नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में दोषी करार दिए गए दिलीप राय की सजा पर रोक लगा दी है. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता की सजा पर रोक नहीं लगाई जाती है और वे बाद में दोषमुक्त हो जाते हैं तो इसके गलत परिणाम होंगे. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब दिलीप राय चुनाव लड़ सकेंगे.
कोर्ट ने कहा कि अगर सजा पर रोक नहीं लगाई जाती है तो याचिकाकर्ता को चुनाव लड़ने का भी मौका नहीं मिल पाएगा और इससे उनका राजनीतिक करियर खराब हो जाएगा. इससे पहले कोर्ट ने 5 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने दिलीप राय की याचिका का विरोध किया था. सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने कहा था कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सजा पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा था कि इस मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और ये कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा केस है. याचिकाकर्ता किसी भी राहत का हकदार नहीं है. याचिकाकर्ता ये बता पाने में भी नाकाम रहा है कि अगर उसकी सजा पर रोक नहीं लगाई गई तो उसके क्या नुकसान होंगे.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 मार्च को सीबीआई को नोटिस जारी किया था. दिलीप राय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि वो ओडिशा से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसलिए वे सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं. रोहतगी ने कहा था कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के प्रावधान के मुताबिक दिलीप राय चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं. उन्होंने कहा था कि दिलीप राय की उम्र 71 वर्ष है और ऐसे में सजा पर रोक लगनी चाहिए.
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बता दें,, हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2020 को दिलीप राय और इस मामले के तीन आरोपियों की सजा को निलंबित कर दिया था. हाईकोर्ट ने जिन तीन आरोपियों की सजा निलंबित किया था उनमें महेंद्र कुमार अग्रवाल, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम भी शामिल हैं. 26 अक्टूबर 2020 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप राय समेत चारो आरोपियों को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी.
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप राय के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी, नित्यानंद गौतम और कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीज के डायरेक्टर महेन्द्र कुमार अग्रवाल को तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने दिलीप राय पर दस लाख रुपये, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम पर दो-दो लाख रुपये और महेन्द्र अग्रवाल पर साठ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने दोषी कंपनी कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीज पर साठ लाख रुपये और और कैस्ट्रॉन माईनिंग लिमिटेड पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
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