देहरादून:उत्तराखंड के इतिहास की सबसे बड़ी डकैती की गुत्थी अभी तक अनसुलझी है. मामले में अब तक ना तो पुलिस कोई रिकवरी कर पाई है और ना ही डकैती डालने वाले किसी बदमाश तक पुलिस के हाथ पहुंच पाए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सचिवालय और पुलिस मुख्यालय से चंद कदम दूर हुई डकैती पर सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को लेकर किसी पुलिस अफसर पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. यह स्थिति तब है जब डकैती की घटना के दिन राष्ट्रपति का घटनास्थल से कुछ किलोमीटर दूरी पर ही कार्यक्रम था और पुलिस चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था का दावा कर रही थी.
राज्य स्थापना दिवस के दिन हुई प्रदेश की सबसे बड़ी डकैती पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है. एक तरफ डकैती के दिन घटनास्थल के कुछ किलोमीटर दूरी पर ही राष्ट्रपति का कार्यक्रम हो रहा था तो दूसरी तरफ जिस जगह पर घटना हुई वह स्थल पुलिस मुख्यालय और सचिवालय के भी चंद कदम दूरी पर ही था. यानि सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देते हुए पांच बदमाशों ने प्रदेश की सबसे बड़ी डकैती को अंजाम दे दिया. हैरानी की बात तो यह है कि इतनी सुरक्षा व्यवस्था और VVIP मूवमेंट के बावजूद डकैती होने के बाद भी ना तो पुलिस के बड़े अफसरों और ना ही सरकार की तरफ से किसी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई की गई.
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सरकार और पुलिस मुख्यालय की तरफ से देहरादून पुलिस को 11 दिन बाद भी अभयदान देने का सिलसिला बना हुआ है. इतने सुरक्षित क्षेत्र में प्रदेश की सबसे बड़ी डकैती होने के बावजूद अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. डकैती होने के फौरन बाद पुलिस को उसकी जानकारी दे दी गई, फिर भी डकैत करोड़ों रुपया का सोना चांदी लेकर उत्तराखंड से बाहर निकलने में कामयाब रहे. देहरादून पुलिस को डकैती का खुलासा करने के लिए भी समय लग रहा है, लेकिन 11 दिन बीत जाने के बाद भी बदमाश फरार हैं और पुलिस अब तक कोई रिकवरी नहीं कर पाई है.