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ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाइन: 5 महीने में 2832 शिकायतें, पीड़ितों के लौटाए गए 90 लाख से ज्यादा रुपये

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Published : Nov 17, 2021, 12:44 PM IST

उत्तराखंड में साइबर ठगी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए करीब पांच महीने पहले ई सुरक्षा चक्र हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया है, जिसका काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. आंकड़ें खुद इसकी तस्दीक कर रही है.

ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाइन
ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाइन

देहरादून: वित्तीय साइबर मामलों में पीड़ित को तुरंत राहत दिलाने के लिए शुरू किए ई-सुरक्षा चक्र के हेल्पलाइन नंबर 155260 पर 5 महीने में 2832 शिकायतें मिली. इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए साइबर थाना पुलिस ने पीड़ितों ने 90,59,258 रुपए वापस कराए. वहीं, बाकी की 77 शिकायतों पर मुकदमा दर्ज कराया.

उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि वित्तीय मामला में साइबर ठगी के शिकार व्यक्ति को तत्काल राहत दिलाने के लिए पांच महीने पहले ही ई-सुरक्षा चक्र के हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया गया था. ई-सुरक्षा चक्र का मकसद पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करना है.

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एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, बीते पांच महीनों में ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाइन नंबर पर 2,832 शिकायतें आई थी. इन शिकायतों पर साइबर थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 90,59,258 रुपए वापस कराए है. वहीं, 77 शिकायतें ऐसी थी, जिन पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

एसएसपी अजय सिंह ने लोगों से अपील की है कि यदि कोई व्यक्ति साइबर ठगी को शिकार होता है तो वो तत्काल साइबर वित्तीय हेल्पलाइन 155260 अपनी शिकायत दर्ज कराए, ताकि साइबर पुलिस तत्काल कार्रवाई कर सके और वापस पैसा वापस दिलाया जा सके. पीड़ित शिकायत दर्ज कराने में जितनी देरी करेंगा, उसका पैसा वापस आने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी.

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ऐसे काम करता हैं ई-सुरक्षा चक्र: ई-सुरक्षा चक्र के तहत यदि किसी व्यक्ति के साथ साइबर ठगी होती है तो वह तुरंत 155260 पर सूचना देगा. ई-सुरक्षा चक्र कंट्रोल रूम की ओर से तत्काल इस सूचना को गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरपी) पर दर्ज किया जाता है. सभी बैंक व वालेट की ओर से पीड़ित की धनराशि बचाने के प्रयास किया जाता है. सूचना दर्ज होने के बाद गृह मंत्रालय से पीड़ित को एक लिंक एसएमएस के माध्यम से भेजा जाता है. पीड़ित के लिए इस लिंक पर क्लिक कर अपनी शिकायत 24 घंटे के अंदर एनसीआरपी पोर्टल पर पंजीकृत करानी होती है. इसके बाद कार्रवाई के लिए संबंधित थानों को शिकायत पोर्टल के माध्यम से सीधे प्राप्त हो जाती है.

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