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हाईकोर्ट ने पंजीकरण संबंधी संशोधन कानून किया रद्द, कहा- वसीयत का पंजीकरण कराना नहीं है अनिवार्य - Allahabad High Court Order

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 12, 2024, 6:20 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंजीकरण संबंधी संशोधन कानून रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि वसीयत का पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है.

हाईकोर्ट ने पंजीकरण संबंधी संशोधन कानून किया रद्द, कहा- वसीयत का पंजीकरण कराना नहीं है अनिवार्य
वसीयत का पंजीकरण कराना नहीं है अनिवार्य: इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटो क्रेडिट: ETV Bharat)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि वसीयतनामा का पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है .कोर्ट ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 169 की उपधारा तीन को रद्द कर दिया है.

कोर्ट ने कहा कि यह संशोधन भारतीय पंजीकरण कानून के विपरीत है. राज्य सरकार ने 23 अगस्त 2004 को कानून में संशोधन करके वसीयतनामा का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यदि वसीयतनामा पंजीकृत नहीं है तो अवैध नहीं माना जाएगा. मुख्य न्यायाधीश ने इससे सम्बंधित रेफरेंस न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ को भेजा था.

इस मामले में कानूनी स्थिति भ्रामक थी. हाईकोर्ट की एक पीठ ने शोभनाथ केस में कहा कि संशोधन कानून आने के बाद वसीयत का पंजीकरण अनिवार्य है जबकि जहान सिंह केस में एक अन्य पीठ ने कहा कि वसीयत मृत्यु के बाद प्रभावी होती है इसलिए इसे पेश करते समय पंजिकृत होना चहिए. इस भ्रामक स्थिति को देखते हुए न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने मुख्य न्यायमूर्ति को रेफरेंस भेजा था कि खंडपीठ में यह तय किया जाए कि क्या संशोधन लागू होने का प्रभाव तत्काल होगा या पूर्व की तिथि से.

खंडपीठ ने स्थिति स्पष्ट करते हुए मामला एकल पीठ को वापस भेज दिया है. इस फैसले से अब उत्तर प्रदेश में वसीयत को पंजीकृत करना अनिवार्य नहीं होगा.

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