब काम के कारण यह पुल गिरा है. नदी की धारा को कोई अवरोध नहीं मिल रहा था. पिछला पुल जो बना था जिसे हम लोग कोशी महा सेतु के नाम से जानते हैं. उसमें नदी में अवरोध पैदा हुआ था. गाईड बांध बनाकर दोनों तटबंधों को घटाकर काम किया गया था. स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था. उसमें तकनीकी रूप से गड़बड़ी की गई थी.

''पुणे के एक लैब का रिपोर्ट है कि पुल जब भी बनेगा तो तटबंधों को सामान्य रखना चाहिए. नदी की धारा में में कोई अवरोध नहीं होना चाहिए. ये पिछली बार हुआ था लेकिन, इस बार पिलर की दूरी सामान्य रखी गई है. इसमें कोई अवरोध देखने को नहीं मिला है. यह पूरी तरह से निर्माण कार्य में हुई लापरवाही की वजह से पुल गिरा है.'' - महेंद्र यादव, नदी विशेषज्ञ

क्यों बोले बिहार के पथ निर्माण मंत्री? : इस मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री व पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि, ''एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया. हादसे में एक व्यक्ति की मृत्यु की खबर है, 10 लोग घायल हुए हैं. मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा संबंधित एजेंसी द्वारा दिलवाया जाएगा. साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."

तेजस्वी ने कहा- 'पुल गिरना एक परंपरा' : बिहार में एक बार फिर पुल गिरा तो सियासत भी शुरू हो गई. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, ''बिहार में सुपौल-मधुबनी के भेजा-बकौर के बीच कोसी नदी पर 1200 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल गिरने से एक बड़ा हादसा हो गया जिसमें कई श्रमिकों के दबने, घायल एवं मृत्यु होने की सूचना मिली है. डबल इंजन सरकार में करोड़ों के पुल गिरना एक परंपरा बन गयी है. सरकार घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था, मुआवजा राशि और दोषी कंपनी व अधिकारियों पर कारवाई करें."

बिहार में पुल गिरने की कहानी : अब आइये बिहार में गिरते पुल और उठते सवालों के बीच यह जान लेते है कि पिछले 24 महीने यानी 2 साल में बिहार कब-कब और कहां पुल गिरने की घटना सामने आई हैं, आइये जानते है.

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22 मार्च 2023 सुपौल : बिहार के सुपौल जिले में बकौर में बन रहे बकोसी नदी पर बन रहे पुल का स्लैब गिर गया, हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई. करीब 1200 करोड़ की लागत से यह पुल तैयार किया जा रहा था. पुलिस की लंबाई करी ब10.2 किलोमीटर है.

24 जून 2023, किशनगंज : बिहार के किसनगंज में मेची नदी पर बन रहा पुल धंस गया. ठाकुरगंज और बहादुरगंज के बीच मेची नदी पर छह पाये वाले पुल का निर्माण चल रहा था. इसी दौरान बारिश नहीं झेल पाया और पुल का एक पाया धंस गया.

4 जून 2023, खगड़िया : बिहार के खगड़िया जिले में खगड़िया-अगुवानी सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर 1717 करोड़ की लागत से बन रहे पुल का एक हिस्सा गिर गया. साल 2022 में भी पुल का एक हिस्सा टूट कर गिर गया था, वजह आंधी-पानी को बताया गया था.

16 मई 2023, पूर्णिया : बिहार के पूर्णिया जिले में एक निर्माणाधीन पुल निर्माण के कुछ घंटे बाद ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. स्थानीय लोगों का आरोप था कि पुल निर्माण में ठेकेदार ने घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया, जिस वजह से हादसा हुआ.

19 मार्च 2023, सारण : यहां महानंदा नदी पर अंग्रेजों के जमाने का एक पुल ढह गया. बाढ़ के दौरान यह जर्जर हो चुका था. लेकिन इसकी मरम्मत नहीं कराई गई थी. बावजूद इसके पथ निर्माण विभाग ने इसे खतरनाक घोषित नहीं किया गया था.

19 फरवरी 2023, पटना : पटना जिले के बिहटा सरमेरा फोरलेन के पास एक निर्माणाधीन पुल टूट गया. यह पुल पटना से नालंदा को जोड़ती थी.

16 जनवरी 2023, दरभंगा : बिहार के दरभंगा में कमला नदी पर बना लोहे का पुल गिर गया. यह पुल दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर और सहरसा को जोड़ता था. लेकिन 16 जनवरी को सरिए से लदा ट्रक का भार नहीं सह पाया और पुल टूट गया. हादसे में किसी की जान नहीं गई.

18 दिसंबर 2022, बेगूसराय : बिहार के बेगूसराय जिले में गंडक नदी पर 14 करोड़ की लागत से पुल बनाया गया था, जो उद्घाटन के पहले ही ढह गया. बताया गया कि मुख्यमंत्री नाबार्ड योजना के तहत करीब 206 मीटर लंबे इस पुल में ढहने से पहले दरार आया और तीन दिन बाद पुल का पूरा स्लैब टूट कर गंडर नदी में समा गया.

18 नवंबर 2022, नालंदा : बिहार के नालंदा में वेना ब्लाक मे चार लेन खंड पर सड़क पुल का निर्माण चल रहा था. लेकिन इसी बीच, निर्माणाधीन सड़क पुल ढह गया, जिसमें दबकर एक मजदूर की मौत हो गई. इससे पहले भी पुल घटिया निर्माण साम्रगी के कारण पुल टूटा था.

9 जून 2022, सहरसा : बिहार के सहरसा जिले के कोसी तटबंध के पूर्वी हिस्से में 'भ्रष्टाचार' वाले पुल का एक हिस्सा गिर गया, हादसे में कुछ मजदूर घायल हुए थे. आरोप लगा कि 147 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल के ठेकेदार को सेटरिंग बदलने के लिए कहा गया था, लेकिन बिना सेटरिंग बदले उसने पुल की ढलाई कर दी, जिससे हादसा हुआ.

20 मई 2022, पटना : साल 2022, 20 मई को पटना में जोरदार बारिश हुई. इस बारिश में पटना से 25 किलोमीटर दूर फतुहा में 136 साल पुराना सड़क पुल ढह गया. इस पुल का निर्माण 1984 में ब्रिटिस काल के दौरान हुआ था. हादसा उस वक्त हुआ, जब एक ट्रक निर्माण सामग्री लेकर पुल को पार कर रहा था, ज्यादा वजन होने के कारण पुल गिर गया.

क्या कोई जवाबदेही तय होगी? : फिलहाल, पिछले दो सालों में जब-जब पुल गिरे या पुल का हिस्सा गिरा अगर सरकार कड़ी कार्रवाई करती, और कंपनी और संबंधित ठेकेदार को संदेश जाता तो जरूर एक मिसाल पेश होती, और फिर पुल गिरने की खबर नहीं आती. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी की कोई जवाबदेही तय होगी कि आगे से ऐसा हादसा न हो?.

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Last Updated :Mar 22, 2024, 7:22 PM IST
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