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ग्रेजुएट, PG और MBBS डिग्रीधारी महिला प्रत्याशी मैदान में, अब MP के सर्टिफिकेट के लिए जमकर बहा रही हैं पसीना - Women Candidates In Bihar

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 18, 2024, 6:33 AM IST

LOK SABHA ELECTION 2024: बिहार में 10 लोकसभा सीट पर कुल 11 महिला प्रत्याशी अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान में उतरी हैं. ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और MBBS की डिग्री हासिल कर चुकी महिला प्रत्याशी अब सांसद का सर्टिफिकेट के लिए संघर्ष कर रही हैं. इसलिए पुरुष के मुकाबले कंधे से कंधे मिलाकर चुनाव मैदान में डटी हुई हैं. चुनावी रण में उतरने वाली नारी शक्ति को जानिए.

बिहार के चुनावी मैदान में महिला प्रत्याशी
बिहार के चुनावी मैदान में महिला प्रत्याशी

बिहार के चुनावी मैदान में महिला प्रत्याशी

पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 इसबार बिहार के लिए खास होने वाला है. 40 के 40 लोकसभा सीट पर कई दिग्गज अपना भाग्य आजमा रहे हैं. इस 40 सीट में 10 लोकसभा सीट से महिला अपना भाग्य आजमाने चुनावी रण में उतर चुकी हैं. हालांकि यह कोई आम महिला नहीं है. सभी राजनीतिक घराने से संबंध रखने वाली है लेकिन महिला पुरुष से कंधे से कंधे मिलाकर संसद तक सफर करना चाह रही है.

11 महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीः केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. इससे महिलाओं के राजनीति में भागीदारी बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है. तकनीकी रूप से विलंब जरूर है लेकिन इसका असर अभी से दिखने लगा है. राजनीतिक दलों ने महिलाओं को तवज्जो देना शुरू कर दिया है. बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद ने 6, जदयू ने 2, लोजपा रामविलास ने 2 और निर्दलीय महिला प्रत्याशी मैदान में उतारी है. हालांकि इसबार भाजपा ने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है.

राजद ने 6 महिलाओं को दिया टिकटः राष्ट्रीय जनता दल की ओर से 6 महिला उम्मीदवार को मैदान में उतर गया है. पिछले तीन चुनाव में सबसे अधिक महिला उम्मीदवार राष्ट्रीय जनता दल ने उतारे हैं. राष्ट्रीय जनता दल की ओर से बीमा भारती पूर्णिया, रितु जायसवाल शिवहर, अर्चना रविदास जमुई, अनीता देवी मुंगेर, मीसा भारती पाटलिपुत्र और रोहिणी आचार्य सारण सीट पर उम्मीदवार बनाई गई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में रितु जायसवाल, अर्चना रविदास, अनीता देवी और रोहिणी आचार्य पहली बार चुनाव लड़ रही है. इसे राजद के नेता बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं.

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"महिला सशक्तिकरण का हम नारा ही नहीं देते करके भी दिखाते हैं. हमने इस बार सबसे अधिक महिलाओं को टिकट दिया है. महिलाओं के साथ इंडिया गठबंधन ने न्याय किया है. मेरी पार्टी ने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. सभी वर्ग और उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाओं को हमने टिकट दिया है. आधी आबादी का समर्थन भी हमें हासिल होगा." -एजाज अहमद, प्रवक्ता, RJD

अर्चना रविदासः जमुई सीट पर राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार अर्चना रविदास शिक्षित हैं. इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. अर्चना रविदास ने तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर से Rural Economics विषय की पढ़ाई की है. अर्चना रविदास का संकल्प है कि "जमुई के विकास के लिए काम करना. महिलाओं का उत्थान कैसे हो इस पर काम करना, रोजगार और पलायन प्राथमिकता है." अर्चना रविदास पहले शिक्षक थी लेकिन अब वह नौकरी छोड़ चुकी है और चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रही है.

बी-फार्मा कर चुकी हैं अनीता देवीः अनीता देवी मुंगेर लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की प्रत्याशी है. हाल में बाहुबली नेता अशोक महतो ने इनसे शादी की और राजद से टिकट दिलवाया. अनीता देवी ने बी-फार्मा की डिग्री हासिल की है और दिल्ली में सेंट्रल रेलवे हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट के पद पर नौकरी करती थी. नौकरी छोड़कर अनीता लोकसभा का चुनाव लड़ रही है.

ग्रेजुएट हैं रितु जायसवालः शिवहर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की ओर से रितु जायसवाल को उम्मीदवार बनाया गया है. रितु जायसवाल पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं और उनके पति नौकरशाह थे. इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है और यह दिल्ली के निजी स्कूलों में अध्यापन का काम करती थी. बाद में मुखिया का चुनाव जीती. विधान परिषद चुनाव लड़ने का मौका भी मिला चुका है.

MBBS है रोहिणी आचार्यः इसबार बिहार में सारण लोकसभा सीट काफी चर्चा में है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद राजीव प्रताप रूडी के साथ लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का मुकाबला है. रोहिणी आचार्य ने MBBS की पढ़ाई की है. हालांकि उन्होंने चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस नहीं की है. इनकी बहन मीसा भारती भी पाटलिपुत्र लोकसभा से चुनाव लड़ रही है. भाजपा कैंडिडेट रामकृपाल यादव को टक्कर दे रही है.

एनडीए की 4 महिला मैदान मेंः एनडीए की ओर से लोजपा(R) और जदयू दोनों ने 4 महिलाओं को मैदान में उतारने का काम किया है. लोजपा(R) ने शांभवी चौधरी को समस्तीपुर और वीणा देवी को वैशाली से प्रत्याशी बनाया है. वीणा देवी 2019 में भी विजयी हुई थी. शांभवी चौधरी पहली बार भाग्य आजमा रही है. जदयू की ओर से विजयलक्ष्मी देवी को सिवान से और लवली आनंद को शिवहर से प्रत्याशी बनाया गया है. दो महिलाओं को टिकट देकर जदयू भी फूले नहीं समा रही है.

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"हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण की बात करते रहते हैं और महिलाओं को सबसे पहले बिहार में आरक्षण दिया गया. इस बार हमारी पार्टी ने दो महिला उम्मीदवार मैदान में उतारा है. जाहिर तौर पर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो रही है. मेरे जैसे कार्यकर्ता भी अब सांसद बनने का सपना देख सकते हैं." -अंजुम आरा, जदयू प्रवक्ता

कौन है शांभवी चौधरीः शांभवी चौधरी आचार्य किशोर कुणाल की पुत्र वधू और जदयू के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी है. समस्तीपुर लोकसभा सीट पर जमकर पसीना बहा रही हैं. शांभवी ज्ञान निकेतन स्कूल में निर्देशक रह चुकी है. इनका संकल्प है कि "अपने लोकसभा क्षेत्र में महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज खुलवाना. शहर में जाम की समस्या से निपटना, फ्लाई ओवर बनाना नदियों पर पुल बनाना है."

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रांची यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं लवली आनंदः लवली आनंद का राजनीतिक कैरियर लंबा रहा है. लवली आनंद विधायक और सांसद रह चुकी हैं. रांची यूनिवर्सिटी से इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी होने के चलते लवली आनंद को राजनीति में अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा. इस बार शिवहर सीट को फतह करने के लिए लवली आनंद संघर्ष कर रही हैं.

सिवान से निर्दलीय प्रत्याशी है हेना शहाबः इसके अलावा दिवगंत नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. हिना शहाब पढ़ी लिखी हैं. इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. हेना शहाब का संकल्प है कि "सभी धर्म और सभी रंग के लोगों को साथ में लेकर चलना चाहती हैं. महिलाओं को स्वावलंबी बनाना लक्ष्य है. पढ़ाई और रोजगार के अवसर कैसे बेहतर करने का काम करेगी. सिवान को अपराध मुक्त बनाना मकसद है."

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सभी राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखती हैं प्रत्याशीः कुल मिलाकर देखें तो इसबार बिहार में शिक्षित महिलाएं चुनावी मैदान में हैं लेकिन दोराय नहीं है कि सभी के पति या तो वरिष्ठ नेता रह चुके हैं या फिर नौकरशाह रह चुके हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ इस बात से वाकीफ रखते हैं. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी का भी यही मानना है.

"इस बार कुछ पढ़ी-लिखी महिलाएं जरूर मैदान में आई है लेकिन उनका संबंध राजनीतिक परिवार से है. महिलाएं जीत कर संसद तो पहुंचती है लेकिन वह आवाज बुलंद नहीं कर पाती. इस बार पढ़ी-लिखी महिलाएं मैदान में उतरी है. उम्मीद की जाती है कि महिलाओं के पक्ष में वह संसद में आवाज बुलंद करेगी." -प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार

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