हौसले बुलंद हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं. यह साबित किया है अल्मोड़ा के दूरस्थ गांव नैनोली की अंकिता आर्या ने. पत्थर तोड़कर गुजर बसर करने वाले की बेटी के आगे की पढ़ाई के लिए जब गरीबी आड़े आयी तो वह अपनी फरियाद लेकर डीएम के दरवाजे तक पहुंच गई. अंकिता की पढ़ाई के प्रति लगन को देखते हुए जिलाधिकारी ने खुद के खर्चे से कॉलेज में न केवल उसका एडमिशन करवाया, बल्कि हॉस्टल में रहने की व्यवस्था कर आगे की पूरी पढ़ाई का खर्चा खुद वहन करने का भरोसा दिया.