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वकील को फंसाने के मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 साल की जेल - Former IPS officer Sanjiv Bhatt

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By PTI

Published : Mar 28, 2024, 7:38 PM IST

Drugs planted to frame lawyer Former IPS officer Sanjiv Bhatt, गुजरात की बनासकांठा जिले की एक सत्र अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 जेल की सजा सुनाई है. फिलहाल भट्ट

Former IPS officer Sanjeev Bhatt gets 20 years jail
पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 साल की जेल

पालनपुर : गुजरात में बनासकांठा जिले के पालनपुर की एक सत्र अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वकील को फंसाने के लिए मादक पदार्थ रखने संबंधी 1996 के मामले में बृहस्पतिवार को 20 साल जेल की सजा सुनाई. भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पहले से ही सलाखों के पीछे हैं. भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का दोषी ठहराया गया था. जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील रह रहे थे.

भट्ट को 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. उस समय वह बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे एन ठक्कर ने भट्ट को स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत बुधवार को दोषी ठहराया था.

बता दें कि कोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को 1996 के मादक पदार्थ जब्ती मामले में बुधवार को दोषी करार दिया था. आपराधिक मामले में भट्ट की यह दूसरी दोषसिद्धि है. उन्हें 2019 में जामनगर अदालत द्वारा हिरासत में मौत के मामले में दोषी पाया गया था. इतना ही नहीं जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था.

जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील राजपुरोहित रह रहे थे. पूर्व पुलिस अधिकारी की पत्नी श्वेता ने इस फैसले को लेकर निराशा व्यक्त की. भट्ट को राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था और तब से वह पालनपुर उप-जेल में हैं. पिछले साल, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 28 साल पुराने मादक पदार्थ मामले में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमे को किसी अन्य सत्र अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश भी मांगे थे. उच्चतम न्यायालय ने हालांकि भट्ट की याचिका खारिज कर दी थी.

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