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अवैध मजारों पर बुलडोजर के बाद अवैध मदरसों पर चल रही जेसीबी, अतिक्रमण के जिम्मेदार अफसरों पर एक्शन का इंतजार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 21, 2023, 12:33 PM IST

Updated : Oct 21, 2023, 2:29 PM IST

Action on illegal madrassas in Uttarakhand उत्तराखंड में सरकारी जमीन पर बनी सैकड़ों मजारें ध्वस्त की गई तो अवैध मदरसों का भी भंडाफोड़ होने लगा. कुमाऊं मंडल में 9 दिन के अंदर तीन अवैध मदरसों का भंडाफोड़ हुआ और 50 से ज्यादा बच्चे मुक्त कराए गए. अब वन क्षेत्रों में हुए अवैध कब्जे कर बने मदरसों पर एक्शन हो रहा है. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि जिन अफसरों के समय वन भूमि पर कब्जा कर अवैध मदरसे और मजार बने उनकी सूची अभी तक तैयार नहीं हो सकी है.

illegal madrassas in Uttarakhand
उत्तराखंड अवैध मदरसे

अब अवैध मदरसों पर एक्शन

देहरादून:उत्तराखंड के जंगलों में अवैध मजारों पर बुलडोजर चलने के बाद अब अवैध मदरसों पर कार्रवाई शुरू हो गयी है. खबर है कि वन क्षेत्र में कुछ अवैध मदरसे चलने की सूचना महकमे को मिली है. इस पर अधिकारी एक्शन में हैं. हालांकि अब तक उन अफसरों को चिन्हित करने में विभाग फेल साबित हुआ है, जिनके कार्यकाल में ऐसे निर्माण हुए.

अवैध मजारों के बाद अवैध मदरसों की बारी: उत्तराखंड में धामी सरकार का अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान फिर तेज हो गया है. अबतक सैकड़ों मदरसों पर चल चुका बुलडोजर अब अवैध निर्माण की नई सूची के इंतजार में है. स्थिति ये है कि नए अवैध निर्माण पर विभाग जल्द से जल्द कार्रवाई के लिए समयबद्ध रूप में कानूनी औपचारिकताओ को पूरा करने में जुटा है. हालांकि पिछले कुछ महीनों में बुलडोजर की धमक कुछ कम होती दिखी थी, लेकिन सीएम धामी के निर्देश के बाद फिर अवैध निर्माणों पर बुल्डोजर गरजने लगे हैं. खास बात ये है कि 400 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने वाले वन विभाग को अब अवैध मदरसों की भी शिकायतें मिल रही हैं. जिसकी सूची विभागीय अधिकारी बनाने लगे हैं. विभाग की टीम ने हाल ही में एक अवैध मदरसे पर बुलडोजर चलाकर उसे गिराने का काम किया है.
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उत्तराखंड वन विभाग के अंतर्गत आने वाले तमाम अवैध निर्माण पर डंडा चलाने की जबसे सरकार ने मंजूरी दी है, तबसे ही डॉ मधुकर पराग धकाते के नेतृत्व में इस अभियान को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया गया है. बड़ी संख्या में सरकारी भूमि से अवैध निर्माण ढहाने का काम हो चुका है. अब तक अवैध निर्माण हटाने की स्थिति और परिणामों को भी बिंदुवार समझिए.

अतिक्रमण के खिलाफ अब तक कार्रवाई
उत्तराखंड वन क्षेत्रों में निशाने पर रहे अवैध धार्मिक निर्माण
पिछले 6 महीने में वन विभाग की टीम 3,137 एकड़ वन भूमि से हटा चुकी है अतिक्रमण
विभाग ने आईएफएस अफसर डॉ पराग मधुकर धकाते को दी है अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी
अभियान के तहत 400 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थल किये जा चुके हैं धराशायी
जंगलों में अब मदरसे संचालित होने की आ रही शिकायतें
कुमाऊं डिवीजन क्षेत्र में सबसे ज्यादा मजारों का मिल रहा रिकॉर्ड
राजाजी और कॉर्बेट जैसे संरक्षित क्षेत्रों में भी अवैध निर्माण को लेकर आयी है जानकारी

सैटेलाइट इमेज से पता चली गुज्जरों की गतिविधि: वन विभाग की टीम ने पिछले दिनों तराई केंद्रीय फॉरेस्ट डिविजन के टांडा रेंज में गुज्जरों के अवैध कब्जों को हटाया था. मजे की बात यह है कि यहां अवैध मदरसा भी संचालित हो रहा था. इसी सिलसिले में अतिक्रमण हटाओ अभियान से जुड़ी टीम ने अवैध मदरसे को भी ध्वस्त करने का काम किया है. उधर वन क्षेत्र में अब भी बड़ी संख्या में वन गुज्जर कब्जा किए हुए बैठे हैं. हालांकि उनके विस्थापन को लेकर भी समय-समय पर बात चलती रहती है. बताया यहां तक गया है कि सन 1985 के दौरान राजाजी पार्क में कुल 512 गुज्जर मौजूद थे. बाद में इन गुज्जरों की संख्या बढ़कर करीब 1400 रिकॉर्ड की गई. हैरत की बात यह है कि पिछले दिनों सैटेलाइट पिक्चर के माध्यम से पता चला कि जंगल में गुज्जर अवैध रूप से खेती भी कर रहे हैं. हालांकि यह खबर आने के बाद फॉरेन इस प्रकरण में कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे.
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अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार अफसरों की नहीं बनी लिस्ट: एक तरफ अतिक्रमण हटाओ अभियान से जुड़ी टीम प्रदेश भर के फॉरेस्ट डिवीजन से रिपोर्ट लेकर अवैध निर्माण पर कार्रवाई कर रही है. तमाम धार्मिक निर्माण भी बड़ी संख्या में इसकी जद में आ चुके हैं. वहीं अब तक उन अधिकारियों की सूची तैयार नहीं हो पाई है, जिनके कार्यकाल में इतनी बड़ी संख्या में अवैध कब्जा किए गए. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद कई महीने पहले अतिक्रमण हटाने के लिए टीम का गठन हुआ. इस टीम के जरिए तमाम फॉरेस्ट डिवीजन से अवैध निर्माण की जानकारी भी मांगी जा रही है. लेकिन कमाल की बात यह है कि समय-समय पर कार्रवाई तो हो रही है, लेकिन तमाम डिवीजन से जुड़े अधिकारी ऐसे मामलों में भी गंभीरता नहीं दिख रहे हैं.
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वन मंत्री ने ये कहा: इस मामले में जिम्मेदारी तय न हो पाने और जिम्मेदार अधिकारियों के नाम की सूची तैयार ना होना भी कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है. हालांकि इस पर वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि फिलहाल विभाग की प्राथमिकता अवैध निर्माण को पूरी तरह से हटाने की है. यह कार्रवाई पूरी होने के बाद उन अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी, जिनके कार्यकाल में ऐसे अवैध निर्माणों को संरक्षण दिया गया.
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Last Updated : Oct 21, 2023, 2:29 PM IST

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