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52% of the women in rural areas don't use sanitary pad

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Published : May 28, 2019, 7:18 PM IST

Joint Secretary of the Ministry of Health and Family Welfare, Vandana Guranani

Joint Secretary of the Ministry of Health and Family Welfare, Vandana Guranani in an interview, revealed 78% of the women use a sanitary pad in the urban areas whereas only 48% use a sanitary pad in rural areas.

New Delhi: Myths and taboos surrounding menstruation need to be broken down effectively before schemes and incentives make their way to make life better for menstruating women, said Vandana Guranani, Joint Secretary of the Ministry of Health and Family Welfare.

In an exclusive interview with ETV Bharat, she spoke about how the government was working towards raising awareness among people about menstrual hygiene.

Gurnani revealed, in a survey done by the Government of India in 2015-16, it was found that 78% of the women used a sanitary pad in the urban areas whereas only 48% used a sanitary pad in the rural areas.

She further said, "Due to lack of awareness, women in villages rely on cloth pieces, rags, hay, ash, wood shavings, newspapers or dried leaves and become the victims of infections and diseases."

52% of the women in rural areas don't use sanitary pad

She said the health department had been constantly trying to raise awareness about menstrual hygiene in the villages. The department was also providing free sanitary pads in schools and colleges, she added.

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Intro:गांव में 48 और शहरों में 78 प्रतिशत महिलाएं करती हैं महावारी में सेनेटरी पैड का उपयोग

नई दिल्ली: महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति अपनी अहम भूमिका निभाने के लिए सरकारें भले ही यह दावे करती हो की स्थिति बेहतर हो रही है.लेकिन महावारी दिवस के मौके पर सेनेटरी पैड के उपयोग की बात की जाए तो यह जानकर आपके होश उड़ जाएंगे कि भारत आज भले ही विकास की ओर अग्रसर हो रहा हो.लेकिन महिलाओं के साथ होने वाली महावारी में हाइजीन प्रोडक्ट को लेकर कितनी सरकारें मदद कर रही हैं. यह खुद सरकार के आंकड़े बयां करते हैं.इस बाबत ईटीवी भारत ने मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की ज्वाइंट सेक्रेट्री वंदना गुरनानी से विशेष बातचीत की.


Body:वंदना गुरनानी ने बताया कि पहले की भांति आज माहवारी को लेकर हम लोग बातचीत कर रहे हैं यह बेहद ही बड़ी बात है. उन्होंने बताया कि जहां पहले इस बात को लेकर घर की सदस्य खुद आपस में बात नहीं करते थे. ऐसे में अब हम लोग खुलकर महावारी पर बातचीत करते हैं. उन्होंने बताया कि लेकिन जरूरी है कि अभी भी बेहद जागरूकता होनी चाहिए. महिलाओं और पुरुषों के बीच आज भी इस चीज को लेकर खुलकर बात नहीं होती है.इसलिए जरूरी है कि जितना महावारी को साधारण रूप से समझा जाएगा उतना ही महावारी से होने वाले इन्फेक्शन और बीमारियों से निपटा जा सकेगा.

क्या कहते हैं आंकड़े
वंदना गुरनानी ने बताया कि सरकार की ओर से 2015- 16 में किए गए रिसर्च के मुताबिक अपने देश में देहात क्षेत्र की बात की जाए तो 48 प्रतिशत महिलाएं ही सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इसके अलावा 78 प्रतिशत महिलाएं शहर की है जो पैड का उपयोग करती हैं. उन्होंने बताया कि देहात क्षेत्र में जागरूकता कम होने के चलते अभी भी महिलाएं अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं.जिसकी वजह से वह इन्फेक्शन सहित अन्य बीमारियों की शिकार होती हैं.उन्होंने बताया कि जरूरी है कि इसको लेकर और जागरूकता होनी चाहिए.

सरकार उठा रही है कदम
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग लगातार महिलाओं में माहवारी के प्रति जागरुकता को लेकर प्रयास करती रहती है.इसके लिए निरंतर कार्यक्रम भी किया जाते हैं. उन्होंने बताया कि सैनिटरी पैड्स जिन जगहों पर नहीं है या फिर जो महिलाएं उन्हें खरीदने में सक्षम नहीं है.उसके लिए सरकार खुद निशुल्क सैनेट्री पैड मुहैया भी कराती है. उन्होंने बताया कि स्कूलों और कॉलेजों में सेनेटरी पैड दिए जाते हैं.जिससे कि महावारी होने पर वह स्वच्छता से रह सकें और वह किसी परेशानी का सामना ना करें. उन्होंने बताया कि इसको लेकर लगाता है सरकार भी प्रयास कर रही है जिससे कि आगामी दिनों में माहवारी को लेकर जो भ्रम है वह दूर हो जाएगा.


Conclusion:फिलहाल मौजूदा आंकड़े यह बयां करते हैं कि आज की स्थिति में भी देहात और शहरी क्षेत्रों में काफी अंतर है.ऐसे में जरूरी है कि सरकार को जागरूकता कर इस समस्या से निपटना चाहिए.
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