अंबाला: हरियाणा कृषि प्रधान राज्य है. यहां किसान खेत को अपनी मां समान प्यार करते हैं. यही कारण है कि यहां के लोग खेती में अपना जी जान लगा देते हैं. आलम ये है कि यहां खेती में ना सिर्फ पुरुष बल्कि महिला भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. आज हम आपको ऐसे ही हरियाणा की महिला किसान से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसने अपने परिवार के मुश्किल समय में ट्रैक्टर की स्टेयरिंग थाम कर परिवार का साथ दिया.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अंबाला के अधोई गांव की बेटी अमरजीत कौर की, जिसने अपने पिता के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए ट्रैक्टर से दोस्ती कर ली और आज एक किसान की जिन्दगी जी रही है. ईटीवी भारत ने अंबाला की बेटी अमरजीत कौर से खास बातचीत की.
पिता की बीमारी के कारण शुरू की खेती: अमरजीत कौर ने कहा, "मैं ग्रेजुएशन कर रही थी. उस समय मेरे पिता का स्वास्थ्य काफी खराब हो गया था. मेरे परिवार का भरण-पोषण खेती से ही चलता था. मेरे पिता किसान थे. हालांकि उनकी सेहत खराब होने के कारण वो खेती नहीं कर पा रहे थे. इस कारण परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था, पिता के इलाज के लिए भी लाखों रुपए हर महीने लगते थे. परिवार में हम सब कुल 6 सदस्य थे. ऐसे में सबका गुजर बसर भी मुश्किल हो रहा था. इस कारण मैंने खेती करना शुरू कर दिया."

15 सालों से कर रही खेती: अमरजीत ने आगे बताया, "मेरी बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी. मेरा भाई था, लेकिन वह पढ़ाई कर रहा था. ऐसे में परिवार का पालन पोषण करने का बीड़ा मैंने खुद उठाया और तब से लेकर अब तक पिछले 15 सालों से मैं खेती करती आ रही हूं."

खेती के साथ-साथ जारी रखी खुद की पढ़ाई: अमरजीत ने आगे बताया, "मैंने खेती के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा. ग्रेजुएशन के समय में खेती को 100% तक अपना लिया था. उसके बाद मैंने मास्टर डिग्री की. कई कोर्स किया. खेती के साथ-साथ पढ़ाई को जारी रखा. सरकारी नौकरी का भी सोचा, लेकिन पिता की हालत खराब थी. इसलिए खेती पर ही पूरा ध्यान देने लगी."

"मेरा भाई पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहता था. सरकारी नौकरी करना चाहता था. भाई के सपने को पूरा करने के लिए मैंने खेती की. ताकि मेरे भाई का सपना पूरा हो सके. मैंने अपने भाई की शादी भी करा दी है. अब वो खुशहाल जीवन जी रहा है." -अमरजीत कौर, किसान
खुद करती है सारा काम: अमरजीत कौर ने आगे बताया, "खेती करने के लिए मैंने खुद ट्रैक्टर चलाना सीखा. पहले पिता के साथ छोटे-मोटे काम किया करती थी. इसलिए थोड़ी बहुत जानकारी थी. इसलिए जब से खेती करना मैंने शुरू किया था, तब से मैं सबकुछ खुद ही किया करती थी. खेत में जुताई, दवा डालना हर एक काम खुद करती हूं. हां जब लोड अधिक होता है तो मजदूरों की मदद लेती हूं."

लोगों ने कसा था तंज: अमरजीत कौर ने कहा, " शुरू में जब मैं खेती करती थी तो लोगों ने कटाक्ष भी किया था कि लड़की खेती कैसे करेगी. लोग कहते थे खेत को ठेके में दे दो. हालांकि मैंने किसी की भी नहीं सुनी और अपना पूरा फोकस अपने काम पर दिया. अब अच्छे किसानों में लोग मेरी गिनती करते हैं. "

शुरुआत में होती थी परेशानी: अमरजीत कौर ने आगे बताया, " 15 साल पहले जब मैंने खेती शुरू की थी, उस समय मुझे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. लोगों ने बहुत टोका, बावजूद इसके मैंने खेती करना नहीं छोड़ा. शुरुआत में मेरे पास खेती करने के लिए कृषि के यंत्र भी नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने मेरा साथ दिया. मुझे कृषि के लिए यंत्र दिए, जिसके चलते मेरी मदद हो जाती थी. हालांकि अब मेरे पास खेती संबंधित सारे औजार हैं."

मल्टी क्रॉप कर रही हूं फार्मिंग: अमरजीत कौर ने कहा, "जब मैंने खेती शुरू की तब हमने सोचा कि खेती में ही कुछ अच्छा करना है, ताकि परिवार का पालन पोषण अच्छे से हो सके. अब मैं मल्टी क्रॉप फार्मिंग कर रही हूं. अब मैं गेहूं, धान, गन्ना, दालें, सूरजमुखी ऐसे कई तरह की खेती कर रही हूं."
"मेरे दादा, मेरे पिता ने खेती ही की थी. हमारे पुरखे खेती करते थे. काफी मुश्किल से उन्होंने खेती को अपनाया. जमीन खरीदी. इसलिए मैंने खेती को चुना और इससे जुड़ी हुई हूं. -अमरजीत कौर, किसान
युवाओं को दिया खास संदेश: अमरजीत कौर ने आगे कहा, "आजकल युवा जमीन बेचकर विदेश चले जाते हैं. ऐसे युवाओं से मेरी अपील है कि जमीन न बेचें. हमारी जमीन हमारी मां है, हमें जमीन नहीं बेचनी चाहिए. अगर हम अपनी जमीन पर खेती में ही अच्छा काम करें, तो हम बहुत अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. इसलिए मेरी तो अन्य युवाओं को भी नसीहत है कि अपनी मां यानी कि अपनी जमीन को ना बेचें बल्कि खेती करके उससे और भी मुनाफा कमाएं."

मां ने कहा बेटों से भी बढ़कर अमरजीत: अमरजीत कौर की मां दलबीर कौर से ईटीवी भारत ने बातचीत की. दलबीर ने नम आंखों से कहा, "अमरजीत के पिता की सेहत खराब होने के बाद परिवार पर बहुत मुश्किल आ पड़ी थी. उन मुश्किलों में बेटी ने बेटों की तरह काम संभाला और पूरे परिवार को भी संभाला. लोगों ने बहुत बातें बनाई कि बेटी की कमाई खा रही हो. बेटी से खेती करवा रही हो, लेकिन मेरी बेटी ने बेटों से भी ज्यादा काम किया. साथ ही परिवार को संभाला है. मुझे अपनी बेटी पर नाज है. ऐसी बेटी भगवान हर माता-पिता को दे, जिसने परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठाई हुई है."
अमरजीत के हौसले ने बता दिया कि बेटिया बेटों से कम नहीं है. अगर वो चाह ले तो जीवन में कोई भी मुश्किल को पार कर सकती है. कुछ भी इनके लिए नामुमकिन नहीं है. ईटीवी भारत अंबाला की बेटी अमरजीत के हौसले को सलाम करता है.