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एक पाकिस्तानी को मिल चुका है भारत रत्न, जानें Bharat Ratna से जुड़ी दिलचस्प बातें - Bharat Ratna

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 7:27 PM IST

Updated : Mar 30, 2024, 3:06 PM IST

Bharat Ratna: क्या आप जानते हैं कि एक पाकिस्तानी नागरिक को भी भारत रत्न मिल चुका है ? इतिहास में एक बार ऐसा भी हुआ जब भारत रत्न का ऐलान होने के बावजूद नहीं मिला. भारत रत्न से जुड़े ऐसी ही दिलचस्प जानकारी के लिए पढ़ें

Bharat Ratna
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Bharat Ratna Interesting Facts: देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में चार हस्तियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा. देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव के साथ मशहूर कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. गौरतलब है कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न इस साल सुर्खियों में रहा है. इस साल केंद्र सरकार ने 5 शख्सियतों के नाम का ऐलान भारत रत्न के किया था. जिनमें से चार हस्तियों को भारत रत्न से नवाजा जा चुका है. इसके अलावा पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था लेकिन बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य ठीक ना होने के कारण वो सम्मान लेने नहीं पहुंच सके. कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू उनके आवास पर जाएंगी और उन्हें ये सम्मान देंगी.

इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, जिसके कारण इस पर सियासत भी खूब हुई है. चुनावी साल है तो कुछ तो लोग कहेंगे ही, लेकिन भारत रत्न से जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं जो बहुत कम लोगों को पता होंगी. साल 1954 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा शुरू किए गए भारत रत्न के बारे में आपको इनमें से कितनी बाते पता हैं.

इन हस्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न
इन हस्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न

सबसे पहले भारत रत्न- साल 1954 में ये सम्मान पहली बार सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्ण और वैज्ञानिक सी.वी. रमन को दिया गया था. सी. राजगोपालाचारी देश के जाने-माने राजनेता, मद्रास प्रेसीडेंसी और मद्रास राज्य के सीएम, वकील और आजाद भारत के इकलौते और आखिरी गवर्नर जनरल थे. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति थे, जिनके जन्मदिन को हर साल 5 सितंबर को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है. वहीं महान वैज्ञानिक सीवी रमन को साल 1930 में नोबेल पुरस्कार भी अपने नाम कर चुके हैं.

खास होता है भारत रत्न- पीपल के पत्ते के आकार वाला ये मेडल 59 मिमी. लंबा, 48 मिमी. चौड़ा और 3.2 मिमी. मोटा होता है. जिसपर एक सूर्य बना हुआ है, जिसके नीचे हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है. मेडल के बैक साइड पर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह (चार शेर) और उसके नीचे राष्ट्रीय आदर्श वाक्य 'सत्यमेव जयते' लिखा होता है. ये पदक और सर्टिफिकेट देश के राष्ट्रपति देते हैं.

प्रधानमंत्री का अधिकार- पद्म पुरस्कार, खेल पुरस्कार, वीरता पुरस्कार या अन्य किसी भी सम्मान के लिए राज्य सरकारों, विभागों आदि द्वारा सिफारिश की जाती है लेकिन भारत रत्न के लिए सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही राष्ट्रपति को सिफारिश करते हैं. इसके लिए दूसरे किसी भी औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं होती.

सचिन तेंदुलकर के नाम भारत रत्न का रिकॉर्ड- 'क्रिकेट के भगवान' सचिन तेंदुलकर को साल 2014 में भारत रत्न दिया गया. ये पहला मौका था जब सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार किसी खिलाड़ी को दिया गया. क्रिकेट के मैदान पर भगवान का दर्जा पाने वाले सचिन तेंदुलकर ये सम्मान पाने वाले देश के पहले और अब तक इकलौते खिलाड़ी हैं. सबसे युवा 'भारत रत्न' भी सचिन तेंदुलकर ही हैं, उन्हें 40 साल की उम्र में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया था.

सचिन तेंदुलकर भारत रत्न पाने वाले इकलौते खिलाड़ी और सबसे युवा
सचिन तेंदुलकर भारत रत्न पाने वाले इकलौते खिलाड़ी और सबसे युवा

भारत रत्न पाने वाली सबसे बुजुर्ग शख्सियत- धोंडो केशव कर्वे को साल 1958 में जब भारत रत्न से नवाजा गया तो उनकी उम्र 100 बरस थी. महाराष्ट्र के महर्षि धोंडो केशव कर्वे प्रसिद्ध समाज सुधारक रहे. उन्होंने महिला उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जिनमें महिलाओं की शिक्षा और विधवा विवाह जैसे कदम शामिल हैं.

कोई नकद पुरस्कार नहीं मिलता- देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पाने वाली शख्सियत को एक विशेष पदक और सर्टिफिकेट दिया जाता है. भारत रत्न के साथ कोई कैश रिवॉर्ड नहीं दिया जाता क्योंकि इस पुरस्कार की गरिमा इसे अमूल्य बनाती है.

9 प्रधानमंत्री और 6 राष्ट्रपति- वैसे तो भारत रत्न किसी भी क्षेत्र विशेष में महत्वपूर्ण योगदान, सेवा या प्रदर्शन के लिए दिया जाता है लेकिन ये सम्मान पाने वाली ज्यादातर शख्सियतों का वास्ता सियासत से रहा है. अब तक 9 प्रधानमंत्री और 6 राष्ट्रपति ये सम्मान पा चुके हैं. पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को ये सम्मान उनके प्रधानमंत्री रहते हुए मिला था.
एक पाकिस्तानी को भी मिला है भारत रत्न- कई लोग सोचते हैं कि भारत रत्न सिर्फ भारतीयों को दिया जाता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वालों की सूची में एक पाकिस्तानी भी शामिल है. साल 1987 में अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न से नवाजा गया. वो अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने से लेकर पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ अहिंसक आंदोलन चलाने और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के हिमायती थे. अब्दुल गफ्फार आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के साथ भी रहे और अहिंसा के झंडे हमेशा बुलंद करने पर उन्हें Frontier Gandhi यानी सरहदी गांधी के नाम से जाना जाता है.

भारत रत्न के साथ कोई कैश इनाम नहीं दिया जाता
भारत रत्न के साथ कोई कैश इनाम नहीं दिया जाता

नेल्सन मंडेला को भी मिला ये सम्मान- रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को 1990 में भारत रत्न दिया गया. अहिंसा के पैरोकार रहे नेल्सन मंडेला महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे. कुष्ठ रोगियों और अनाथों की सेवा में अपना जीवन लगाने वाली मदर टेरेसा को भी 1980 में भारत रत्न से नवाजा गया.

जब भारत रत्न का ऐलान हुआ लेकिन मिला नहीं- साल 1992 में एक मौका ऐसा भी आया जब प्रधानमंत्री ने भारत रत्न देने के लिए शख्सियत के नाम का ऐलान तो कर दिया लेकिन वो सम्मान नहीं मिल पाया. तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने सुभाष चंद्र बोस को भारत रत्न देने का प्रस्ताव रखा लेकिन कहा जाता है कि सरकार सुभाष चंद बोस को मरणोपरांत ये सम्मान देना चाहती थी. जबकि नेताजी का परिवार उनकी मौत की पुष्टि को लेकर सहमत नहीं था. सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु को लेकर दशकों तक विवाद रहा है.

नाम के आगे या पीछे नहीं लिख सकते 'भारत रत्न'- अब तक 50 से ज्यादा शख्सियतों को ये सम्मान मिला है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 18(1) के मुताबिक कोई भी अपने नाम के आगे या पीछे भारत रत्न नहीं लिख सकता. इस सम्मान को पाने वाला भी ऐसा नहीं कर सकता. हालांकि वो अपने विजिटिंग कार्ड, बायोडेटा या लेटरहैड पर 'राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित' या 'भारत रत्न प्राप्तकर्ता' लिख सकते हैं.

एक साल में कितने भारत रत्न- वैसे एक साल में अधिकतम 3 भारत रत्न देने की परंपरा रही है लेकिन इस साल 2024 में अब तक 5 नामों का ऐलान हो चुका है. जिसपर सियासत भी गर्माई हुई है. वैसे साल 1999 में भी चार भारत रत्न दिए गए थे. तब जयप्रकाश नारायण, अमर्त्य सेन, रवि शंकर और गोपीनाथ बोरदोलोई को ये सम्मान मिला था.

9 फरवरी 2024 को पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा हुई. उसके कुछ दिन पहले ही लाल कृष्ण आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न देने का ऐलान हुआ था. साल 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न देने की परंपरा शुरू हुई थी. अब तक 48 शख्सियतों को भारत रत्न से नवाजा जा चुका है. साल 2024 में 5 विभूतियों के नाम और जोड़ दें तो अब तक भारत रत्नों की संख्या 53 पहुंच जाती है.

Last Updated : Mar 30, 2024, 3:06 PM IST
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