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Australian of the Year Award: कभी हरिद्वार के गंगा घाटों पर बेचा प्रसाद, अब ऑस्ट्रेलिया में मिल रहा सबसे बड़ा 'सम्मान'

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Published : Jan 20, 2023, 5:19 PM IST

Updated : Jan 21, 2023, 11:53 AM IST

Australian of the Year Award 2023

एक शख्स जिसने हरिद्वार के गंगा घाटों से अपनी यात्रा की शुरुआत की उसकी उपलब्धि पर आज देश गर्व कर रहा है. 26 जनवरी के दिन डॉ अंगराज खिल्लन को ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा सम्मान दिया जाएगा. ये सम्मान डॉ खिल्लन की ऑस्ट्रेलिया में की गई 18 वर्षों की मेहनत का नतीजा है. उन्होंने यहां चिकित्सकीय अनुभव को धरातल पर उतारा. आज उनकी अपनी एक फाउंडेशन भी है. कौन हैं डॉ अंगराज खिल्लन और कैसी रही उनकी हरिद्वार से ऑस्ट्रेलिया तक की यात्रा, आइए जानते हैं...

डॉ अंगराज खिल्लन से खास बातचीत पार्ट 1

देहरादून/हरिद्वार:कौन कहता है आसमां में छेद हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...इस बात को धर्मनगरी हरिद्वार के रहने वाले डॉ अंगराज खिल्लन ने साबित कर दिया है. डॉ अंगराज खिल्लन कभी हरिद्वार के गंगा घाटों पर प्रसाद और सिंदूर बेचा करते थे, और अब उन्हें ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा सम्मान मिलने जा रहा है. जिस दिन भारत अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा होगा उसी 26 जनवरी के दिन डॉ अंगराज खिल्लन को ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े सम्मान 'ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर' से नवाजा जाएगा.

डॉ अंगराज खिल्लन से खास बातचीत पार्ट 2

हरिद्वार के भल्ला कॉलेज में पढ़ें, बेचा प्रसाद, सिंदूर: डॉ अंगराज खिल्लन हरिद्वार में हरकी पैड़ी के पास रहते थे. उनका घर आज भी यहां मौजूद है. जहां उनके दो भाई रहते हैं. अंगराज बताते हैं परिवार में 7 सदस्य होने की वजह से उन्होंने संघर्ष को बड़ी करीबी से देखा है. वह परिवार में सबसे छोटे थे. ऐसे में पिता से लेकर भाई तक कैसे जीवन यापन करने के लिए संघर्ष कर रहे थे ये वो देख रहे थे. अंगराज के पिताजी की हरकी पैड़ी के पास ही आटे की चक्की हुआ करती थी. वो स्कूल से आने के बाद दुकान पर बैठा करते थे, जहां वो गेहूं पीसते थे.

परिवार के साथ अंगराज खिल्लन.

छुट्टियों के दौरान वे हरिद्वार के बाजार और हरकी पैड़ी के घाटों पर प्रसाद की थैली, जल, सिंदूर आदि बेचने का काम करते थे, जिससे उन्हें कुछ कमाई होती थी. परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके परिवार के अन्य सदस्य भी ये काम करते थे. डॉ अंगराज खिल्लन ने हरिद्वार के भल्ला कॉलेज से सातवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद गुरुकुल से सीपीएमटी करने के बाद उन्होंने दिल्ली और अन्य जगहों पर नौकरी की. डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने लगभग 3 साल दिल्ली के प्रसिद्ध हॉस्पिटल राम मनोहर लोहिया में भी अपनी सेवाएं दी. आज से लगभग 18 साल पहले वे ऑस्ट्रेलिया चले गये. डॉ अंगराज खिल्लन ऑस्ट्रेलिया से पहले कई अन्य देशों में भी काम कर चुके हैं.
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क्यों मिल रहा है सम्मान: डॉ अंगराज खिल्लन ऑस्ट्रेलिया से पहले कई अन्य देशों में भी काम कर चुके हैं. कई देशों का अनुभव, भाषा, स्वास्थ्य सिस्टम जानने के बाद डॉक्टर अंगराज ने आज से लगभग 18 साल पहले ऑस्ट्रेलिया में अपना काम शुरू किया. शुरुआती दौर में अपने काम में प्रसिद्धि होने की वजह से उन्हें ऑस्ट्रेलिया में सेटल होने में कोई दिक्कत नहीं हुई. ऑस्ट्रेलिया में भी दवाइयों और स्वास्थ्य के प्रति लोगों में कई तरह की भ्रांतियां थी. ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोग कई तरह की दवाइयां लेने से बचते थे.

ऑस्ट्रेलिया में सम्मानित होंगे डॉ अंगराज खिल्लन.

उदाहरण के तौर पर अंगराज बताते हैं जिस तरह से भारत में भी यही चीजें कई बार सामने आती हैं कि किसी दवाई में गोमूत्र मिला हुआ है, तो उसे एक समुदाय लेने से इनकार करता है. इसी तरह की कई जटिलताओं से ऑस्ट्रेलिया का स्वास्थ्य सिस्टम गुजर रहा था. उन्होंने इसके लिए अपने अलग-अलग देशों के अनुभव को वहां पर सोशल वर्क के तहत धरातल पर उतारा. लोगों के बीच अकेले जाकर ही अपनी प्रतिभा के बल पर लोगों को समझाने का काम किया. शुरुआत के 12 साल में इसका असर दिखने लगा. लोग दवाई इंजेक्शन या अन्य स्वास्थ्य सामग्रियों से परहेज करते थे और उनकी हालत में डॉक्टर अंगराज के समझाने के बाद सुधार आने लगा. इसके बाद उन्होंने एक फाउंडेशन बनाई.

डॉ अंगराज खिल्लन.
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फाउंडेशन बनाने के बाद उनके साथ एक के बाद एक कई लोग जुड़ते चले गए. अंगराज बताते हैं कि इसके बाद इस पूरे मिशन की खबर ऑस्ट्रेलियाई सरकार को लगी. यह सम्मान उनके सालों की मेहनत को देखते हुए दिया जा रहा है, जिस पर ऑस्ट्रेलियन सरकार भी नजर बनाये हुए थी. ऑस्ट्रेलियाई सरकार साल में एक बार और सिर्फ एक व्यक्ति को ये पुरस्कार देती है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है की अंगराज ने ऑस्ट्रेलिया में किस क्रांति को अंजाम दिया. 26 जनवरी को जब भारत गणतंत्र दिवस मनाएगा, ठीक उसी वक्त आस्ट्रेलियाई सरकार भी ऑस्ट्रेलिया डे के रूप में इस दिन को मनाती है. उसी दिन डॉक्टर अंगराज को 'ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर'सम्मान दिया जाएगा.

सहयोगियों के साथ डॉ अंगराज खिल्लन.
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उत्तराखंड के हेल्थ सिस्टम के बारे में क्या सोचते हैं डॉ अंगराज:डॉ अंगराज खिल्लन उत्तराखंड से हैं इसलिए वो उत्तराखंड के लिए चिंतित भी रहते हैं. जब डॉ अंगराज खिल्लन से उत्तराखंड के हेल्थ सिस्टम को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए कनेक्टिविटी बहुत मायने रखती है. उत्तराखंड आपदाओं से बहुत टूट जाता है. इसके साथ ही आज भी यहां सड़कों की दिक्कत है. सबसे पहले उसे सुधारना होगा. इसके साथ लोगों की आर्थिकी पर डॉक्टर अंगल जोर देने की बात कह रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हुए वो बताते हैं यहां ऐसा नहीं है, यहां का स्वस्थ सिस्टम पूरा सरकार के ऑफिस से जुड़ा है. एक एक पेसेंट की जानकारी सरकार को होती है. अगर भारत या उत्तराखंड में भी ऐसा हो तो स्वास्थ सिस्टम को सुधारा जा सकता है. डॉ अंगद राज खिल्लन कहते हैं उनका मन है की वो भारत के साथ ही उत्तराखंड के लिए भी कुछ करें.

Last Updated :Jan 21, 2023, 11:53 AM IST

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