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'तिलक निशान, कैसेट्स से भाषण, लाठी चार्ज की यादें', राममंदिर संघर्ष की कहानी रवींद्र पुरी की जुबानी

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 13, 2024, 3:33 PM IST

Updated : Jan 13, 2024, 6:27 PM IST

Ram Mandir Pran pratishtha, Mahant Ravindra Puri अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों से लेकर पूरे देशवासियों में खुशी है. इसी बीच राम मंदिर आंदोलन निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंमे राम मंदिर के संघर्ष के दिनों को याद किया.

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राममंदिर संघर्ष

राममंदिर संघर्ष की कहानी रवींद्र पुरी की जुबानी

हरिद्वार: 22 जनवरी का पूरे देश को बेसब्री से इंतजार इंतजार है, क्योंकि इस दिन अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जो सपना साधु-संतों और विश्व हिंदू परिषद द्वारा देखा गया था, वह अब साकार होने जा रहा है. इसी बीच निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने राम मंदिर आंदोलन को लेकर पुरानी यादें साझा की है. महंत रवींद्र पुरी ने बताया राम मंदिर आंदोलन के दौरान साधु संतों ने पुलिस की लाठियां सही. इसके बाद भी उन्होंने कभी भी राम के काम से कदम पीछे नहीं खींचे.

वो समय याद करके खड़े हो जाते हैं रोंगटे:राम मंदिर बनने की खुशी और राम मंदिर से जुड़ी बातों को साझा करते हुए महंत रविंद्र पुरी ने बताया उस समय की सरकार ने वहां पर लाठी चार्ज किया. जिसमें उन्होंने साधु-संतों तक को नहीं छोड़ा. ऐसे में वो जब भी उन दिनों को याद करते हैं, तो सहम जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पीछे पीएसी और पुलिस को इस कदर लगा रखा था जैसे कि हम उग्रवादी हो.

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कैसेट्स से भिजवाए जाते थे भाषण:महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि उस समय हमारी टीम की लीडर साध्वी ऋतंभरा हुआ करती थी. उनके भाषणों को कैसेटों के माध्यम से टेप में सुना करते थे और वह जिस तरह से भाषण दिया करती थी, उससे एक अलग ही ऊर्जा हमारे साधु-संतों में उत्पन्न होती थी. उन्होंने कहा कि वह कहा करती थी कि जागो सनातनियों जागो मंदिर वहीं बनाएंगे, जहां रामलला जन्मे थे.

अशोक सिंघल किया करते थे अखाड़े में मीटिंग:महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि उस समय मुख्य भूमिका में अशोक सिंगल थे. वह सभी अखाड़ों और साधु संतों से लगातार बातचीत किया करते थे और हमारे निरंजनी अखाड़े में भी कई मीटिंग अशोक सिंघल द्वारा की गई. उन्होंने कहा कि मीटिंग का स्थल हर बार अलग अखाड़ा रखा जाता था, ताकि ज्यादा से ज्यादा संत जुड़े और इस आंदोलन में और जान आए.

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तिलक के निशान से होती थी संतों की पहचान:महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि जब वह कार सेवा करने के लिए गए तो उनकी पहचान माथे पर तिलक के निशान से हुई. ऐसे में उन्होंने पहचान छुपाने के लिए अपने वस्त्र भी बदल लिए थे और तिलक को भी मिटा दिया, लेकिन पुलिस द्वारा तिलक के बने निशान से उनकी पहचान की गई और उन्हें कैद किया गया.

2014 में प्रधानमंत्री मोदी के शपथ लेते ही जागी राम मंदिर की उम्मीद:अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने बताया कि जब 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शपथ ली गई,तो दोबारा से राम मंदिर की उम्मीद जगी. उस दिन मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि अब राम मंदिर जल्द ही बनेगा. इतने सालों के इंतजार के बाद अब 22 जनवरी के दिन राम मंदिर में रामलला विराजमान होंगे. ये पल सभी भक्तों के लिए ऐतिहासिक पल होगा.

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हरिद्वार से जाएगा अयोध्या के लिए जल:महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि हरिद्वार से अयोध्या रामलला के स्नान के लिए गंगाजल लेकर जाया जाएगा. जिससे प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलाल का स्नान कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरिद्वार से मां गंगा को लेकर जाना ही हमारा सौभाग्य है और यदि उस जल से रामलला का स्नान होता है, तो इससे अच्छी बात और कोई नहीं हो सकती.

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Last Updated : Jan 13, 2024, 6:27 PM IST

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