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सेना के जवानों को मिलेंगे हाईटेक राइफल्स, एके-47 इंसास भूल जाएं, नई गन से 1 मिनट में 700 राउंड फायर - INDIAN SOLDIERS AK 203 GUN

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 8, 2024, 12:40 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 2:56 PM IST

INDIAN SOLIDERS TO GET NEW GUN
सेना के जवानों को मिलेंगे हाईटेक राइफल्स

इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड, कोरवा के सहयोग से एके-203 राइफल को भारत में ही बनाया जा रहा है. ये राइफल इंसास व एके-47 से भी ज्यादा खतरनाक है. शुरुआती स्तर पर जवानों के एक दल को इसकी ट्रेनिंग दी गई है.

जबलपुर. ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर ने जानकारी देते हुए बताया है कि एके-47 और इंसास राइफल के बाद अब सेना और सुरक्षा एजेंसियां जवानों को नई राइफल एके-203 देने जा रही है. इसे बेहद अत्याधुनिक हथियार इंडो रशियन तकनीक पर भारत में ही बनाया गया है. यह पिछली दोनों ही राइफलों से कई ज्यादा कारगर है और मारक क्षमता में और आगे है. जंग की स्थिति में किसी जवान की सबसे बड़ी ताकत उसकी बंदूक होती है, ऐसी स्थिति में यदि भारतीय जवानों के पास एके 203 राइफल हो, तो दुश्मन की खैर नहीं होगी.

INDIAN SOLIDERS TO GET NEW GUN
सेना के जवानों को मिलेंगे हाईटेक राइफल्स

जीआरसी में हुई एके 203 की ट्रेनिंग

जबलपुर का ग्रेनेडियर्स रेजिमेंटल सेंटर (जीआरसी) सेना के जवानों को प्रशिक्षित करने का एक ट्रेनिंग सेंटर है. यहां सेना के मध्य भारत क्षेत्र के जवानों के एक दल ने नई बंदूक एके-203 राइफल को चलाने की ट्रेनिंग ली है. माना जा रहा है कि इसके बाद इन जवानों के माध्यम से सेना और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के जवानों को इसे चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.

क्यों बेहतर गन है AK-203?

अभी तक सेना ज्यादातर एके-47 और इंसास राइफल का इस्तेमाल कर रही है लेकिन AK-203 राइफल इन दोनों ही राइफल से कई मामलों में बेहतर है. यह वजन में हल्की है, इसका वजन महज 3.8 किलोग्राम है और इसकी मारक क्षमता इन दोनों ही राइफल से कुछ ज्यादा है. ये राइफल लगभग 800 मीटर (1 किलोमीटर से थोड़ा कम) तक सटीक निशाना साध सकती है. इंसास राइफल के मुकाबले इस राइफल से 50 राउंड प्रति मिनट ज्यादा दागे जा सकते हैं. यानी एक मिनट में AK-203 राइफल 700 राउंड तक फायर कर सकती है.

एके-47 और इंसास से कैसे बेहतर है AK203?

एक जवान को बंदूक को दिन भर अपने कंधे पर टंगे रखना होता है या फिर वह उसे अपने हाथ में रखता है, ऐसे में बंदूक का वजन काफी महत्वपूर्ण होता है. इसलिए सेना को कम वजन की अच्छी बंदूक की जरूरत थी. AK-47 राइफल का वजन 4.6 किलो था, वहीं इससे बेहतर राइफल इंसास बनाई गई जिसका वजन 4.1 किलोग्राम था. लेकिन इन दोनों से बेहतर बंदूक एके 203 साबित हुई इसका वजन 3.8 किलोग्राम है, यह वजन में काफी हल्की है.

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सेना के जवानों को मिलेंगे हाईटेक राइफल्स

जवानों के लिए कैसे मददगार साबित होगी एके 203?

सैनिक ऐसा हथियार चाहता है कि यदि उसे कोई टारगेट मिल जाए तो उसे पलक झपकते ही उसे मार दिया जाए. इस मामले में एक-47 1 मिनट में 600 राउंड दाग सकती है, वहीं इंसास राइफल 600 से 650 गोलियां प्रति मिनट दाग सकती है. वही एके 203 की स्पीड इससे भी ज्यादा है. ये राइफल 700 गोलियां प्रति मिनट दाग सकती है. ऐसी स्थिति में यदि दुश्मन मात्र एक सेकंड के लिए भी किसी सैनिक को दिख जाए तो समझें कि सैनिक उसके शरीर में 12 गोलियां उतार सकता है और पलभर में उसका काम तमाम हो जाएगा.

खत्म होगी AK-47 की बादशाहत

अभी तक दुनिया की सबसे मशहूर राइफलों में से एक AK-47 का दबदबा रहा है. इसकी बड़ी वजह इसका कम वजन और अच्छी मारक क्षमता रही है. यही वजह है कि इस बंदूक ने पूरी दुनिया में दहशत बना रखी है. वहीं अब AK-203 के आने के बाद हो सकता है कि एके-47 की ये बादशाहत खत्म हो जाए.

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अग्निवीरों को भी मिलेगी एके-203 की ट्रेनिंग

उपयोग में यह बंदूक बहुत सरल है और कम समय में इसे असेंबल किया जा सकता है. पूरी तरह भारत में बनने की वजह से यह बंदूक आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होगी. इस बंदूक के इस्तेमाल के बाद भारतीय सेना और ज्यादा मजबूत होगी और दुश्मनों के लिए और भी खतरनाक हो जाएगी. वहीं Ak 203 राइफल को चलाने की ट्रेनिंग अग्नि वीर जवानों को भी दी जाएगी, जिससे जवान अपनी और देश की सुरक्षा ज्यादा अच्छे तरीके से कर पाएंगे.

Last Updated :Apr 8, 2024, 2:56 PM IST
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