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चीन बॉर्डर को जोड़ने वाला कूलागाड़ पुल बहा, जिंदगी दांव पर लगाकर नदी पार कर रहे लोग

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Published : Jul 12, 2021, 9:04 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 9:12 PM IST

चीन-नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाला कूलागाड़ पुल बहने से ब्यास, दारमा और चौदांस घाटी समेत सैकड़ों गांव मुख्यधारा से कट गए हैं. इतना ही नहीं लोग मजबूरन रस्सियों और पोल के सहारे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं.

pithoragarh bridge
कूलागाड़ पुल

पिथौरागढ़:चीन-नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाला कूलागाड़ पुल बहने से 25 हजार से अधिक आबादी कैद हो गई है. आलम ये है कि ब्यास, दारमा और चौदांस घाटी समेत सैकड़ों गांव शेष दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं. ऐसे में जिन लोगों को मजबूरी में आवाजाही करनी पड़ रही है, उनके लिए कुलागाड़ को पार करना मौत को मात देने से कम नही है.

नीचे उफनती नदी और नदी के ऊपर रस्सियों के सहारे आवाजाही करने में जरा सी चूक लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है. कुलागाड़ में पुल बहने के बाद हर रोज लोग जान जोखिम में डालकर नदी आर-पार कर रहे हैं. कुछ लोग रस्सियों के सहारे तो कुछ तेज बहाव की नदी में बिजली के पोलों के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं.

जिंदगी दांव पर लगाकर नदी पार कर रहे लोग.

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बता दें कि कुलागाड़ के पुल के जरिए ही चीन और नेपाल बॉर्डर से सटी दारमा, ब्यास और चौदांस घाटियां शेष दुनिया से जुड़ती थी. इतना ही नहीं बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों की आवाजाही भी इसी पुल से होती थी. जवानों के लिए जरूरी सामान भी कूलागाड़ पुल के जरिए बीओपी तक पहुंचता था, लेकिन पुल के बहने से सब कुछ ठप हो गया है.

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कूलागाड़ में बीआरओ ने 45 करोड़ की लागत से आरसीसी पुल बनाया था, लेकिन 8 जूलाई की रात आई आसमानी आफत ने पुल का नामो निशान तक मिटा डाला. प्रशासन कूलागाड़ में वैली ब्रिज बनाने जा रहा है, जिसे बनने में करीब 5 दिन का समय लगना है. ऐसे में जब तक वैली ब्रिज नहीं लगता है, लोग अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर आर-पार जाने को मजबूर रहेंगे.

Last Updated : Jul 12, 2021, 9:12 PM IST

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