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हिमाचल के पर्यटन विकास निगम में कम नहीं हैं गम, हाईकोर्ट ने आखिर क्यों कही ताला जड़ने की बात, अब कैसे आएंगे सुख के दिन? - HTDC HOTELS ARE IN LOSS

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के ज्यादातर होटल घाटे में हैं. हाईकोर्ट ने कहा हालत नहीं सुधरी तो इनकी संपत्तियों पर ताला लगाया जाएगा.

हिमाचल पर्यटन विकास निगम के होटल्स घाट में
हिमाचल पर्यटन विकास निगम के होटल्स घाट में (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 18, 2024, 9:05 PM IST

Updated : Oct 18, 2024, 9:34 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार देवभूमि में सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य लेकर चली है. इधर, हाल ये है कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अधिकांश होटल भारी घाटे में हैं. उधर, जले पर नमक ये कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को एक सख्त चेतावनी दे दी है. अदालत ने कहा कि पर्यटन विकास निगम को अपनी हालत सुधारनी होगी, वरना इसकी संपत्तियों पर ताला जड़ने के आदेश जारी किए जाएंगे.

ये नौबत इसलिए आई है कि निगम के सेवानिवृत्त कर्मियों को उनके वित्तीय लाभ नहीं मिल रहे हैं. मामला अदालत ने गया तो निगम ने अपनी बदहाल आर्थिक स्थिति का रोना रोया. हाईकोर्ट ने कड़ी और प्रतिकूल टिप्पणियां की तो राज्य सरकार जागी और एक तेज तर्रार आईएएस अफसर रहे तरुण श्रीधर की अगुवाई में कमेटी बनाई. तरुण श्रीधर को कहा गया कि वो सरकार को इस चिंता से निकालने के उपाय सुझाएं और सुख के दिन लाने में मदद करें. आखिर, ऐसा क्या हुआ कि पर्यटन राज्य हिमाचल में पर्यटन से जुड़ी एक अहम कड़ी इस कदर कमजोर हो गई. इसकी पड़ताल करने की जरूरत है. सबसे पहले समझते हैं कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन विकास निगम और पर्यटन सेक्टर की परिभाषा और स्ट्रक्चर क्या है?

हिमाचल प्रदेश को एक खूबसूरत व प्रकृति के वरदान वाला राज्य कहा जाता है. इसे देवभूमि भी कहा जाता है और यहां धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इसके अलावा हिमाचल की पहचान सेब राज्य, ऊर्जा राज्य के रूप में भी है. पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी हिमाचल में अभी तक एक साल में दो करोड़ पर्यटक नहीं आए. सबसे अधिक 1.96 करोड़ सैलानी वर्ष 2017 में आए थे. राज्य सरकार ने अब सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है.

पर्यटन सेक्टर का हिमाचल की जीडीपी में महज 7 फीसदी का योगदान है. यहां पर्यटन सेक्टर रोजगार के मामले में कुल रोजगार का 14.42 फीसदी प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार प्रदान करता है. हिमाचल के विख्यात पर्यटन स्थलों में शिमला, कुल्लू, मनाली, चंबा, डलहौजी, मंडी, चायल, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का नाम प्रमुखता से आता है. इसके अलावा यहां कई शक्तिपीठ हैं. मां ज्वालामुखी, मां चिंतपूर्णी, मां बज्रेश्वरी, मां श्री नैना देवी जी, रेणुका माता तीर्थ, भीमाकाली टेंपल आदि आस्था व धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं.

हिमाचल में पर्यटन विकास निगम के होटल: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम एक अहम कड़ी है. राज्य में पर्यटन विकास निगम के पास कुल 55 होटल हैं. इनमें से 35 होटल घाटे में चल रहे हैं. यानी आधे से अधिक होटल घाटे में हैं. आखिर ऐसा क्या है कि ये होटल सैलानियों को अपने यहां ठहरने के लिए बाध्य नहीं कर पाते? क्या इन होटलों में सुविधाओं की कमी है या हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का अनुभव नहीं है. क्या इन होटलों में स्वादिष्ट व्यंजनों को नहीं परोसा जाता है या फिर ये मनोरम स्थलों पर स्थित नहीं हैं? ऐसे कई सवाल हैं। निगम की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वो अपने रिटायर्ड कर्मियों को उनके देय वित्तीय लाभ का भुगतान नहीं कर पा रहा है.

शिमला का ट्रिपल एच व पैलेस होटल चायल कमाऊ पूत: हिमाचल पर्यटन विकास निगम राज्य में कुल 55 होटल चला रहा है. इनमें से 35 होटल घाटे में और बाकी 20 होटल लाभ में चल रहे हैं. शिमला स्थित ट्रिपल एच (होटल होलीडे होम) व पैलेस होटल चायल लाभ में चल रहे हैं. इसके अलावा कुल्लू का विख्यात होटल नग्गर कैसल भी लाभ में है. मनाली का होटल कुंजम भी सरकार का खजाना भर रहा है. इसके अलावा शिमला स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पीटरहॉफ भी लाभ में चल रहा है. अन्य होटलों में क्यारीघाट स्थित होटल मेघदूत, बड़ोग का पाइनवुड, मनाली का लॉग्स हट, पालमपुर का टी-बड, हमीरपुर का होटल हमीर व होटल रेणुका भी कमाऊ हैं.

इन होटलों से नहीं हो रही कमाई: हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के जो होटल घाटे में चल रहे हैं, उनमें कुल्लू का होटल सरवरी, हिल टॉप स्वारघाट, सिल्वर मून कुल्लू, कुनाल होटल धर्मशाला, होटल सुकेत सुंदरनगर, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल लेक व्यू बिलासपुर, टूरिज्म इन रिवालसर मंडी, होटल गोल्फ ग्लेड नालदेहरा शिमला, होटल ज्वालाजी श्री ज्वालामुखी, विलेज पार्क शिमला (ये सामान्य प्रशासन विभाग की संपत्ति है), कैफे न्यूगल पालमपुर, होटल ममलेश्वर चिंडी जिला मंडी आदि प्रमुख हैं.

एक नजर में पर्यटन सेक्टर के कुछ अन्य पहलू:

  1. हिमाचल में पर्यटन विभाग के पास 1,25,862 बिस्तरों की क्षमता वाले 4610 होटल रजिस्टर्ड हैं.
  2. राज्य में 23846 बिस्तरों की क्षमता वाली 3870 होम स्टे यूनिट्स पंजीकृत हैं.
  3. हिमाचल में शिमला के जुब्बड़हट्टी, कुल्लू के भुंतर व कांगड़ा के गग्गल में हवाई अड्डे हैं.
  4. हिमाचल में पांच हेलीपोर्ट हैं.
  5. हिमाचल में पर्यटन विकास निगम का गठन 1972 में किया गया था, जिसके तहत इस समय 55 होटल हैं.
  6. पर्यटन विकास निगम के होटलों में 1109 कमरे व 2485 बिस्तर हैं.
  7. हिमाचल में पर्यटन विभाग के साथ 4848 ट्रैवल एजेंसियां रजिस्टर्ड हैं.
  8. हिमाचल में 1612 पर्यटक गाइड व 1109 फोटोग्राफर निगम के पास पंजीकृत हैं.
  9. निजी सेक्टर में हिमाचल में 15 हजार से अधिक होटल हैं.
  10. विख्यात निजी होटलों में ताज ग्रुप का ठियोग स्थित होटल, ओबेराय ग्रुप का वाइल्ड फ्लावर हॉल, ओबेरॉय ग्रुप का ही सेसिल शिमला आदि प्रमुख हैं.

आखिर क्यों पड़ी हाईकोर्ट की फटकार: दरअसल, पर्यटन विकास निगम से सेवानिवृत्त एक कर्मचारी को उसके देय वित्तीय लाभ का भुगतान नहीं हुआ है. विकास निगम के जिम्मे 36 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करना बाकी है. हाईकोर्ट में बताया गया कि निगम की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, जिस पर अदालत ने फटकार लगाई और सुधार करने के निर्देश दिए. साथ ही चेतावनी जारी कि यदि उचित हुआ तो हाईकोर्ट निगम की संपत्तियों पर ताला जड़ने का आदेश देगा. हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि आखिर ऐसा क्या है कि सैलानी निगम के होटलों में रुकने की बजाय निजी होटलों में रुकते हैं.

सरकार ने बनाई कमेटी: हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. रिटायर्ड आईएएस अफसर तरुण श्रीधर इस कमेटी का काम देखेंगे. वे राज्य सरकार को छह महीने में रिपोर्ट देंगे. तरुण श्रीधर निगम के होटलों की दशा सुधारने के लिए सुझाव देंगे. वे इस काम के लिए राज्य सरकार से कोई पैसा नहीं लेंगे. श्रीधर तेज तर्रार अधिकारी रहे हैं और उनके पास प्रशासनिक क्षेत्र में विशाल अनुभव है. उनका कहना है कि हिमाचल सरकार के आग्रह पर वे काम करेंगे और उपयोगी सुझाव देंगे.

वहीं, लेखक-संपादक नवनीत शर्मा कहना है कि समस्या दूर करने से पहले उसे परिभाषित करना होगा. नवनीत कहते हैं-प्रॉब्लम वेल डिफाइंड इज प्रॉब्लम हॉफ सॉल्व्ड. पहले ये देखना होगा कि समस्या कहां है. आखिर ऐसा क्या है कुछ अफसरों के कार्यकाल में निगम फायदे में रहा और कई अफसरों के कार्यकाल में ये घाटे में चला गया. साथ ही ये सरकार पर निर्भर करेगा कि वो पर्यटन सेक्टर में सरकारी निगम को सुधारने के लिए कड़वी दवा देती है या इसे वेंटिलेटर पर ही रहने देती है. अफसरों को भी पर्यटन विकास निगम की संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति समझना होगा न कि निजी दौलत.

वहीं, पर्यटन कारोबार से जुड़े पंकज चौहान का कहना है कि निजी होटल अपने कस्टमर को बेहतर सुविधाएं देते हैं. सरकारी सेक्टर में उदासीन रवैया रहता है. ऐसा नहीं है कि निगम के होटलों के शेफ किसी से कम हैं. शिमला के ट्रिपल एच व पीटरहॉफ में बेहतरीन भोजन मिलता है, लेकिन निगम को और अधिक प्रभावी बनाना होगा. नए जमाने में कस्टमर से भी सुझाव लेकर उन पर अमल करना होगा.

ये भी पढ़ें: "शानन प्रोजेक्ट की लीज हो चुकी है खत्म, अब पंजाब को अपने छोटे भाई को सौंप देनी चाहिए परियोजना"

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार देवभूमि में सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य लेकर चली है. इधर, हाल ये है कि हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अधिकांश होटल भारी घाटे में हैं. उधर, जले पर नमक ये कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को एक सख्त चेतावनी दे दी है. अदालत ने कहा कि पर्यटन विकास निगम को अपनी हालत सुधारनी होगी, वरना इसकी संपत्तियों पर ताला जड़ने के आदेश जारी किए जाएंगे.

ये नौबत इसलिए आई है कि निगम के सेवानिवृत्त कर्मियों को उनके वित्तीय लाभ नहीं मिल रहे हैं. मामला अदालत ने गया तो निगम ने अपनी बदहाल आर्थिक स्थिति का रोना रोया. हाईकोर्ट ने कड़ी और प्रतिकूल टिप्पणियां की तो राज्य सरकार जागी और एक तेज तर्रार आईएएस अफसर रहे तरुण श्रीधर की अगुवाई में कमेटी बनाई. तरुण श्रीधर को कहा गया कि वो सरकार को इस चिंता से निकालने के उपाय सुझाएं और सुख के दिन लाने में मदद करें. आखिर, ऐसा क्या हुआ कि पर्यटन राज्य हिमाचल में पर्यटन से जुड़ी एक अहम कड़ी इस कदर कमजोर हो गई. इसकी पड़ताल करने की जरूरत है. सबसे पहले समझते हैं कि हिमाचल प्रदेश में पर्यटन विकास निगम और पर्यटन सेक्टर की परिभाषा और स्ट्रक्चर क्या है?

हिमाचल प्रदेश को एक खूबसूरत व प्रकृति के वरदान वाला राज्य कहा जाता है. इसे देवभूमि भी कहा जाता है और यहां धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इसके अलावा हिमाचल की पहचान सेब राज्य, ऊर्जा राज्य के रूप में भी है. पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बाद भी हिमाचल में अभी तक एक साल में दो करोड़ पर्यटक नहीं आए. सबसे अधिक 1.96 करोड़ सैलानी वर्ष 2017 में आए थे. राज्य सरकार ने अब सालाना पांच करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है.

पर्यटन सेक्टर का हिमाचल की जीडीपी में महज 7 फीसदी का योगदान है. यहां पर्यटन सेक्टर रोजगार के मामले में कुल रोजगार का 14.42 फीसदी प्रत्यक्ष व परोक्ष रोजगार प्रदान करता है. हिमाचल के विख्यात पर्यटन स्थलों में शिमला, कुल्लू, मनाली, चंबा, डलहौजी, मंडी, चायल, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का नाम प्रमुखता से आता है. इसके अलावा यहां कई शक्तिपीठ हैं. मां ज्वालामुखी, मां चिंतपूर्णी, मां बज्रेश्वरी, मां श्री नैना देवी जी, रेणुका माता तीर्थ, भीमाकाली टेंपल आदि आस्था व धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं.

हिमाचल में पर्यटन विकास निगम के होटल: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम एक अहम कड़ी है. राज्य में पर्यटन विकास निगम के पास कुल 55 होटल हैं. इनमें से 35 होटल घाटे में चल रहे हैं. यानी आधे से अधिक होटल घाटे में हैं. आखिर ऐसा क्या है कि ये होटल सैलानियों को अपने यहां ठहरने के लिए बाध्य नहीं कर पाते? क्या इन होटलों में सुविधाओं की कमी है या हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का अनुभव नहीं है. क्या इन होटलों में स्वादिष्ट व्यंजनों को नहीं परोसा जाता है या फिर ये मनोरम स्थलों पर स्थित नहीं हैं? ऐसे कई सवाल हैं। निगम की वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वो अपने रिटायर्ड कर्मियों को उनके देय वित्तीय लाभ का भुगतान नहीं कर पा रहा है.

शिमला का ट्रिपल एच व पैलेस होटल चायल कमाऊ पूत: हिमाचल पर्यटन विकास निगम राज्य में कुल 55 होटल चला रहा है. इनमें से 35 होटल घाटे में और बाकी 20 होटल लाभ में चल रहे हैं. शिमला स्थित ट्रिपल एच (होटल होलीडे होम) व पैलेस होटल चायल लाभ में चल रहे हैं. इसके अलावा कुल्लू का विख्यात होटल नग्गर कैसल भी लाभ में है. मनाली का होटल कुंजम भी सरकार का खजाना भर रहा है. इसके अलावा शिमला स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पीटरहॉफ भी लाभ में चल रहा है. अन्य होटलों में क्यारीघाट स्थित होटल मेघदूत, बड़ोग का पाइनवुड, मनाली का लॉग्स हट, पालमपुर का टी-बड, हमीरपुर का होटल हमीर व होटल रेणुका भी कमाऊ हैं.

इन होटलों से नहीं हो रही कमाई: हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के जो होटल घाटे में चल रहे हैं, उनमें कुल्लू का होटल सरवरी, हिल टॉप स्वारघाट, सिल्वर मून कुल्लू, कुनाल होटल धर्मशाला, होटल सुकेत सुंदरनगर, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल लेक व्यू बिलासपुर, टूरिज्म इन रिवालसर मंडी, होटल गोल्फ ग्लेड नालदेहरा शिमला, होटल ज्वालाजी श्री ज्वालामुखी, विलेज पार्क शिमला (ये सामान्य प्रशासन विभाग की संपत्ति है), कैफे न्यूगल पालमपुर, होटल ममलेश्वर चिंडी जिला मंडी आदि प्रमुख हैं.

एक नजर में पर्यटन सेक्टर के कुछ अन्य पहलू:

  1. हिमाचल में पर्यटन विभाग के पास 1,25,862 बिस्तरों की क्षमता वाले 4610 होटल रजिस्टर्ड हैं.
  2. राज्य में 23846 बिस्तरों की क्षमता वाली 3870 होम स्टे यूनिट्स पंजीकृत हैं.
  3. हिमाचल में शिमला के जुब्बड़हट्टी, कुल्लू के भुंतर व कांगड़ा के गग्गल में हवाई अड्डे हैं.
  4. हिमाचल में पांच हेलीपोर्ट हैं.
  5. हिमाचल में पर्यटन विकास निगम का गठन 1972 में किया गया था, जिसके तहत इस समय 55 होटल हैं.
  6. पर्यटन विकास निगम के होटलों में 1109 कमरे व 2485 बिस्तर हैं.
  7. हिमाचल में पर्यटन विभाग के साथ 4848 ट्रैवल एजेंसियां रजिस्टर्ड हैं.
  8. हिमाचल में 1612 पर्यटक गाइड व 1109 फोटोग्राफर निगम के पास पंजीकृत हैं.
  9. निजी सेक्टर में हिमाचल में 15 हजार से अधिक होटल हैं.
  10. विख्यात निजी होटलों में ताज ग्रुप का ठियोग स्थित होटल, ओबेराय ग्रुप का वाइल्ड फ्लावर हॉल, ओबेरॉय ग्रुप का ही सेसिल शिमला आदि प्रमुख हैं.

आखिर क्यों पड़ी हाईकोर्ट की फटकार: दरअसल, पर्यटन विकास निगम से सेवानिवृत्त एक कर्मचारी को उसके देय वित्तीय लाभ का भुगतान नहीं हुआ है. विकास निगम के जिम्मे 36 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करना बाकी है. हाईकोर्ट में बताया गया कि निगम की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है, जिस पर अदालत ने फटकार लगाई और सुधार करने के निर्देश दिए. साथ ही चेतावनी जारी कि यदि उचित हुआ तो हाईकोर्ट निगम की संपत्तियों पर ताला जड़ने का आदेश देगा. हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि आखिर ऐसा क्या है कि सैलानी निगम के होटलों में रुकने की बजाय निजी होटलों में रुकते हैं.

सरकार ने बनाई कमेटी: हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. रिटायर्ड आईएएस अफसर तरुण श्रीधर इस कमेटी का काम देखेंगे. वे राज्य सरकार को छह महीने में रिपोर्ट देंगे. तरुण श्रीधर निगम के होटलों की दशा सुधारने के लिए सुझाव देंगे. वे इस काम के लिए राज्य सरकार से कोई पैसा नहीं लेंगे. श्रीधर तेज तर्रार अधिकारी रहे हैं और उनके पास प्रशासनिक क्षेत्र में विशाल अनुभव है. उनका कहना है कि हिमाचल सरकार के आग्रह पर वे काम करेंगे और उपयोगी सुझाव देंगे.

वहीं, लेखक-संपादक नवनीत शर्मा कहना है कि समस्या दूर करने से पहले उसे परिभाषित करना होगा. नवनीत कहते हैं-प्रॉब्लम वेल डिफाइंड इज प्रॉब्लम हॉफ सॉल्व्ड. पहले ये देखना होगा कि समस्या कहां है. आखिर ऐसा क्या है कुछ अफसरों के कार्यकाल में निगम फायदे में रहा और कई अफसरों के कार्यकाल में ये घाटे में चला गया. साथ ही ये सरकार पर निर्भर करेगा कि वो पर्यटन सेक्टर में सरकारी निगम को सुधारने के लिए कड़वी दवा देती है या इसे वेंटिलेटर पर ही रहने देती है. अफसरों को भी पर्यटन विकास निगम की संपत्ति को सार्वजनिक संपत्ति समझना होगा न कि निजी दौलत.

वहीं, पर्यटन कारोबार से जुड़े पंकज चौहान का कहना है कि निजी होटल अपने कस्टमर को बेहतर सुविधाएं देते हैं. सरकारी सेक्टर में उदासीन रवैया रहता है. ऐसा नहीं है कि निगम के होटलों के शेफ किसी से कम हैं. शिमला के ट्रिपल एच व पीटरहॉफ में बेहतरीन भोजन मिलता है, लेकिन निगम को और अधिक प्रभावी बनाना होगा. नए जमाने में कस्टमर से भी सुझाव लेकर उन पर अमल करना होगा.

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Last Updated : Oct 18, 2024, 9:34 PM IST
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