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हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा की जांच से खुलेंगे कई अनसुलझे राज, दंगाईयों के बाद अफसरों की भूमिका भी होगी स्पष्ट

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 24, 2024, 1:57 PM IST

Updated : Feb 24, 2024, 6:13 PM IST

Investigation of Haldwani Banbhoolpura violence बनभूलपुरा हिंसा के दो हफ्ते बाद भी ऐसे कई अनसुलझे राज हैं, जिनसे पर्दा उठना बाकी है. दंगाइयों के एकाएक तैयारी के साथ हमला करने का मामला हो या फिर पुलिस और प्रशासन की अधूरी तैयारी के बावजूद जल्दबाजी दिखाने की चर्चा. इन सभी सवालों के जवाब जांच रिपोर्ट ही दे सकती है. उधर लोगों ने पुलिस पर मारपीट करने और घरों में तोड़फोड़ करने का भी आरोप लगाकर इसकी लिखित और मौखिक शिकायत देनी शुरू कर दी है. ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...

Investigation of Haldwani Banbhoolpura violence
बनभूलपुरा हिंसा की जांच

हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा की जांच से खुलेंगे कई अनसुलझे राज.

हल्द्वानी (उत्तराखंड): बनभूलपुरा हिंसा प्रकरण पर कई स्तर से जांच प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है. हालांकि अब तक की सभी कार्रवाई दंगाइयों के खिलाफ दिखाई दी है. लेकिन अब दूसरे तमाम पहलुओं पर भी जांच के दौरान पर्दा उठने की उम्मीद है. खास बात यह है कि एक तरफ जहां पुलिस इस मामले में अब्दुल मलिक की तमाम संपत्तियों और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे से जुड़े प्रकरणों की जांच कर रही है, तो वहीं कुछ दूसरी जांच लोगों की शिकायत के आधार पर भी शुरू की गई हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण जांच कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत द्वारा किए जाने की बात मानी जा रही है. प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत को जांच सौंपी है और 15 दिनों के भीतर शासन को रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है. उधर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भी अपने स्तर पर शिकायतों को लेकर अलग से जांच कर रहा है.

15 दिन में जांच पूरी करना नामुमकिन: वैसे तो मुख्य सचिव ने 15 दिनों के भीतर शासन को रिपोर्ट प्रेषित करने के लिए कुमाऊं कमिश्नर को कहा है. लेकिन जिस संख्या में स्थानीय लोगों द्वारा शिकायतें की जा रही है और घटनास्थल क्षेत्र में लोग पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं, उससे यह लगता नहीं है कि 15 दिनों के भीतर इस मामले की निष्पक्ष जांच की जा सकेगी. हालांकि, कुमाऊं कमिश्नर के स्तर से किन-किन बिंदुओं पर यह जांच की जा रही है, यह अब तक औपचारिक रूप से स्पष्ट नहीं हो पाया है. लेकिन जिस तरह कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने जिलाधिकारी और एसएसपी समेत 6 अधिकारियों को अपनी बात रखने के लिए नोटिस दिया है, उससे लगता है कि पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को लेकर भी जांच को आगे बढ़ाया जाएगा.

मारपीट और घरों में तोड़फोड़ का आरोप: स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने इस घटना के बाद उनके साथ मारपीट की और उनके घरों में तोड़फोड़ भी की है. बताया गया कि इस तरह के आरोप कुछ लोगों द्वारा लिखित रूप से भी अल्पसंख्यक आयोग में दिए गए हैं. उधर लोग खुले रूप से भी इस बात को कहते हुए नजर आ रहे हैं. आरोप है कि पुलिस ने घटना के बाद लोगों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की और मारपीट भी की. हालांकि यह सिर्फ आरोप है और इन्हें साबित करने के लिए लोगों को साक्ष्य भी पेश करने होंगे.

हाल ही में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का प्रतिनिधि मंडल भी हल्द्वानी पहुंचा था और उसने मौका मुआयना भी किया था. लेकिन इस दौरान स्थानीय लोग किसी भी तरह की शिकायत करने से बचते हुए नजर आए थे. हालांकि बाद में आयोग के उपाध्यक्ष ने यह स्पष्ट किया कि लोगों ने मारपीट किए जाने और घरों में तोड़फोड़ किए जाने जैसी शिकायतें आयोग के समक्ष रखी हैं, जिस पर जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

कुमाऊं कमिश्नर की जांच में आ सकते हैं यह पहलू: हाल ही में 83 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने भी मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखकर हिंसा पर चिंता जाहिर की थी और कार्रवाई को लेकर कुछ संदेह भी जताया था. लिहाजा इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जो कुमाऊं कमिश्नर की जांच के दौरान नैनीताल जिले के अधिकारियों को देने पड़ सकते हैं. जैसे...

  1. जब इंटेलिजेंस इनपुट पहले से था तो फिर हिंसा के लिए यह स्थितियां क्यों पैदा होने दी गई?
  2. अधिग्रहण हटाने के लिए इतने संवेदनशील मामले में किस स्तर पर आदेश दिए गए?
  3. अतिक्रमण हटाने के लिए सुबह की जगह शाम का वक्त क्यों चुना गया और कार्रवाई के लिए इतनी जल्दी बाजी क्यों की गई?
  4. जिन लोगों की गिरफ्तारियां हुई क्या उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पुलिस के पास हैं?
  5. स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस पर लगाए गए मारपीट के आरोप कितने सच हैं?
  6. स्थानीय लोगों के घरों के अंदर तोड़फोड़ की जो तस्वीरें आ रही हैं वो कितनी सच है और पुलिस ने नहीं तो किसने की तोड़फोड़?
  7. हिंसा के पीछे हकीकत क्या रही और किसने बिगाड़े हालात?
  8. नगर आयुक्त का तबादला होने के बावजूद वो अतिक्रमण हटाने के मामले में अहम भूमिका में कैसे रहे?

कुमाऊं कमिश्नर कार्यालय में शिकायतकर्ताओं का जमावड़ा: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के पास इन दिनों बनभूलपुरा क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग अपनी शिकायतें करने के लिए पहुंच रहे हैं. कुछ लोगों की शिकायतें हैं कि उनके घर से बेवजह पुलिस लोगों को उठा रही है. जबकि कुछ लोग खुद के हिंसा में मौजूद नहीं होने से जुड़े दस्तावेज उन्हें दे रहे हैं. इस मामले पर हालांकि दीपक रावत ने यह तो नहीं बताया कि वह कौन-कौन से बिंदु हैं जिस पर वह जांच करने वाले हैं. लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि कई अधिकारियों को उनके द्वारा नोटिस दे दिया गया है. उनसे अलग-अलग दिनों में जवाब भी मांग लिए गए हैं.

सूत्र बताते हैं कि इस जांच में अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी तथ्य जनित रिकॉर्ड तैयार किए जाएंगे और इसके बाद इस रिपोर्ट को शासन को प्रेषित किया जाएगा. ऐसा हुआ तो बनभूलपुरा मामले में दंगाइयों पर हुई कार्रवाई के बाद अब जिले के अधिकारी भी सवालों के घेरे में घिर सकते हैं. इस मामले में अफसर की भी भूमिका स्पष्ट की जा सकती है.

Last Updated : Feb 24, 2024, 6:13 PM IST
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