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हिमाचल प्रदेश संकट: कांग्रेस बोली- सुक्खू सरकार को गिराने की बीजेपी की योजना नाकाम, सीएम फिलहाल सुरक्षित

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 29, 2024, 3:42 PM IST

Updated : Feb 29, 2024, 4:27 PM IST

CM Sukhwinder Singh Sukhu
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू

Himachal Pradesh Political Crisis, हिमाचल प्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम के बीच कांग्रेस पार्टी किसी तरह सरकार बचाने में कामयाब रही है. लेकिन इस बगावत की गाज राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर गिर सकती है और पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने लोकसभा चुनाव से पहले उनकी कुर्सी छिन सकती है. इस मुद्दे पर पढ़ें ईटीवी भारत के अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

नई दिल्ली: कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू फिलहाल सुरक्षित हैं और संसदीय चुनाव तक मुख्यमंत्री बदले जाने की संभावना है. हिमाचल प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव तजिंदर पाल सिंह बिट्टू ने ईटीवी भारत को बताया कि 'स्थिति नियंत्रण में है. भाजपा ने राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की लेकिन असफल रही. सुक्खू सरकार सुरक्षित है.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, छह बागी विधायकों के निष्कासन और मंत्री विक्रमादित्य सिंह द्वारा अपना इस्तीफा वापस लेने के साथ सुक्खू सरकार में तत्काल संकट खत्म हो गया. ये दो कदम तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिव कुमार, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हुडा की सलाह पर उठाए गए.

इन्हें पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने संकट को दूर करने के लिए 28 फरवरी की शाम को राज्य की राजधानी शिमला भेजा था. एआईसीसी सचिव चेतन चौहान ने ईटीवी भारत को बताया कि 'निष्कासन न केवल उन छह विधायकों के लिए एक कड़ा संदेश है, जिन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ मतदान किया और राज्यसभा उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की शर्मनाक हार का कारण बने, बल्कि यह अन्य संभावित असंतुष्टों के लिए भी एक चेतावनी है.'

चौहान ने कहा कि 'यह समझा जा सकता है कि विधायकों के मन में मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी थी, लेकिन वे भाजपा के हाथों में खेल गए और पार्टी व सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया. यह सुक्खू सरकार को गिराने की भाजपा की योजना थी, लेकिन हमने इसे विफल कर दिया. विद्रोहियों का निष्कासन तब हुआ जब यह महसूस किया गया कि उन्हें पार्टी में वापस लाना संभव नहीं होगा. शुक्र है, संकट खत्म हो गया है.'

विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे को मुख्यमंत्री के खिलाफ खुले विद्रोह के रूप में देखा जा रहा था और संकेत दिया गया था कि समस्या अंदर ही अंदर है. चौहान ने कहा कि 'उनके इस्तीफा वापस लेने से अब राज्य इकाई में सामान्य स्थिति और एकता का संदेश जाएगा.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को क्रॉस-वोटिंग प्रकरण के बाद छह बागियों के निष्कासन से राज्य विधानसभा में कांग्रेस को बढ़त हासिल करने में मदद मिली है.

निष्कासन से विधानसभा की प्रभावी ताकत कम हो गई है. 68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 40, भाजपा के 25 और तीन निर्दलीय विधायक थे. 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन बराबरी पर थे, क्योंकि दोनों को 34-34 वोट मिले थे. भाजपा ने कांग्रेस के छह बागियों और तीन निर्दलीय विधायकों की मदद से स्कोर बनाया, जबकि कांग्रेस को उम्मीद से छह वोट कम मिले.

एआईसीसी पदाधिकारी ने कहा कि 'छह विद्रोहियों के निष्कासन के परिणामस्वरूप अब कांग्रेस के पास अध्यक्ष सहित 34 विधायक हैं, और भाजपा के पास 28 विधायक हैं, अगर तीन स्वतंत्र विधायक अभी भी भगवा पार्टी के साथ जाना चुनते हैं.' पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा गुरुवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपने की संभावना है, जिसमें उन्होंने फिलहाल यथास्थिति का सुझाव दिया है.

इसका कारण यह है कि यद्यपि कांग्रेस हिमाचल प्रदेश संकट को अनुचित तरीकों से चुनी हुई सरकारों को गिराने की भाजपा की एक और कोशिश के रूप में पेश कर रही है. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि 'अगर भाजपा समर्थित छह बागी विधायक स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहते हैं, तो देश की सबसे पुरानी पार्टी के प्रबंधक कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं.'

Last Updated :Feb 29, 2024, 4:27 PM IST
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