हैदराबाद: तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कब्जाधारी अपना 'विश्वरूप' दिखा रहे हैं. सिंचाई और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारी रातों-रात सैकड़ों करोड़ रुपये के तालाब स्थलों पर कब्जा कर रहे हैं. कुछ ही दिनों में, वे अनौपचारिक उद्यम करते हैं और प्लॉट व मकान बेचकर पैसा कमाते हैं.
एक व्यवसायी ने बुधवार रात 8 बजे से गुरुवार सुबह 4 बजे तक 20 उद्घोषक और 40 टिप्परों के साथ लगभग 5 एकड़ जमीन को मिट्टी से ढककर राजेंद्रनगर निर्वाचन क्षेत्र में मामिदिकुंटा तालाब पर कब्जा करने की कोशिश की. स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उपद्रवियों ने उन्हें धमकी दी.
जानकारी के अनुसार जीएचएमसी के अंतर्गत 185 तालाब हैं, जबकि एचएमडीए के अंतर्गत 3,500 अन्य तालाब हैं. इनमें से करीब 50 फीसदी पर कब्जाधारियों का कब्जा है. गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने भले ही अधिकारियों को इन सभी तालाबों की एफटीएल सीमा चिह्नित करने का आदेश दिया है, लेकिन अब तक कम से कम 25 फीसदी तालाब भी चिह्नित नहीं किये गये हैं.
राजेंद्रनगर सर्किल के उसी व्यापारी ने एक साल से भी कम समय पहले इस तालाब की एक एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया था. उस समय स्थानीय लोगों ने शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया. मालूम हो कि इस पूरे मामले में काफी कुछ बदल चुका है. बुधवार की रात अतिक्रमण किये गये तालाब की शिकायत स्थानीय लोगों ने गुरुवार की सुबह अधिकारियों से की, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया.
जैसे ही कांग्रेस मैलारदेवुपल्ली डिवीजन के अध्यक्ष धनुंजय के नेतृत्व में स्थानीय लोग विरोध करने के लिए तैयार हुए, शमशाबाद पुलिस ने जवाब दिया और 2 लॉरी और एक टिपर जब्त कर लिया और मामला दर्ज किया. कटेदान के बाबुल रेड्डी नगर में नरसाबाई कुंटा का क्षेत्रफल दो साल पहले तक 22 एकड़ था.
एक व्यापारी जिसने ममिदिकुंटा पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और कुछ अन्य लोगों ने एक अनौपचारिक उद्यम स्थापित करके दो साल में पूरे तालाब को मिट्टी से ढक दिया और इसे घर के भूखंड के रूप में बेच दिया. कटेदान में महत्वपूर्ण अप्पा तालाब 39 एकड़ में फैला है.
पहले यह तालाब हजारों लोगों को पेयजल की सुविधा मुहैया कराता था. यह क्षेत्र को बाढ़ से बचाता है. अतिक्रमणकारियों की नजर इस तालाब पर भी पड़ी. चार-पांच वर्षों से अतिक्रमण के कारण तालाब अब मात्र 12 एकड़ का रह गया है. यहां कई घर भी बनाए जा चुके हैं.