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वाराणसी में टॉप क्लास स्वास्थ्य दावों की खुली पोल, लोग निजी अस्पताल जाने को मजबूर

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Published : Aug 17, 2023, 9:04 AM IST

Updated : Aug 17, 2023, 1:26 PM IST

वाराणसी में टॉप लेवल की स्वास्थ्य व्यवस्था के सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. सरकार योजनाएं तो ला रही है, मगर उसकी जमीनी हकीकत दावों से कोसों दूर है. इसके चलते मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

वाराणसी स्थित राजकीय आयुर्वेद अस्पताल
वाराणसी स्थित राजकीय आयुर्वेद अस्पताल

वाराणसी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल

वाराणसीः प्रदेश सरकार सूबे के सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध करा रही है. खास बात ये है कि इसके लिए ई-बाउचर की भी सुविधा शुरू कर दी गई है, ताकि सहजता से कोई प्राइवेट अस्पताल में भी निःशुल्क अल्ट्रासाउंड करा सके. हैरान करने वाली बात यह है कि आयुर्वेद अस्पताल में बीते 4 महीनों से अल्ट्रासाउंड की सुविधा ही ठप है, जिसके चलते गर्भवती और मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए भटकना पड़ रहा है. हर दिन यहां बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है.

दरअसल, वाराणसी स्थित राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा 4 माह से बंद है, जिसकी वजह अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट का न होना है. बीते चार महीनों से यहां आने वाले मरीजों के लिए यह बड़ी समस्या बनी हुई है. गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा न मिलने के कारण बाहर जांच कराना पड़ रहा है. इसके बदले उन्होंने 700 से 900 रुपये की फीस देनी पड़ रही है. वैसे तो सरकार वाराणसी में टॉप लेवल की स्वास्थ्य व्यवस्था होने के दावा करती है. लेकिन राजकीय आयुर्वेद अस्पताल की ये हक्कीत दावों से कोसों दूर है.

डॉक्टर की कमीरेडियोलॉजिस्ट ने होने के चलते अस्पताल के अल्ट्रासाउण्ड के कमरे बंद पड़े हैं. वहीं, मरीजों की जांच के लिए डॉक्टर भी मौजूद नहीं हैं. अस्पताल के अधिकारियों ने ईटीवी भारत से इस मामले में बात करते हुए कहा कि इस बारे में शासन को पत्र लिखा हुआ है. साथ ही वाराणसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भी इस बारे में जानकारी दी गई है. जांच के लिए मरीज अस्पताल में आ रहे हैं, लेकिन जांच न होने के कारण वापस निजी क्लीनिक पर जाकर अल्ट्रासाउण्ड की जांच करा रहे हैं.

गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक परेशानीःमरीज दीप्ती ने कहा, 'अल्ट्रासाउण्ड को लेकर गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बाहर से हमे जांच करानी पड़ती है, जिसकी फीस 700 से 900 रुपये है. बाहर की जांच में सुबह-सुबह जाकर लाइन भी लगानी पड़ती है. साथ ही मरीज को इधर से उधर लेकर जाने में उसे काफी दिक्कत होती है. अगर एक ही जगह पर अस्पताल में जांच हो जाए, तो बेहतर रहता है.' वहीं एक मरीज बबिता ने बताया कि गरीब वर्ग के लोगों को बाहर की जांच काफी महंगी पड़ती है. इमरजेंसी में महिलाओं को अल्ट्रासाउण्ड कराना पड़े, तो बाहर जाने में बहुत परेशानी होती है.

सीएमओ को लिखा है पत्रःअस्पताल प्रशासन का कहना है कि सीएमओ से पत्र लिखकर मांग की गई है कि अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति की जाए. इस पत्र के बाद भी अभी तक इस अस्पताल में कोई नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों को जांच के लिए मना किया जा रहा है. इसे लेकर दरवाजे पर एक पर्चा भी लगाया गया है, जिस पर लिखा है, 'रेडियोलॉजिस्ट की सुविधा नहीं है. इस वजह से अल्ट्रासाउण्ड नहीं हो सकता है.' ऐसे में जिस अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हों और उन्हें वापस लौटना पड़ रहा हो. उसकी व्यवस्था और दावों पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है.

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Last Updated : Aug 17, 2023, 1:26 PM IST

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