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वन गुर्जर विस्थापन मामलाः हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के दोबारा मांगा जवाब

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Published : Mar 18, 2021, 11:48 AM IST

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नैनीताल ()

कॉर्बेट नेशनल पार्क समेत राजाजी नेशनल पार्क में रह रहे वन गुर्जरों के मामले पर हाईकोर्ट के सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर से राज्य सरकार को जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट सरकार की रिपोर्ट पर असंतुष्ट नजर आया.

नैनीतालःकॉर्बेट नेशनल पार्क समेत राजाजी नेशनल पार्क में रह रहे वन गुर्जरों के मामले पर नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर से राज्य सरकार को विस्तृत जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं. बुधवार को सुनवाई को दौरान राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया था, लेकिन कोर्ट राज्य सरकार के जवाब से सतुष्ट नहीं हुआ था. कोर्ट ने एक बार फिर से राज्य सरकार को अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

सरकार के जवाब से होईकोर्ट असंतुष्ट, फिर रिपोर्ट पेश करने के आदेश

बता दें कि वन गुर्जरों को रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र से विस्थापित करने के लिए पूर्व में नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे. आदेश में कहा गया था कि सक्षम अधिकारियों की कमेटी बनाकर वन गुर्जरों को रिजर्व फॉरेस्ट से विस्थापित करने के लिए कार्य योजना बनाकर रिपोर्ट 3 महीने के भीतर कोर्ट में पेश करें. लेकिन राज्य सरकार ने मामले में टाल मटोली कर कुछ अधिकारियों की कमेटी बनाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी. जिस पर हाईकोर्ट असंतुष्ट नजर आया. कोर्ट ने एक बार फिर से सरकार को सक्षम अधिकारियों की कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अब कोर्ट खुद इस कमेटी के द्वारा किए जा रहे कार्यों की निगरानी करेगा. हर महीने मामले की सुनवाई भी होगी. जिसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को कोर्ट में पेश करनी होगी.

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गौरतलब हो कि पूर्व में रामनगर की हिमालयन ग्रामीण विकास समिति के अध्यक्ष मयंक मैनाली ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि रामनगर क्षेत्र में रिसॉर्ट मालिकों ने कानून को ताक पर रखकर कोसी नदी में अवैध कब्जा कर रिसॉर्ट का निर्माण किया है. उनके द्वारा वन्यजीवों को हानि पहुंचाई जा रही है. लिहाजा वन क्षेत्रों में किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए. मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने रिजर्व फॉरेस्ट में रह रहे वन गुर्जरों के मामले को स्वयं संज्ञान लिया था. कोर्ट ने राज्य सरकार से वन गुर्जरों को विस्थापित करने के लिए कमेटी बनाकर प्लान तैयार करने का कहा था ताकि वन गुर्जरों को रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र से विस्थापित किया जा सके.

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