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हिना शहाब क्या NDA में शामिल होंगी या पूरी कवायद सिर्फ वोट बैंक को दिग्भ्रमित करने वाली है? - Hena Shahab

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 29, 2024, 9:30 PM IST

Hena Shahab
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बिहार के सिवान लोकसभा सीट पर पूरे देश के निगाहें टिकी है. मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. राष्ट्रीय जनता दल और जदयू को हिना शहाब से कड़ी टक्कर मिल रही है. हिना शहाब को एनडीए से परहेज नहीं है. ऐसे में चर्चा ये हो रही है कि आखिर उनमें इतना बड़ा बदलाव कैसे आया? क्या एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती हैं या फिर कुछ और..? पढ़ें पूरी खबर-

हिना शहाब की भगवा पॉलिटिक्स

सिवान : दिवंगत शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव के मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं. तीन बार चुनाव हारने के बाद चौथी बार वह भाग्य आजमा रहे हैं. इस बार वह राष्ट्रीय जनता दल के बजाय निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. सभी वर्गों के समर्थन की उम्मीद लगाए बैठी हैं. चर्चा है कि हिना शहाब को एनडीए से भी परहेज नहीं है और जीतने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन खेमे में जा सकती हैं.

निर्दलीय उम्मीदवार हैं हिना शहाब : आपको बता दें कि इस बार हिना शहाब ने रणनीति में बदलाव किया है और किसी भी डाल के टिकट पर नहीं लड़ने का फैसला लिया है. सिवान सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ओम प्रकाश यादव जी चुनाव जीत चुके हैं. इस बार हिना शहाब भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतना चाहती हैं.

लेफ्ट के गढ़ को भेदा : सिवान लोकसभा सीट लेफ्ट का मजबूत किला माना जाता था, लेकिन बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने इस मिथक को तोड़ा और रॉबिन हुड छवि के बदौलत सिवान के अंदर समानांतर सरकार चलाई. 1996 से 2000 के बीच मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार लोकसभा के लिए चुने गए. इससे पहले जीरादेई से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधायक भी बने थे.

पत्नी हिना शहाब
पत्नी हिना शहाब

शिकस्त से मिली सीख : मोहम्मद शहाबुद्दीन की सियासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनकी पत्नी हिना शहाब के कंधों पर थी. राष्ट्रीय जनता दल ने दो बार टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गई. साल 2009, साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में हिना शहाब चुनाव लड़ीं, लेकिन उन्हें शिकस्त मिली. मोहम्मद शहाबुद्दीन के मौत के बाद यह पहला मौका होगा. जब उनकी पत्नी ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में होंगी. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार भी कोई खास असर नहीं दिखेगा क्योंकि अभी भी सिवान में वाम दल जिंदा है.

सिवान का समीकरण : सिवान लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण को देखना भी दिलचस्प है. जिले में 3 लाख के आसपास मुस्लिम आबादी है. ढाई लाख आबादी यादव मतदाताओं की है. लगभग सवा लाख कुशवाहा वोटर भी हैं. 80000 के आसपास सहनी मतदाताओं की संख्या भी है. इसके अलावा सिवान जिले में चार लाख उच्च जाति के और ढाई लाख अति पिछड़ा समुदाय के मतदाता हैं. हिना शहाब ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मुझे हर वर्ग और समुदाय का समर्थन मिल रहा है. चुनाव जीतने के बाद कहां जाएंगे इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जनता का जो फैसला होगा हिना उधर जाएगी.

पत्नी हिना शहाब
पत्नी हिना शहाब

आरजेडी और बीजेपी के वोटबैंक पर नजर ? : संकेत में हिना शहाब ने कहा कि एनडीए से भी उन्हें परहेज नहीं है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और चुनाव समिति के सदस्य प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि सिवान में हमारे प्रत्याशी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं. नरेंद्र मोदी के नाम पर उनकी जीत हासिल होगी. पीएम मोदी को वह मजबूती प्रदान करने का काम करेंगे. जहां तक किसी नेत्री का सवाल है तो वह चुनाव जीतने के लिए अलग-अलग तरीके का बयान दे रहे हैं. भाजपा का उनके बयान से कोई सरोकार नहीं है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट : राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि ''इस बार हिना शहाब दो बार राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर लड़ चुकीं हैं और इस बार उन्होंने अलग रणनीति अपनाई है. उनकी नजर भाजपा और राजद के वोट बैंक पर है. लालू प्रसाद यादव के साथ जाने को लेकर उन्होंने स्पष्ट तौर पर मना कर दिया, लेकिन भाजपा को लेकर मुलायम दिख रही हैं. वह चुनाव से पहले वोटर को कुछ स्पष्ट संकेत देना नहीं चाहती हैं.''

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