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Joshimath Sinking: NTPC ने कहा टनल के कारण नहीं हुआ भू धंसाव, ब्लास्टिंग से बनेगी सुरंग

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Published : Jan 18, 2023, 7:20 AM IST

Updated : Jan 18, 2023, 11:08 AM IST

Joshimath Sinking

जोशीमठ आपदा के लिए लगातार आरोप झेल रही एनटीपीसी लगता है टनल निर्माण के लिए अभी और ब्लास्टिंग करने वाली है. एनटीपीसी के चीफ जीएम आरपी अहिरवार और अपर महाप्रबंधक भू विज्ञान भुवनेश कुमार के बयानों से तो ऐसा ही लग रहा है. एनटीपीसी के ये दोनों अफसर जोशीमठ भू धंसाव के लिए टनल को जिम्मेदार मानने से भी इनकार कर रहे हैं. दोनों अफसरों ने क्या कहा है इस खबर में पढ़िए.

NTPC ने जोशीमठ भू धंसाव से पल्ला झाड़ा

चमोली:जोशीमठ भू धंसाव को लेकर लगातार निशाने पर आ रही एनटीपीसी ने भी जवाब देना शुरू कर दिया है. एनटीपीसी के तपोवन के चीफ जीएम आरपी अहिरवार ने सारे आरोपों को गलत बताया है. इसके साथ ही एनटीपीसी के अतिरिक्त जीएम जियोलॉजी भुवनेश कुमार भी अपनी संस्थान के बचाव में आगे आए हैं. एनटीपीसी के दोनों अफसरों का कहना है कि टनल और जोशीमठ भू धंसाव का कोई संबंध नहीं है.

एनटीपीसी के चीफ जीएम ने क्या कहा: उत्तराखंड के जोशीमठ में NTPC की टनल और लैंड सब्सिडेंस यानी भू धंसाव के बीच कोई कनेक्शन नहीं है. ये कहना है एनटीपीसी तपोवन के चीफ जीएम आरपी अहिरवार का. अहिरवार ने ये भी कहा कि 12 किमी की सुरंग में 8 किलोमीटर ड्रिल बोरिंग और बाकी ब्लास्टिंग से बनाई जाएगी. जोशीमठ के भू धंसाव पीड़ितों द्वारा मकानों में आ रही दरारों के लिए एनटीपीसी की सुरंग को जिम्मेदार ठहराने पर एनटीपीसी तपोवन के मुख्य महाप्रबंधक आरपी अहिरवार ने ये बात कही है. आरपी गहरवार का तर्क है कि टनल में जिस एरिया में ब्लास्टिंग की जाएगी वह जोशीमठ से 11 किमी की दूरी पर है. टनल भी जोशीमठ से नहीं गुजर रही है. इसलिए इस टनल के निर्माण से जमीन धंसने की कोई संभावना नहीं है.

NTPC के अपर महाप्रबंधक का क्या तर्क है: उधर एनटीपीसी के अतिरिक्त जीएम जियोलॉजी भुवनेश कुमार ने कहा कि वर्तमान में इस सुरंग में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है. इनमें पानी भी नहीं भरा गया है. यदि भू धंसाव और मकानों में दरारें इसके कारण आई होती तो इससे पहले सुरंग प्रभावित होती. इस सुरंग के कारण भूमि के धंसने की कोई संभावना नहीं है. एनटीसीपी के अपर महाप्रबंधक भू विज्ञान भुवनेश कुमार का ये भी कहना है कि जमीन धंसना यहां पुराना मुद्दा है. इस सुरंग (एनटीपीसी की एक परियोजना) का इससे कोई संबंध नहीं है. यह 12 किलोमीटर की सुरंग एक बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है.

जल विद्युत परियोजना से भू धंसाव के आरोपों को गलत बताया: NTPC के दोनों अफसरों का कहना है कि जोशीमठ में जमीन धंसने को तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना से जोड़ना गलत है. एनटीपीसी के एक वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि सुरंग का निर्माण 'एक सक्षम चट्टान' के तहत किया जा रहा है. यह आसपास के रॉक मास को प्रभावित नहीं करता है. जोशीमठ की स्थिति को एनटीपीसी सुरंग से जोड़ना गलत है. क्योंकि इसका निर्माण टनल बोरिंग मशीन की मदद से किया जा रहा है.'

सुरंग बनाने के लिए होगी ब्लास्टिंग: दोनों अफसरों ने कहा कि 12 किमी लंबी में से टनल, 8.5 किमी टनल बोरिंग द्वारा बनाई जा रही है. बाकी ब्लास्टिंग द्वारा की जाएगी. टनल जोशीमठ से नहीं गुजरती है. तपोवन परियोजना के प्रमुख राजेंद्र प्रसाद अहिरवार ने कहा कहा कि नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) परियोजना के संबंध में कुछ पोस्टर भी लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जलविद्युत परियोजना को उत्तराखंड के पहाड़ी शहर की वर्तमान स्थिति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सुरंग चट्टान के नीचे बनाई जा रही है और ये एक बहुत ही मजबूत चट्टान है.

जोशीमठ भू धंसाव को पुराना मुद्दा बताया: जोशीमठ के कुछ निवासियों द्वारा ज़मीन धंसने की स्थिति के लिए एनटीपीसी सुरंग को दोष देने के बारे में पूछे जाने पर, भुवनेश कुमार, अतिरिक्त महाप्रबंधक भू विज्ञान, एनटीपीसी ने कहा कि इसका कोई संबंध नहीं है. भूमि धंसाव यहां एक पुराना मुद्दा रहा है. इस सुरंग का इससे कोई संबंध नहीं है. यह 12 किमी की सुरंग एक बोरिंग मशीन द्वारा खोदी गई है. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के स्वीकृत होने से पहले तमाम सर्वे किए जाते हैं, उसके बाद ही काम शुरू होता है.

भुवनेश कुमार ने 1976 में मिश्रा समिति की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि जोशीमठ शहर भूस्खलन सामग्री पर स्थित है. तब तो एनटीपीसी की परियोजना नहीं थी. स्थानीय लोगों ने 10 जनवरी को विरोध प्रदर्शन किया और एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन किया. अगले आदेश तक परियोजना पर निर्माण रोक दिया गया है. प्रदर्शनकारियों में महिला मंगल दल और पंचायत सेलांग के बैनर लिए और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया.
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आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय तकनीकी संस्थानों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की एक अध्ययन रिपोर्ट संकलित करने के लिए एक समय सीमा दी गई है. सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में कुल 2,190 और पीपलकोटी में 2,205 लोगों को अस्थायी राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है. जोशीमठ के टीसीपी चौराहे के धंसावग्रस्त क्षेत्रों से बचाए गए लोगों के लिए मॉडल प्री-फैब्रिकेटेड शिविरों के निर्माण के लिए चिन्हित किया गया है.

Last Updated :Jan 18, 2023, 11:08 AM IST

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