NIT उत्तराखंड के वैज्ञानिक करेंगे जोशीमठ संकट का अध्ययन. श्रीनगर: इन दिनों चमोली जिले के जोशीमठ में भू-धंसाव संकट के बीच सैकड़ों परिवार अपने आशियाने को गिरता हुआ देख रहे हैं. लोगों को मजबूरन शरणार्थियों की तरह दिन काटने पड़ रहे हैं. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए एनआईटी (National Institute of Technology) उत्तराखंड की टीम जोशीमठ की वर्तमान भू-धंसाव की स्थिति का अध्ययन करने जा रही है. इस टीम में सिविल इंजीनियरिंग, ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग, जियोटेक इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ शामिल होंगे जो विस्तार से पूरी स्थिति को स्टडी करेंगे.
इस अध्ययन के जरिए वैज्ञानिक ये पता करने की कोशिश करेंगे कि आखिरकार जोशीमठ में भू-धंसाव की इतनी भयावह स्थिति कैसे हो गई. वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर भी होगा कि कहीं ये स्थिति मानव जनित तो नहीं? वैज्ञानिक इसके ट्रीटमेंट पर भी स्टडी करेंगे.
एनआईटी उत्तराखंड के सिविल इंजीनियरिंग के डीन असिस्टेंट प्रोफेसर कांति जैन टीम को लीड करेंगे. इनके साथ एनआईटी के ही ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर आदित्य कुमार, जियोटेक इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर विकास प्रताप सिंह, और इसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर शशांक बत्रा जोशीमठ के चप्पे-चप्पे का अध्ययन करेंगे. इसके लिये हाईटेक उपकरणों का भी प्रयोग किया जाएगा.
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हालांकि, अभी इस बात को लेकर ये साफ नहीं है कि टीम कितने दिनों तक वहां रुकेंगी लेकिन टीम लीडर असिस्टेंट प्रोफेसर कांति जैन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जिस तरह से ये आपदा आई है ये साधारण घटना नहीं है. उन्हें पता लग रहा है कि मकानों व भूमि में दरारों के साथ पानी का रिसाव हो रहा है. इसका कारण पता करना इस टीम का उद्देश्य होगा. इसके लिए ही अलग-अलग विभागों के एक्सपर्ट वहां जाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे. टीम का एक और उद्देश्य है कि नुकसान होने के बाद अब किस तरह से जोशीमठ को बचाया जाए, इसका उपाय भी ढूंढने की कोशिश की जाएगी.
एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने बताया कि टीम 11 जनवरी (बुधवार) को जोशीमठ के लिए रवाना होगी. टीम यहां एक लंबा समय फील्ड में बिताएगी. ठोस स्टडी के बाद वैज्ञानिक पहलुओं की एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र व राज्य सरकार को भेजी जाएगी. जिला प्रशासन को भी पूरी डिटेल दी जाएगी, जिससे प्रशासन को मदद मिल सके.
गौर हो कि धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों में शामिल जोशीमठ शहर दशकों से जमीन में धंस रहा है. 70 के दशक में भी यहां कुछ घरों में दरारें आई थीं. जोशीमठ के स्योमां, खोन जैसे गांव दशकों पहले ही खाली कराए जा चुके हैं. अब गांधीनगर, सुनील का कुछ इलाका, मनोहर बाघ, रविग्राम गौरंग, होसी, जिरोबेड, नरसिंह मंदिर के नीचे और सिंह धार समेत कई इलाकों की जमीन धंस रही है. सालों से इसकी तलहटी में भूस्खलन हो रहा है.