हैदराबाद: जब हम छोटे थे तो हमारे माता-पिता ने हमें शिक्षित करने के लिए जो कठिनाइयाँ उठाईं, उन्हें देखने के बाद मैं मनचेरियल जिले के पोनाकल से सरकारी नौकरी पाने के लिए हैदराबाद आया. मैंने अपना एम.कॉम और बी.एड उस्मानिया विश्वविद्यालय से पूरा किया. शिक्षक पद के लिए लिखी गई परीक्षा में आधा प्रतिशत अंक से चूक गया. यह कहना है कि हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी में चौकीदारी कर तीन सरकारी नौकरियां प्राप्त करने वाले प्रवीण का. प्रवीण ने कल्याण गुरुकुल स्कूलों और जूनियर कॉलेजों में एक साथ टीजीटी, पीजीटी और जूनियर लेक्चरर की नौकरियों हासिल की. प्रवीण ने तीन नौकरियां पाने की खुशी ईटीवी भारत के साथ साझा की.
उन्होंने कहा, 'मेरे माता-पिता ने मुझे घर वापस आने के लिए कहा. मैंने अपनी मां से कहा कि जैसे ही मुझे सरकारी नौकरी मिलेगी, मैं आऊंगा.' उन्होंने कहा कि भले ही उन्होंने पीजी और बीएड की पढ़ाई पूरी की, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए उन्होंने उस्मानिया यूनिवर्सिटी (OU) में नाइट वॉचमैन के रूप में काम किया. उन्हें शर्म महसूस नहीं हुई. उन्होंने कहा कि नौकरी ज्वाइन करने के बाद वह खुशी-खुशी घर जायेंगे.
पोंगल मंचेरियल जिले का एक प्रमुख पंचायत गांव है. वहां नौकरी और रोजगार के कोई अवसर नहीं था. उनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे. प्रवीण ने कहा,' मेरे पिता एक राजमिस्त्री हैं और मेरी माँ एक बीड़ी मजदूर हैं. वे जो कमाते हैं वह हमारे खाने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए मैंने पढ़ाई करने का दृढ़ निश्चय किया.
मैंने सोचा कि अगर मुझे पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिल जाए तो मैं गरीबी से बाहर निकल सकता हूं. इंटरमीडिएट पूरा करने के बाद मैं 2013 में बी.कॉम करने के लिए हैदराबाद आ गया. मैंने ओयू से बी.कॉम और एम.कॉम किया. मैंने भी शिक्षक पद पाने की आशा से बीएड की पढ़ाई पूरी की. टीईटी में उत्तीर्ण हुआ. फिर मैंने डीएससी (DSC) की परीक्षा दी. मात्र आधे प्रतिशत अंकों से नौकरी छूट गई. इतना ही नहीं मेरे साथ बीएड की पढ़ाई करने वाले 30 लोगों को टीचिंग की नौकरी मिल गई.'
प्रवीण ने कहा कि इससे मुझे बहुत निराशा हुई. छह महीने तक बिना पढ़ाई किए बिना लक्ष्य के कैंपस में घूमता रहा. मुझे नौकरी नहीं मिली. मेरी मां ने मुझे फिर से प्रेरित किया. मैंने कम से कम अपने खर्चों के लिए कमाने का फैसला किया. मैंने पांच साल पहले कैंपस में अपनी पढ़ाई पूरी की. मैं वहां नहीं रह सकता था. बाहर रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहता था लेकिन इसके लिए पैसे की जरूरत थी. माता पिता से पैसे की बात करते हुए शर्म आती थी. कुछ दिनों के बाद एक दोस्त के माध्यम से ओयू परिसर में ईएमआरसी में रात के चौकीदार की नौकरी में शामिल हो गया.
प्रवीण ने कहा कि वहां 6 हजार रुपये प्रति माह पर चौकीदार की नौकरी मिली. अपने खर्चों को पूरा करने के लिए मैंने तुरंत नौकरी ज्वाइन कर ली. वहां के अधिकारियों ने मुझे जान लिया और एक कमरा आवंटित कर दिया. रात में पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया. नवंबर 2022 में कल्याण गुरुकुल बोर्ड में नौकरियों की अधिसूचना जारी की गई थी. मैंने नौकरी पाने के लिए दिन-रात पढ़ाई की. मैंने अगस्त में परीक्षा दी थी. मुझे भरोसा था कि मुझे नौकरी मिल जाएगी. मुझे एलबी स्टेडियम में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से पीजीटी नौकरी का नियुक्ति पत्र मिला तो मेरी आंखों में आंसू आ गए.
महिला को एक ही समय में 3 सरकारी नौकरियां मिलीं: आजकल सरकारी नौकरी पाना बहुत मुश्किल है. रंगारेड्डी जिले के कंदुकुरु मंडल के नेदुनूर की एक युवा महिला सैय्यदा आरफा ने एक ही समय में तीन नौकरियां हासिल की. उन्होंने एमएससी बीएड पूरा किया. वह अपना समय घर पर ट्यूशन पढ़ाकर बिताती थी.
पति सलमान के प्रोत्साहन से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की. पति एक सरकारी शिक्षक हैं. गुरुकुल अधिसूचनाओं के भाग के रूप में 4 अलग-अलग परीक्षाएं दी. तीन नौकरियों के लिए चयनित हुई. दूसरी नौकरी के लिए 1:2 में योग्यता प्राप्त की. हाल ही में जारी नतीजों में गणित डिग्री लेक्चरर, गणित जूनियर लेक्चरर और पीजीटी गणित की नौकरियां सुरक्षित हुई हैं. उनका चयन टीजीटी में हो गया और नौकरी भी पक्की है. आरफा कहती हैं, 'अगर आप मेहनत से पढ़ाई करेंगे तो कुछ भी संभव है, जीवन में निराश न हों.'