कुरुक्षेत्र: आज के दौर में लोग घर छोड़ दूसरे शहर काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. कुछ लोग तो अपने शहर से दूर रहकर अपने देश में ही काम करते हैं तो कुछ लोग अच्छी कमाई की आस लिए विदेश का रूख करते हैं. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने देश में, अपनी जन्मभूमि में खुद का रोजगार शुरू कर बेहतर कमाई कर रहे हैं. ऐसे लोगों में कुरुक्षेत्र के गुरप्रीत भी शामिल हैं, जो कि अपने बेटे के साथ मिलकर ऐसा काम कर रहे हैं, जिसकी हर ओर चर्चा हो रही है.
दरअसल, गुरप्रीत 6 साल विदेश में रह चुके हैं, वहां काम कर चुके हैं. हालांकि उनका मन वहां नहीं रमा और वो वापस लौट आए. गुरप्रीत ने अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली को अपनी आजीविका का साधन बनाया है. अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली को मॉडिफाई कर गुरप्रीत ने फूड कोर्ट तैयार किया है. इस फूड कोर्ट में हर तरह के देसी और विदेशी फूड उपलब्ध है. लोग इनके फूड कोर्ट से न सिर्फ खाना ऑर्डर कर खाते हैं, बल्कि ये फूड कोर्ट में बना खाना क्षेत्र के लोगों की पसंद बन चुका है.
यूरोप में बिताया 6 साल: ईटीवी भारत ने गुरप्रीत से इस बारे में बातचीत की. बातचीत के दौरान गुरप्रीत ने अपने संघर्ष, अपनी सोच और अपने जीवन में विदेश यात्रा से लेकर फूड कोर्ट तक की यात्रा के बारे में बताया. गुरप्रीत ने कहा कि, "मैं कुरुक्षेत्र के हंससाला गांव का रहने वाला हूं. साल 2014 में मैं यूरोप गया था. वहां साल 2020 तक मैं यूरोप के ऑस्ट्रिया कंट्री में रहा. वहां का रहन-सहन मुझे काफी पसंद आया. वहां का खान-पान भी मुझे काफी अच्छा लगा. लेकिन कहीं ना कहीं मेरे मन में अपने वतन वापस लौटने की कसक थी. इस कारण मैं 6 साल विदेश में रहने के बाद वापस भारत अपने देश लौट आया."

ऐसे आया विचार: गुरप्रीत ने आगे कहा, "विदेश से लौटने के बाद मैं कुछ समय तक अपने परिवार के साथ घर पर ही रहा. मैं एक किसान का बेटा हूं. ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं. हालांकि मैंने खेती से हटके कुछ अलग करने का सोचा. मुझे जो भी करना था, अपना ही करना था. इसी बात को ध्यान में रखते हुए और अपने विदेश के अनुभव के साथ मैंने नया स्टार्टअप शुरू किया. मैंने सोचा कि विदेश में फास्ट फूड की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. वहां पर साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. इसलिए मैंने फूड कोर्ट शुरू करने की ठानी. हालांकि मेरे पास कोई दुकान नहीं था, जहां मैं फूड कोर्ट शुरू कर सकूं."

ट्रैक्टर ट्रॉली को बनाया फूड कोर्ट: गुरप्रीत ने बताया कि, "फूड कोर्ट शुरू करने से पहले मैंने काफी रिसर्च किया. सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ सर्च किया. उसके बाद मैंने सोचा कि क्यों ना अपने खेती के साथी ट्रैक्टर ट्रॉली को ही मॉडिफाई किया जाए. फिर क्या था. करीब 7 लाख रुपए लगाकर मैंने ट्रैक्टर लिया और ट्रॉली को मॉडिफाई किया. ट्रैक्टर ट्रॉली को मॉडिफाई करके मैंने फूड कोर्ट तैयार कर लिया."

फूड कोर्ट से चलता है गुजारा: फूड कोर्ट के बारे में गुरप्रीत ने बताया कि, "मेरा फूड कोर्ट सबसे अलग और सुंदर बन गया है. ट्रैक्टर ट्रॉली में फूड बेचना हर तरह से मेरे फूड कोर्ट को अलग बना रहा था, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मेरे फूड कोर्ट का नाम सरदारजी फूड जंक्शन है. मैं गांव से करीब सुबह 6 बजे कुरुक्षेत्र के 17 सेक्टर के फूड मार्केट में पहुंचता हूं. रात के करीब 11 बजे तक वहां रहकर मैं फास्ट फूड बनाकर लोगों को सप्लाई करता हूं. हमारा गुजारा इसी फूड कोर्ट से चलता है."

ट्रैक्टर ट्रॉली ने बना दिया फेमस: अपने अनोखे फूड कोर्ट के कारण गुरप्रीत फेमस हो गये हैं. अपनी बढ़ती प्रसद्धि को लेकर गुरप्रीत कहते हैं कि "मैं ट्रैक्टर ट्रॉली पर फास्ट फूड बनाने का काम करता हूं, जिसके चलते हर किसी की नजर में मेरा काम आता है. कई लोग मेरे यहां खाने के लिए आते हैं. हमारे यहां लोगों को अच्छी क्वालिटी का खाना मिलता है. हम विदेश की तर्ज पर यहां फूड तैयार करते हैं, जो कि आज के युवा वर्ग को पसंद है. इसलिए हमारे यहां का बना फूड लोगों की पसंद बन गई है."

बेटे को भी खुद से जोड़ा: गुरप्रीत ने आगे बताया कि, "मेरे तीन बेटे हैं. एक बेटा फार्मेसी मेडिकल स्टोर पर काम करता है, जो शाम के 6 बजे अपना काम खत्म करने के बाद हमारी मदद करने के लिए आ जाता है. बाकी दो बेटे गांव से ही हमारे साथ यहां आते हैं. ये यहां ज्यादातर काम देखते हैं. मेरे बेटे पहले विदेश जाना चाहते थे. हालांकि मैं पहले ही विदेश जाकर वहां का हाल देखकर आ चुका हूं. इसलिए मैं नहीं चाहता था कि वे विदेश जाएं. इसलिए मैंने सभी को खुद के साथ जोड़ लिया."
गुरप्रीत ने की युवाओं से अपील: गुरप्रीत ने कहा, "मैं 6 साल विदेश में रहा. वहां पैसा था लेकिन परिवार नहीं. परिवार से दूर रहना मुश्किल होता है. इसलिए मैं आज के युवाओं से भी अपील करता हूं कि अपने देश में रहो और हो सके तो खुद का काम करो. क्योंकि खुद का काम करने में एक अलग ही आनंद है. साथ ही परिवार के साथ रहकर काम करने का अलग मजा है."
काफी खास है गुरप्रीत का फूड कोर्ट: गुरप्रीत के बेटे जसप्रीत से भी ईटीवी भारत ने बातचीत की. जसप्रीत ने कहा, "हमने ट्रैक्टर ट्रॉली को मॉडिफाई किया है. ये काफी आधुनिक है. यहां खास तरीके के फास्ट फूड को हम तैयार करते हैं. जैसा किसी दुकान या होटल में सुविधा होता है, ठीक वैसी ही सुविधा हम अपने फूड कोर्ट में लोगों को देते हैं. हमारे फूड कोर्ट में फ्रिज, बिजली, पानी हर प्रकार की सुविधा है. हर चीज के लिए उसमें अलग से डिजाइन तैयार करके स्थान बनाया गया है. यहां पर बर्गर, पिज्जा, सैंडविच, पास्ता, फ्रेंच फ्राइज जैसे कई प्रकार के आइटम तैयार होते हैं, जिसकी गुणवत्ता विदेशी फूड जैसी है."
"जैसे ही हम अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर बाजार पहुंचते हैं. लोग खाने के तभी आना शुरू हो जाते हैं. रात के करीब 11- 12 बजे तक उनका काम चलता रहता है. हम विदेश जरूर जाना चाहते थे, लेकिन मेरे पिता के इस आईडिया ने हमारी जिंदगी बदल दी है. अब हम यहीं पर अच्छा पैसा कमा रहे हैं और अपने परिवार के पास रहकर खुश भी हैं." -जसप्रीत, गुरप्रीत का बेटा
गुरप्रीत के फूड कोर्ट लोगों का आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. इसकी बनावट और फूड के काफी चर्चे हैं. साथ ही गुरप्रीत का देश में अपने परिवार के साथ रहकर काम करना और पैसा कमाने का आइडिया अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा बन रहा है. ऐसे में ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि जो भी काम करें अपने देश में रहकर करें. विदेश से ज्यादा अवसर अपने देश में है.
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