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उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति मामले पर HC में सुनवाई, कल तक सरकार को देना होगा जवाब

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Published : May 8, 2023, 3:14 PM IST

उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में राज्य सरकार से 9 मई यानी कल तक जवाब मांगा है. पूरा मामला लोकायुक्त की नियुक्ति और लोकायुक्त संस्थान के नाम पर सालाना खर्च हो रहे करोड़ों रुपए से लेकर जुड़ा है. याचिका में ये भी कहा गया है कि सभी जांच एजेंसियां सरकार के अधीन हैं.

Appointment of Lokayukta in Uttarakhand
उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति

नैनीतालःउत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति और लोकायुक्त संस्थान को सुचारू रूप से संचालित किए जाने से संबंधित दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से कल तक जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 27 जून को होगी.

बता दें कि हल्द्वानी के गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. यह याचिका लोकायुक्त की नियुक्ति और लोकायुक्त संस्थान को सुचारू रूप से संचालित किए जाने को लेकर है. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से शपथ पत्र के माध्यम से यह बताने को कहा था कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी तक क्या किया और संस्थान जब से बना है, तब से 31 मार्च 2023 तक इस पर कितना खर्च हुआ? इसका वर्षवार विवरण पेश करने को कहा था, लेकिन सरकार ने अभी तक इस पर जवाब पेश नहीं किया.

जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की. जबकि, संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है. याचिका में ये कहा गया है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की ओर से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं. हर एक छोटे से छोटा मामला हाईकोर्ट लाना पड़ रहा है. इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनीतिक नेतृत्व के हाथों में है.
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वर्तमान में उत्तराखंड में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नही है, जिसके पास यह अधिकार हो कि वो बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी भी राजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा पंजीकृत कर सकें. स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है. जिसका संपूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि एक पूरी तरह से पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच व्यवस्था राज्य के नागरिकों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यही है कि पूर्व के विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों की ओर से राज्य में अपनी सरकार बनने पर प्रशासनिक और राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था, जो आज तक नहीं हो पाया है.

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